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Rajasthan assembly Election 2023: अजमेर संभाग में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को बागियों से मिल रही है चुनौती, जानिए आठों सीटों के सियासी हाल - बागियों से परेशान

अजमेर में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों को अपनों से ही चुनोती मिल रही है. अजमेर में भाजपा ने 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, जबकि कांग्रेस ने अभी तक तीन सीटों पर ही उम्मीदवार घोषित किए हैं. अजमेर संभाग के सभी सीटों का गणित जानने के लिए पूरी रिपोर्ट पढ़ें.

Rajasthan assembly Election 2023
बागियों से मिल रही है चुनौती
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 30, 2023, 7:23 PM IST

अजमेर. राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होने में एक महीने से भी कम का समय बचा हुआ है. सियासी दलों के महारथियों ने चुनावी मैदान में ताल ठोक दी है. सोमवार से नामंकन प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई. दोनों प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस में टिकट फाइनल करने को लेकर माथापच्ची जारी है. अजमेर की सियासत में उबाल भी आने लगा है. इस बीच कांग्रेस और भाजपा में बागियों ने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस और भाजपा दोनों को चुनाव में डैमेज का डर भी सता रहा है.

दोनों प्रमुख दलों के अलावा अन्य राजनीतिक दल भी गणित बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.अजमेर की आठ विधानसभा सीटों में से 7 पर भाजपा अपना कैंडिडेट घोषित कर चुकी है, जबकि मसूदा सीट को लेकर भाजपा में कशमकश जारी है. वहीं कांग्रेस को अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, नसीराबाद, किशनगढ़ और ब्यावर सीट पर उम्मीदवार तय करने में खासी माथपच्ची करनी पड़ रही है. कांग्रेस पार्टी ने केकड़ी, पुष्कर और मसूदा से उम्मीदवारों की घोषणा पहले कर दी है.

पढ़ें:Rajasthan assembly Election 2023: वसुंधरा राजे का राहुल-प्रियंका पर तंज, बोलीं- दोनों भाई-बहन से डर लगता है, जनता को कुछ भी कह कर चले जाते हैं

अजमेर उत्तर विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है. भाजपा ने वासुदेव देवनानी को यहां से मैदान में उतारा है. देवनानी को भाजपा ने पांचवीं बार लगातार टिकट दिया है. पार्टी के भरोसे पर भी देवनानी कायम रहे हैं और विगत 20 वर्षों से देवनानी क्षेत्र से विधायक हैं. देवनानी के कार्य शैली और क्षेत्र के विकास को लेकर उनकी ही पार्टी के लोग उनसे नाराज हैं. क्षेत्र में चार बार नगर निगम के पार्षद रहे वरिष्ठ भाजपा नेता ज्ञान सारस्वत ने बागी तेवर अपनाते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोकने का मन बनाया है. सारस्वत के मैदान में उतरने से देवनानी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. अजमेर उत्तर से कांग्रेस किसी सिंधी को मैदान में उतर सकती है. साध्वी अनादि सरस्वती का नाम अचानक चर्चा में आ गया है. दरअसल इससे पहले साध्वी अनादि सरस्वती ने भाजपा से भी टिकट मांगा था. चर्चा यह है कि सचिन पायलट साध्वी अनादि के टिकट की पैरवी कर रहे थे, लेकिन विरोधियों ने एआईसीसी को साध्वी अनादि की कुंडली सौंप दी. हालांकि, आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र सिंह राठौड़ और पिछले चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.

