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पुष्कर के गुलाबी गुलाब पर लगा जल 'ग्रहण', 60 फीसद तक घटी खेती

अजमेर का पुष्कर जगतपिता ब्रह्मा की नगरी (Pushkar City of Lord Brahma) अपनी कई विशेषताओं के लिए खास पहचान रखती है. इन विशेषताओं में यहां के गुलाबी गुलाब भी शामिल है. यहां के गुलाबी गुलाब की डिमांड देश में ही नहीं विदेशों में भी खूब है. इस गुलाब के अच्छे भाव भी (Rose cultivation decreased in Pushkar) मिलते हैं, लेकिन फिर भी किसान गुलाब की खेती को धीरे-धीरे छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं. इसके पीछे क्या है कारण पढ़िये इस रिपोर्ट में.

Rose cultivation decreased in Pushkar
Rose cultivation decreased in Pushkar
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Published : Dec 11, 2022, 7:28 PM IST

गुलाब पर लगा जल 'ग्रहण'

अजमेर. जगतपिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर का गुलाबी गुलाब अपनी विशेषताओं के चलते देश और दुनिया में विख्यात है. पुष्कर और उसके आसपास के गांव में करीब 2000 हेक्टेयर जमीन पर गुलाब की (Rose cultivation decreased in Pushkar) खेती हुआ करती थी. लेकिन अब हालात यह है कि गुलाब की खेती का दायरा सिमटता जा रहा है. जिससे गुलाब का उत्पादन काफी कम होता जा रहा है. पिछले 10 वर्षों में गुलाब की खेती 40 फीसदी रह गई है. यही हाल रहा तो आने वाले कुछ सालों में पुष्कर का यह विशेष गुलाबी गुलाब यहां से लुप्त हो जाएगा.

जगत् पिताब्रह्मा की नगरी पुष्कर अपने (Pushkar City of Lord Brahma) आंचल में कई विशेषताएं लिए हुए है. पुष्कर की विशेषताओं में फूलों का राजा गुलाब भी शामिल है. पुष्कर में बड़े पैमाने पर गुलाब की खेती सदियों से होती आ रही है. लाल और गुलाबी रंग के गुलाब की खेती पुष्कर में होती है बीते एक दशक पहले खिलखिलाते गुलाब हर खेत में नजर आते थे. यही वजह रही पुष्कर में गुलकंद, गुलाब जल, इत्र बनाने के 100 के लगभग छोटी और बड़ी प्रोसेसिंग यूनिट खुल चुकी हैं. लेकिन अब पुष्कर में गुलाब की खेती सिमटती जा रही है. गुलाब की खेती सिमटने के पीछे प्रमुख कारण पानी की कमी के रूप में सामने आ रही है.

भाव अच्छे फिर भी नहीं कर पा रहे खेतीः गुलाब की खेती से पहले पुष्कर क्षेत्र के किसान काफी खुश थे. लेकिन अब पुष्कर के किसान गुलाब की खेती को लेकर चिंतित है. पुष्कर में गुलाब की खेती सिमटती जा रही है. किसान चाहते हुए भी गुलाब की खेती नही कर पा रहे हैं. जबकि पुष्कर के गुलाब की (Severe water shortage in Pushkar) डिमांड ज्यादा होने से इसके भाव भी अच्छे हैं. किसानों को करीब सवा लाख रुपए बीघा की आय सालाना होती है. राज्य सरकार की गुलाब की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी दे रही है. बावजूद इसके एक दशक में पुष्कर में गुलाब की खेती का क्षेत्रफल 40 फीसदी से भी कम हो गया है.

Rose cultivation decreased in Pushkar
पुष्कर के गुलाबी गुलाब की है खास डिमांड.

इसे भी पढ़ें - ख्वाजा की नगरी में मिलती है ये खास रोटी, जिसे खाकर आप भी कहेंगे वाह क्या बात है...

