अजमेर. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद 30 मई को प्रधानमंत्री की शपथ दिलाई जाएगी. वहीं नई केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले सांसदों को लेकर उहापोह की स्थिति है. कई दिग्गज ऐसे हैं जिनको लेकर चर्चा का बाजार गर्म है. कयास लगाए जा रहे हैं कि अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी और हनुमान बेनीवाल में से किसी एक लॉटरी खुल सकती है.
बता दें कि अजमेर से 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार में अजमेर सांसद सांवरलाल जाट को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था. वहीं नागौर से सांसद सीआर चौधरी को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली थी. इसलिए यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी या नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल में से किसी एक की लॉटरी इस बार खुल सकती है. राजस्थान की राजनीति में जाट समुदाय का दबदबा है, ऐसे में यह तो तय है कि राजस्थान से जाट चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है.
भागीरथ चौधरी पहली बार लोकसभा का चुनाव के मैदान में थे. उम्मीद से ज्यादा मतों से उनकी रिकॉर्ड जीत हुई है. इससे पहले चौधरी किशनगढ़ से दो बार विधायक भी रह चुके हैं. वहीं जाट समुदाय में उनकी छवि एक विनम्र नेता के रूप में है. ऐसे में चौधरी को मंत्री बनाने की संभावना बन रही है. चौधरी को दिवंगत सांवरलाल जाट के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है.
दरअसल सांवरलाल जाट क्षेत्र के कद्दावर जाट नेता थे. उनके निधन के बाद बीजेपी ने उपचुनाव में उनके पुत्र रामस्वरूप लांबा को अजमेर लोकसभा सीट से ही मैदान में उतारा था, लेकिन वे चुनाव हार गए. इसके बाद क्षेत्र में बीजेपी को बड़े जाट नेता की कमी खल रही थी. लिहाजा जाट के विकल्प के तौर पर भागीरथ चौधरी को लोकसभा का टिकट दिया गया. भागीरथ चौधरी को टिकट दिलाने में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. चौधरी का विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से टिकट काटा गया था तब वसुंधरा राजे ने अजमेर लोकसभा सीट से उन्हें टिकट दिए जाने का भरोसा दिलाया था.
अब जीत दर्ज करने के बाद राजे भागीरथ चौधरी का नाम शीर्ष नेतृत्व को मंत्रीमंडल में शामिल किए जाने को लेकर भेज सकती हैं. हालांकि पड़ोसी जिले नागौर लोकसभा सीट से विजयी एनडीए प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल का नाम भी चर्चा में है. बेनीवाल ने एनडीए के साथ अपनी पार्टी आरएलपी का गठबंधन किया था. बेनीवाल ने ना सिर्फ कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को हराया बल्कि 6 सीटों पर भी जाट समुदाय को भाजपा के पक्ष में लाने में वह कामयाब हुए.
हनुमान बेनीवाल की छवि तेज तर्रार नेताओं में है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ उनकी पटरी नहीं बैठती. इसके बावजूद पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री सीआर चौधरी का टिकट काटकर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें उनकी पार्टी को एनडीए में शामिल किया और बेनीवाल को नागौर से टिकट दिया. गठबंधन की उम्मीदों पर बेनीवाल खरा भी उतरे. मिर्धा को उन्होंने नागौर लोकसभा सीट से मात दी है. ऐसे में माना जा रहा है कि सहयोगी पार्टी के नाते सम्मान देते हुए बेनीवाल को मंत्री पद से नवाजा जा सकता है. अब देखने वाली बात यह होगी कि मोदी के मंत्रिमंडल में तेजतर्रार नेता हनुमान बेनीवाल का मौका मिलता है या भागीरथ चौधरी को.