अजमेर दक्षिण विधानसभा सीट से भाजपा ने पांचवीं बार अनीता भदेल को मैदान में उतारा है. भदेल 20 वर्षों में चार बार क्षेत्र की विधायक रह चुकी हैं. भाजपा कार्यकर्ताओं में भदेल को लेकर नाराजगी है. पूर्व शहर अध्यक्ष डॉ प्रियशील हाड़ा और भदेल के बीच पुरानी अदावत का असर इस बार चुनाव में देखने को मिल सकता है. डॉ हाड़ा की पत्नी ब्रज लता हाड़ा भाजपा से नगर निगम की चेयरमैन है. हाड़ा दंपती ने भाजपा से टिकट की दावेदारी की थी. इधर कांग्रेस में टिकट को लेकर अभी भी माथापच्ची जारी है. कांग्रेस ने विगत दो चुनाव में उद्योगपति और पीसीसी सदस्य हेमंत भाटी को मैदान में उतारा था. इस बार भी हेमंत भाटी को टिकट मिलने की चर्चा है. पूर्व मंत्री ललित भाटी की पत्नी चंद्रा भाटी और सेवादल अध्यक्ष एवं नगर निगम में प्रतिपक्ष नेता द्रौपदी कोली के नाम भी चर्चा में हैं.

पढ़ें:Rajasthan Election : विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू, बड़े नेता शुभ मुहूर्त में करेंगे नामांकन

पुष्कर विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा ने पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है. भाजपा ने सुरेश सिंह रावत को मैदान में उतारा है. रावत पिछला दो चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि रावत का उनकी ही पार्टी में विरोध काम नहीं है. भाजपा नेता और कभी सुरेश सिंह रावत के करीबी रहे अशोक सिंह रावत ने बगावत कर आरएलपी का दामन थाम लिया है. बता दें कि पुष्कर क्षेत्र रावत बाहुल्य है. ऐसे में रावत वोटों में सेंध लगने का खतरा भाजपा को रहेगा. इधर कांग्रेस ने लगातार चौथी बार नसीम अख्तर इंसाफ को टिकट दिया है. पिछले तीन चुनाव में पहला चुनाव नसीम अख्तर जीतीं थीं उसके बाद लगातार दो चुनाव नसीम अख्तर हार चुकी हैं. चुनाव में नसीम अख्तर को टिकट देने से नाराज डॉ श्री गोपाल बाहेती ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. ऐसे में कांग्रेस भी बगावत से अछूती नहीं है. बता दें कि डॉ बाहेती पुष्कर से विधायक भी रह चुके हैं.

किशनगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा ने अजमेर लोकसभा सांसद भागीरथ चौधरी को अपना कैंडिडेट बनाया है. चौधरी दो बार किशनगढ़ से विधायक भी रह चुके हैं. भागीरथ चौधरी को टिकट मिलने से नाराज विगत चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी विकास चौधरी ने भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. विकास चौधरी को कांग्रेस से टिकट मिलने की चर्चा जोरों पर है. वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट के करीबी राजू गुप्ता का नाम भी चर्चा में है. किशनगढ़ सीट पर कांग्रेस को नाम फाइनल करने में गुणा-गणित करना पड़ा रहा है. इधर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सुरेश टांक भी ताल ठोकने के लिए तैयार बैठे हैं.

पढ़ें:Rajasthan assembly Election 2023 : राजनीति का 'चस्का'!, सरकारी नौकरी छोड़ बने विधायक और मंत्री, अभी भी कतार में हैं कई कार्मिक

ब्यावर विधानसभा क्षेत्र से शंकर सिंह रावत पर भाजपा ने चौथी बार भरोसा जताया है. शंकर सिंह रावत तीन बार से लगातार विधायक हैं. इस बार शंकर सिंह रावत को टिकट देने से उन्हीं के पार्टी के लोग नाराज हैं. भाजपा नेता महेंद्र सिंह रावत ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतरने का फैसला किया है. बता दें कि ब्यावर रावत बाहुल्य इलाका है, ऐसे में महेंद्र सिंह रावत यदि चुनाव में डटे रहते हैं तो रावत वोट बैंक पर वह सेंध लगा सकते हैं. ब्यावर सीट पर कांग्रेस ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है.

मसूदा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने राकेश पारीक को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. साल 2018 के चुनाव में राकेश पारीक ने इस सीट अपना परचम लहराया था. हालांकि उनको कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक ब्रह्मदेव कुमावत चुनौती दे रहे हैं. ब्रह्मदेव कुमावत और काठात समाज में मजबूत पकड़ बनाए रखने वाले वाजिद चीता ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इधर भाजपा में भी टिकट को लेकर कशमकश जारी है. भाजपा से निलंबित नेता भंवर सिंह पलाड़ा और उनकी पत्नी जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा टिकट की आस लगाए बैठे हैं.