पुष्करी गुलाबी गुलाब की रहती है मांगः कृषि विभाग के पर्यवेक्षक विष्णु सांखला बताते हैं कि पुष्कर में दो प्रकार के गुलाब 12 महीने होते हैं. इनमें लाल गंगा नगरी गुलाब और पुष्करी गुलाबी गुलाब शामिल है. सांखला ने बताया कि गुलाबी रंग के गुलाब की डिमांड ज्यादा रहती है. इसमें औषधि गुण होने के साथ-साथ इसकी सुगंध भी इसे विशेष बनाती है. इस कारण लाल गुलाब से गुलाबी रंग के गुलाब के भाव भी अधिक होते हैं. इत्र, गुलाब जल और गुलकंद गुलाबी रंग के गुलाब से ही बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि गुलाबी रंग के गुलाब की सर्वाधिक फसल चैत (अप्रैल) के महीने में होती है. नवंबर दिसंबर में गुलाब की पौध लगाई जाती है. फरवरी में गुलाब के पौधों की कटिंग होती है. एक पौधा करीब 10 वर्ष तक फूल देता है. समय पर पानी, दवा और खाद देने पर अच्छी पैदावार फूलों की होती है. उन्होंने बताया कि पुष्कर में गुलाब की खेती यहां के जलवायु के अनुकूल है. चित्तौड़ में भी गुलाब की खेती शुरू करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वहां के गुलाब में वह विशेषताएं नहीं पाई गई जो पुष्कर के गुलाब में पाई जाती है. लाल गुलाब मंदिर, दरगाह, मांगलिक कार्यों, मिठाई एवं ठंडाई के रूप में प्रयोग में लिया जाता है.

पानी की कमी ने बनाए विकट हालातः पुष्कर में लगातार कम हो रही गुलाब की खेती का कारण पानी की कमी है. कृषि पर्यवेक्षक विष्णु सांखला ने बताया कि जल के लगातार दोहन के कारण पुष्कर में भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे जा चुका है. गुलाब की खेती के लिए जल की आवश्यकता होती है. यही वजह है कि बीते एक दशक से लगातार गुलाब की खेती कम होती जा रही है. उन्होंने बताया कि एक दशक पहले तक पुष्कर क्षेत्र में 2000 हेक्टेयर भूमि पर गुलाब की खेती हुआ करती थी. वर्तमान में 800 हेक्टेयर भूमि पर गुलाब की खेती हो रही है. सांखला ने बताया कि पुष्कर के कई क्षेत्रों में भूमिगत जल स्तर 600 से 800 फीट तक पहुंच चुका है, जो काफी चिंतनीय है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग गुलाब की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी के साथ-साथ ड्रिप सिस्टम से भी गुलाब की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है. उन्होंने बताया कि आगामी कुछ सालों में पुष्कर में भूमिगत जल स्तर में लगातार गिरावट होती रही तो पुष्कर से हमेशा के लिए फूलों का राजा गुलाब लुप्त हो जाएगा.

गुलाब की खेती करने वाले काश्तकारों की यह समस्याएंः पुष्कर क्षेत्र में चावंडिया गांव के किसान उम्मीद सिंह रावत बताते हैं कि गुलाब खेती बीते एक दशक में आधी से भी कम रह गई है. किसान पानी की कमी की वजह से गुलाब की खेती नही कर पा रहे हैं. किसानों ने इसके अलावा कई अन्य समस्याएं भी बताई. जिनमें किसानों को गुलाब की पौध काफी महंगी मिलने, गुलाब की तैयार पौध खरीदने के लिए कोई सब्सिडी नहीं मिलने जैसी बातें शामिल हैं. किसानों ने बताया कि गुलाब की खेती करने में खर्चा भी काफी आता है. किसान ने कहा कि सरकार की ओर से गुलाब की खेती के लिए कोई अनुदान नहीं दिया जाता. सिंचाई के लिए बिजली ही काफी महंगी पड़ती है. उन्होंने बताया कि पानी की कमी के कारण किसान गुलाब की खेती छोड़ने को मजबूर है. पुष्कर में सिंचाई के लिए नहर का पानी लाया जाए तो यहां गुलाब की खेती का क्षेत्रफल वर्तमान के मुकाबले कई गुना बढ़ सकता है. वरना यही हालात रहे तो आगामी वर्षों में पुष्कर में गुलाब देखने को भी नहीं मिलेगा.

व्यापारियों में भी है चिंताः पुष्कर में गुलाब जल, गुलकंद और इत्र बनाने की छोटी-बड़ी 100 से अधिक यूनिट हैं. पुष्कर में गुलाब की खेती कम होने के कारण व्यापारियों को भी भविष्य की चिंता सताने लगी है. पुष्कर में गुलाब से निर्मित विभिन्न उत्पादों का व्यापार करने वाले व्यापारी वेणुगोपाल मंत्री ने बताया कि पुष्कर का गुलाबी गुलाब की डिमांड देश के विभिन्न राज्यों के अलावा गल्फ देशों, यूरोप के कई देशों समेत अमेरिका में भी है. उन्होंने बताया कि पुष्कर में सालाना दो से तीन सौ करोड़ रुपए का कारोबार गुलाब से निर्मित उत्पादों से होता है. उन्होंने बताया कि गुलाब की खेती का क्षेत्रफल लगातार कम होने से किसानों में ही नहीं व्यापारियों ने भी चिंता बनी हुई है. पुष्कर में किसानों को सिंचाई के लिए पानी की परियोजना लाने के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए.

ब्रह्मा की नगरी के गुलाब चढ़ते हैं ख्वाजा की मजार परः सांप्रदायिक सद्भाव की नगरी अजमेर में पुष्कर ब्रह्मा की नगरी है. यहां के गुलाब से ही अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह महकती है. ये सांप्रदायिक सद्भाव की सबसे बड़ी मिसाल है. दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर पेश होने गुलाब की डिमांड को पुष्कर पूरा करता है.

गुलाब पर लगा जल 'ग्रहण'

अजमेर. जगतपिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर का गुलाबी गुलाब अपनी विशेषताओं के चलते देश और दुनिया में विख्यात है. पुष्कर और उसके आसपास के गांव में करीब 2000 हेक्टेयर जमीन पर गुलाब की (Rose cultivation decreased in Pushkar) खेती हुआ करती थी. लेकिन अब हालात यह है कि गुलाब की खेती का दायरा सिमटता जा रहा है. जिससे गुलाब का उत्पादन काफी कम होता जा रहा है. पिछले 10 वर्षों में गुलाब की खेती 40 फीसदी रह गई है. यही हाल रहा तो आने वाले कुछ सालों में पुष्कर का यह विशेष गुलाबी गुलाब यहां से लुप्त हो जाएगा.

जगत् पिताब्रह्मा की नगरी पुष्कर अपने (Pushkar City of Lord Brahma) आंचल में कई विशेषताएं लिए हुए है. पुष्कर की विशेषताओं में फूलों का राजा गुलाब भी शामिल है. पुष्कर में बड़े पैमाने पर गुलाब की खेती सदियों से होती आ रही है. लाल और गुलाबी रंग के गुलाब की खेती पुष्कर में होती है बीते एक दशक पहले खिलखिलाते गुलाब हर खेत में नजर आते थे. यही वजह रही पुष्कर में गुलकंद, गुलाब जल, इत्र बनाने के 100 के लगभग छोटी और बड़ी प्रोसेसिंग यूनिट खुल चुकी हैं. लेकिन अब पुष्कर में गुलाब की खेती सिमटती जा रही है. गुलाब की खेती सिमटने के पीछे प्रमुख कारण पानी की कमी के रूप में सामने आ रही है.

भाव अच्छे फिर भी नहीं कर पा रहे खेतीः गुलाब की खेती से पहले पुष्कर क्षेत्र के किसान काफी खुश थे. लेकिन अब पुष्कर के किसान गुलाब की खेती को लेकर चिंतित है. पुष्कर में गुलाब की खेती सिमटती जा रही है. किसान चाहते हुए भी गुलाब की खेती नही कर पा रहे हैं. जबकि पुष्कर के गुलाब की (Severe water shortage in Pushkar) डिमांड ज्यादा होने से इसके भाव भी अच्छे हैं. किसानों को करीब सवा लाख रुपए बीघा की आय सालाना होती है. राज्य सरकार की गुलाब की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी दे रही है. बावजूद इसके एक दशक में पुष्कर में गुलाब की खेती का क्षेत्रफल 40 फीसदी से भी कम हो गया है.

Rose cultivation decreased in Pushkar
पुष्कर के गुलाबी गुलाब की है खास डिमांड.

इसे भी पढ़ें - ख्वाजा की नगरी में मिलती है ये खास रोटी, जिसे खाकर आप भी कहेंगे वाह क्या बात है...

पुष्करी गुलाबी गुलाब की रहती है मांगः कृषि विभाग के पर्यवेक्षक विष्णु सांखला बताते हैं कि पुष्कर में दो प्रकार के गुलाब 12 महीने होते हैं. इनमें लाल गंगा नगरी गुलाब और पुष्करी गुलाबी गुलाब शामिल है. सांखला ने बताया कि गुलाबी रंग के गुलाब की डिमांड ज्यादा रहती है. इसमें औषधि गुण होने के साथ-साथ इसकी सुगंध भी इसे विशेष बनाती है. इस कारण लाल गुलाब से गुलाबी रंग के गुलाब के भाव भी अधिक होते हैं. इत्र, गुलाब जल और गुलकंद गुलाबी रंग के गुलाब से ही बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि गुलाबी रंग के गुलाब की सर्वाधिक फसल चैत (अप्रैल) के महीने में होती है. नवंबर दिसंबर में गुलाब की पौध लगाई जाती है. फरवरी में गुलाब के पौधों की कटिंग होती है. एक पौधा करीब 10 वर्ष तक फूल देता है. समय पर पानी, दवा और खाद देने पर अच्छी पैदावार फूलों की होती है. उन्होंने बताया कि पुष्कर में गुलाब की खेती यहां के जलवायु के अनुकूल है. चित्तौड़ में भी गुलाब की खेती शुरू करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वहां के गुलाब में वह विशेषताएं नहीं पाई गई जो पुष्कर के गुलाब में पाई जाती है. लाल गुलाब मंदिर, दरगाह, मांगलिक कार्यों, मिठाई एवं ठंडाई के रूप में प्रयोग में लिया जाता है.