नसीराबाद विधानसभा सीट से रामस्वरूप लांबा भाजपा के टिकट पर दूसरी बार चुनाव में हैं.रामस्वरूप लांबा जाट नेता और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सांवरलाल जाट के पुत्र हैं, हालांकि यहां टिकट नहीं मिलने से दावेदारों में नाराजगी है लेकिन खुलकर बगावत करने की हिम्मत नहीं हो पा रही है. इधर कांग्रेस में टिकट को लेकर जोड़-तोड़ हो रही है. यहां पांडिचेरी के उपराज्यपाल रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता गोविंद सिंह गुर्जर के ममेरे भाई महेंद्र सिंह गुर्जर और रामनारायण गुर्जर टिकट के प्रबल दावेदार हैं.

पढ़ें:Rajasthan assembly Election 2023 : मेवाड़ में बीजेपी अपनों की बगावत से परेशान,सीपी जोशी के क्षेत्र चितौड़ में आक्या ने दिखाए तेवर

केकड़ी विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा ने अपने प्रत्याशियों के नाम पहले ही घोषित कर चुके हैं. केकड़ी में कांग्रेस से एकमात्र डॉ रघु शर्मा ने टिकट के लिए दावेदारी की थी. हालांकि केकड़ी नगर पालिका में कांग्रेस से पार्षद जितेंद्र बोयत ने आरएलपी गठबंधन से चुनाव लड़ने की घोषणा की है. ऐसा माना जा रहा है कि डॉ रघु शर्मा को कुछ वोट बैंक पर असर पड़ेगा तो वहीं आरएलपी के साथ कुछ जाट वोट जाते है तो नुकसान भाजपा को भी होने की संभावना है. बता दें कि यहां भाजपा ने पुराने चेहरे पूर्व विधायक शत्रुघ्न गौतम को मैदान में उतारा है.

अजमेर में सचिन पायलट का प्रभाव: अजमेर जिले में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का खासा प्रभाव है .पायलट यहां से सांसद रह चुके हैं. विगत विधानसभा चुनाव में केकड़ी को छोड़कर पायलट ने अजमेर की 7 सीटों पर टिकट दिए थे. बता दें कि केकड़ी और मसूदा के अलावा सभी जगह पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. फिलहाल अजमेर में पुष्कर, मसूदा और केकड़ी से कांग्रेस ने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. इन टिकट को देखकर लग रहा है कि अजमेर में सचिन पायलट की इच्छा को तरजीह दी जा रही है. हालांकि इससे गहलोत गुट भी खामोश नहीं बैठा है. गहलोत गुट के कुछ लोगों ने बगावत का झंडा थाम लिया है.

अजमेर. राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होने में एक महीने से भी कम का समय बचा हुआ है. सियासी दलों के महारथियों ने चुनावी मैदान में ताल ठोक दी है. सोमवार से नामंकन प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई. दोनों प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस में टिकट फाइनल करने को लेकर माथापच्ची जारी है. अजमेर की सियासत में उबाल भी आने लगा है. इस बीच कांग्रेस और भाजपा में बागियों ने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस और भाजपा दोनों को चुनाव में डैमेज का डर भी सता रहा है.

दोनों प्रमुख दलों के अलावा अन्य राजनीतिक दल भी गणित बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.अजमेर की आठ विधानसभा सीटों में से 7 पर भाजपा अपना कैंडिडेट घोषित कर चुकी है, जबकि मसूदा सीट को लेकर भाजपा में कशमकश जारी है. वहीं कांग्रेस को अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, नसीराबाद, किशनगढ़ और ब्यावर सीट पर उम्मीदवार तय करने में खासी माथपच्ची करनी पड़ रही है. कांग्रेस पार्टी ने केकड़ी, पुष्कर और मसूदा से उम्मीदवारों की घोषणा पहले कर दी है.