पानी की कमी ने बनाए विकट हालातः पुष्कर में लगातार कम हो रही गुलाब की खेती का कारण पानी की कमी है. कृषि पर्यवेक्षक विष्णु सांखला ने बताया कि जल के लगातार दोहन के कारण पुष्कर में भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे जा चुका है. गुलाब की खेती के लिए जल की आवश्यकता होती है. यही वजह है कि बीते एक दशक से लगातार गुलाब की खेती कम होती जा रही है. उन्होंने बताया कि एक दशक पहले तक पुष्कर क्षेत्र में 2000 हेक्टेयर भूमि पर गुलाब की खेती हुआ करती थी. वर्तमान में 800 हेक्टेयर भूमि पर गुलाब की खेती हो रही है. सांखला ने बताया कि पुष्कर के कई क्षेत्रों में भूमिगत जल स्तर 600 से 800 फीट तक पहुंच चुका है, जो काफी चिंतनीय है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग गुलाब की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी के साथ-साथ ड्रिप सिस्टम से भी गुलाब की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है. उन्होंने बताया कि आगामी कुछ सालों में पुष्कर में भूमिगत जल स्तर में लगातार गिरावट होती रही तो पुष्कर से हमेशा के लिए फूलों का राजा गुलाब लुप्त हो जाएगा.

गुलाब की खेती करने वाले काश्तकारों की यह समस्याएंः पुष्कर क्षेत्र में चावंडिया गांव के किसान उम्मीद सिंह रावत बताते हैं कि गुलाब खेती बीते एक दशक में आधी से भी कम रह गई है. किसान पानी की कमी की वजह से गुलाब की खेती नही कर पा रहे हैं. किसानों ने इसके अलावा कई अन्य समस्याएं भी बताई. जिनमें किसानों को गुलाब की पौध काफी महंगी मिलने, गुलाब की तैयार पौध खरीदने के लिए कोई सब्सिडी नहीं मिलने जैसी बातें शामिल हैं. किसानों ने बताया कि गुलाब की खेती करने में खर्चा भी काफी आता है. किसान ने कहा कि सरकार की ओर से गुलाब की खेती के लिए कोई अनुदान नहीं दिया जाता. सिंचाई के लिए बिजली ही काफी महंगी पड़ती है. उन्होंने बताया कि पानी की कमी के कारण किसान गुलाब की खेती छोड़ने को मजबूर है. पुष्कर में सिंचाई के लिए नहर का पानी लाया जाए तो यहां गुलाब की खेती का क्षेत्रफल वर्तमान के मुकाबले कई गुना बढ़ सकता है. वरना यही हालात रहे तो आगामी वर्षों में पुष्कर में गुलाब देखने को भी नहीं मिलेगा.

व्यापारियों में भी है चिंताः पुष्कर में गुलाब जल, गुलकंद और इत्र बनाने की छोटी-बड़ी 100 से अधिक यूनिट हैं. पुष्कर में गुलाब की खेती कम होने के कारण व्यापारियों को भी भविष्य की चिंता सताने लगी है. पुष्कर में गुलाब से निर्मित विभिन्न उत्पादों का व्यापार करने वाले व्यापारी वेणुगोपाल मंत्री ने बताया कि पुष्कर का गुलाबी गुलाब की डिमांड देश के विभिन्न राज्यों के अलावा गल्फ देशों, यूरोप के कई देशों समेत अमेरिका में भी है. उन्होंने बताया कि पुष्कर में सालाना दो से तीन सौ करोड़ रुपए का कारोबार गुलाब से निर्मित उत्पादों से होता है. उन्होंने बताया कि गुलाब की खेती का क्षेत्रफल लगातार कम होने से किसानों में ही नहीं व्यापारियों ने भी चिंता बनी हुई है. पुष्कर में किसानों को सिंचाई के लिए पानी की परियोजना लाने के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए.

ब्रह्मा की नगरी के गुलाब चढ़ते हैं ख्वाजा की मजार परः सांप्रदायिक सद्भाव की नगरी अजमेर में पुष्कर ब्रह्मा की नगरी है. यहां के गुलाब से ही अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह महकती है. ये सांप्रदायिक सद्भाव की सबसे बड़ी मिसाल है. दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर पेश होने गुलाब की डिमांड को पुष्कर पूरा करता है.

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