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अजमेर उत्तर विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है. भाजपा ने वासुदेव देवनानी को यहां से मैदान में उतारा है. देवनानी को भाजपा ने पांचवीं बार लगातार टिकट दिया है. पार्टी के भरोसे पर भी देवनानी कायम रहे हैं और विगत 20 वर्षों से देवनानी क्षेत्र से विधायक हैं. देवनानी के कार्य शैली और क्षेत्र के विकास को लेकर उनकी ही पार्टी के लोग उनसे नाराज हैं. क्षेत्र में चार बार नगर निगम के पार्षद रहे वरिष्ठ भाजपा नेता ज्ञान सारस्वत ने बागी तेवर अपनाते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोकने का मन बनाया है. सारस्वत के मैदान में उतरने से देवनानी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. अजमेर उत्तर से कांग्रेस किसी सिंधी को मैदान में उतर सकती है. साध्वी अनादि सरस्वती का नाम अचानक चर्चा में आ गया है. दरअसल इससे पहले साध्वी अनादि सरस्वती ने भाजपा से भी टिकट मांगा था. चर्चा यह है कि सचिन पायलट साध्वी अनादि के टिकट की पैरवी कर रहे थे, लेकिन विरोधियों ने एआईसीसी को साध्वी अनादि की कुंडली सौंप दी. हालांकि, आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र सिंह राठौड़ और पिछले चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.

अजमेर दक्षिण विधानसभा सीट से भाजपा ने पांचवीं बार अनीता भदेल को मैदान में उतारा है. भदेल 20 वर्षों में चार बार क्षेत्र की विधायक रह चुकी हैं. भाजपा कार्यकर्ताओं में भदेल को लेकर नाराजगी है. पूर्व शहर अध्यक्ष डॉ प्रियशील हाड़ा और भदेल के बीच पुरानी अदावत का असर इस बार चुनाव में देखने को मिल सकता है. डॉ हाड़ा की पत्नी ब्रज लता हाड़ा भाजपा से नगर निगम की चेयरमैन है. हाड़ा दंपती ने भाजपा से टिकट की दावेदारी की थी. इधर कांग्रेस में टिकट को लेकर अभी भी माथापच्ची जारी है. कांग्रेस ने विगत दो चुनाव में उद्योगपति और पीसीसी सदस्य हेमंत भाटी को मैदान में उतारा था. इस बार भी हेमंत भाटी को टिकट मिलने की चर्चा है. पूर्व मंत्री ललित भाटी की पत्नी चंद्रा भाटी और सेवादल अध्यक्ष एवं नगर निगम में प्रतिपक्ष नेता द्रौपदी कोली के नाम भी चर्चा में हैं.

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पुष्कर विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा ने पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है. भाजपा ने सुरेश सिंह रावत को मैदान में उतारा है. रावत पिछला दो चुनाव जीत चुके हैं. हालांकि रावत का उनकी ही पार्टी में विरोध काम नहीं है. भाजपा नेता और कभी सुरेश सिंह रावत के करीबी रहे अशोक सिंह रावत ने बगावत कर आरएलपी का दामन थाम लिया है. बता दें कि पुष्कर क्षेत्र रावत बाहुल्य है. ऐसे में रावत वोटों में सेंध लगने का खतरा भाजपा को रहेगा. इधर कांग्रेस ने लगातार चौथी बार नसीम अख्तर इंसाफ को टिकट दिया है. पिछले तीन चुनाव में पहला चुनाव नसीम अख्तर जीतीं थीं उसके बाद लगातार दो चुनाव नसीम अख्तर हार चुकी हैं. चुनाव में नसीम अख्तर को टिकट देने से नाराज डॉ श्री गोपाल बाहेती ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. ऐसे में कांग्रेस भी बगावत से अछूती नहीं है. बता दें कि डॉ बाहेती पुष्कर से विधायक भी रह चुके हैं.

किशनगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा ने अजमेर लोकसभा सांसद भागीरथ चौधरी को अपना कैंडिडेट बनाया है. चौधरी दो बार किशनगढ़ से विधायक भी रह चुके हैं. भागीरथ चौधरी को टिकट मिलने से नाराज विगत चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी विकास चौधरी ने भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. विकास चौधरी को कांग्रेस से टिकट मिलने की चर्चा जोरों पर है. वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट के करीबी राजू गुप्ता का नाम भी चर्चा में है. किशनगढ़ सीट पर कांग्रेस को नाम फाइनल करने में गुणा-गणित करना पड़ा रहा है. इधर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सुरेश टांक भी ताल ठोकने के लिए तैयार बैठे हैं.

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ब्यावर विधानसभा क्षेत्र से शंकर सिंह रावत पर भाजपा ने चौथी बार भरोसा जताया है. शंकर सिंह रावत तीन बार से लगातार विधायक हैं. इस बार शंकर सिंह रावत को टिकट देने से उन्हीं के पार्टी के लोग नाराज हैं. भाजपा नेता महेंद्र सिंह रावत ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतरने का फैसला किया है. बता दें कि ब्यावर रावत बाहुल्य इलाका है, ऐसे में महेंद्र सिंह रावत यदि चुनाव में डटे रहते हैं तो रावत वोट बैंक पर वह सेंध लगा सकते हैं. ब्यावर सीट पर कांग्रेस ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है.

मसूदा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने राकेश पारीक को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. साल 2018 के चुनाव में राकेश पारीक ने इस सीट अपना परचम लहराया था. हालांकि उनको कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक ब्रह्मदेव कुमावत चुनौती दे रहे हैं. ब्रह्मदेव कुमावत और काठात समाज में मजबूत पकड़ बनाए रखने वाले वाजिद चीता ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इधर भाजपा में भी टिकट को लेकर कशमकश जारी है. भाजपा से निलंबित नेता भंवर सिंह पलाड़ा और उनकी पत्नी जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा टिकट की आस लगाए बैठे हैं.

नसीराबाद विधानसभा सीट से रामस्वरूप लांबा भाजपा के टिकट पर दूसरी बार चुनाव में हैं.रामस्वरूप लांबा जाट नेता और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सांवरलाल जाट के पुत्र हैं, हालांकि यहां टिकट नहीं मिलने से दावेदारों में नाराजगी है लेकिन खुलकर बगावत करने की हिम्मत नहीं हो पा रही है. इधर कांग्रेस में टिकट को लेकर जोड़-तोड़ हो रही है. यहां पांडिचेरी के उपराज्यपाल रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता गोविंद सिंह गुर्जर के ममेरे भाई महेंद्र सिंह गुर्जर और रामनारायण गुर्जर टिकट के प्रबल दावेदार हैं.

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केकड़ी विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा ने अपने प्रत्याशियों के नाम पहले ही घोषित कर चुके हैं. केकड़ी में कांग्रेस से एकमात्र डॉ रघु शर्मा ने टिकट के लिए दावेदारी की थी. हालांकि केकड़ी नगर पालिका में कांग्रेस से पार्षद जितेंद्र बोयत ने आरएलपी गठबंधन से चुनाव लड़ने की घोषणा की है. ऐसा माना जा रहा है कि डॉ रघु शर्मा को कुछ वोट बैंक पर असर पड़ेगा तो वहीं आरएलपी के साथ कुछ जाट वोट जाते है तो नुकसान भाजपा को भी होने की संभावना है. बता दें कि यहां भाजपा ने पुराने चेहरे पूर्व विधायक शत्रुघ्न गौतम को मैदान में उतारा है.

अजमेर में सचिन पायलट का प्रभाव: अजमेर जिले में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का खासा प्रभाव है .पायलट यहां से सांसद रह चुके हैं. विगत विधानसभा चुनाव में केकड़ी को छोड़कर पायलट ने अजमेर की 7 सीटों पर टिकट दिए थे. बता दें कि केकड़ी और मसूदा के अलावा सभी जगह पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. फिलहाल अजमेर में पुष्कर, मसूदा और केकड़ी से कांग्रेस ने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. इन टिकट को देखकर लग रहा है कि अजमेर में सचिन पायलट की इच्छा को तरजीह दी जा रही है. हालांकि इससे गहलोत गुट भी खामोश नहीं बैठा है. गहलोत गुट के कुछ लोगों ने बगावत का झंडा थाम लिया है.

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