अजमेर. पूर्व पार्षद सवाई सिंह तंवर की हत्या के मामले में सोमवार को पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया (Former councilor Sawai Singh murder case) है. हत्या के दोनों आरोपियों को पुष्कर पुलिस ने सोमवार को कोर्ट में पेश किया. यहां से दोनों आरोपियों को 4 दिन की रिमांड पर लिया गया है. पुलिस हत्या के तीसरे आरोपी धर्म प्रताप सिंह की तलाश कर रही है.
अजमेर ग्रामीण सीओ सलाम खान ने बताया कि हत्याकांड का मुख्य आरोपी सूर्य प्रताप सिंह पहले ही गिरफ्तार हो चुका है. पूर्व पार्षद सवाई सिंह की रेकी करने वाला विनय प्रताप सिंह को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. दोनों आरोपियों को सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया है. यहां से दोनों को 4 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है. उन्होंने बताया कि पुष्कर थाने और जिला स्पेशल टीम कि कार्रवाई से पूर्व पार्षद सवाई सिंह हत्याकांड के दो नामजद आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, जबकि मुकदमे में नामजद धर्म प्रताप सिंह की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वारदात में प्रयुक्त देसी पिस्टल और तीन जिंदा कारतूस के अलावा एक बाइक भी बरामद की गई है.
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विनय प्रताप ने की थी 1 हफ्ते तक रेकी : हत्याकांड में गिरफ्तार दूसरा आरोपी विनय प्रताप सिंह (One More Accused arrested in Sawai Singh murder case) है. मुख्य आरोपी सूर्य प्रताप सिंह का चचेरा भाई ज्वाला प्रसाद नगर मदार क्षेत्र का निवासी विनय प्रताप सिंह है. वारदात को अंजाम देने से पहले आरोपी विनय पूर्व पार्षद सवाई सिंह की रेकी कर रहा था. वो सवाई सिंह के घर से आने-जाने पर पूरी नजर रखे हुए था. वारदात के दिन भी विनय प्रताप सिंह भी साथ में था.
ये है मामला : पलटन बाजार निवासी पूर्व पार्षद सवाई सिंह और उसके एक साथी दिनेश तिवाडी पर गोली चलाई थी. घटना में पूर्व पार्षद की मौत हो गई. गोली तिवाडी के सीने के नीचे लगी और उसे जेएलएन अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती करवाया गया. यहां उसका उपचार चल रहा है. पुष्कर पुलिस को दिए बयान में पाल बिचला निवासी पीड़ित दिनेश तिवाडी ने बताया कि 7 जनवरी को वह सवाई सिंह, हरि सिंह और खलीक के साथ शादी के कार्ड बांटने पीह गांव गए थे. आते वक्त सभी फ्रेश होने के लिए युवराज रिसोर्ट बासेली रुके थे. यहां तीन चार लोग युवराज रिसोर्ट के अंदर आए और पीछे की तरफ गए. इसके बाद वापस आए और पीछे से सवाई सिंह को गोली मार दी.
रिपोर्ट में तिवाड़ी ने पुलिस को बताया कि सवाई सिंह सहित हम सभी लोग लॉन में बैठे थे. इतने में एक बदमाश ने सवाई सिंह के पेट में गोली मारी. उन 3 लोगों के पास रिवाल्वर थी. इनमें से एक ने हेलमेट लगा रखा था. उसने हेलमेट उतार कर कहा कि हम भाइयों ने हमारे पिता मदन सिंह का बदला ले लिया है. आरोपी अपने आपको मदन सिंह के बेटे बता रहे थे. उन्होंने पुलिस को बताया कि गोलीकांड में पूर्व पार्षद सवाई सिंह वहीं पर बेहोश हो गए. बदमाशों को वहां पर उपस्थित लोगों ने पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह भाग गए. तिवाडी और सवाई सिंह को साथी खालिक और होटल मालिक हरि सिंह ने पुष्कर अस्पताल पहुंचाया.
मरे बाप का बदला लिया, फक्र है : मुख्य आरोपी सूर्य प्रताप सिंह की पत्नी नीमा सिंह ने आरोप लगाया है कि परिवार की महिलाओं के साथ पुलिस का बर्ताव अच्छा नहीं है. 32 वर्ष पहले ससुर मदन सिंह कांड में यदि पुलिस ने कार्रवाई की होती तो आज यह घटना नहीं होती. मदन सिंह हत्याकांड के मुख्य आरोपी सवाई सिंह थाने का हिस्ट्रीशीटर है. उसके खिलाफ हत्या समेत कई मुकदमे दर्ज हैं. पूर्व विधायक डॉ राजकुमार जयपाल, नरेंद्र सिंह उर्फ पपसा सुमित भाई लोग मदन सिंह हत्याकांड में शामिल थे. उन्होंने कहा कि सूर्य प्रताप और धर्म प्रताप ने क्या किया, कैसे किया यह परिवार के लोगों को नहीं पता. परिवार की महिलाएं थाने में मिलने आई, लेकिन पुलिस का बर्ताव अच्छा नहीं था. उन्होंने कहा कि एक बार पुलिस को मदन सिंह हत्याकांड की फाइल जरूर देख लेनी चाहिए.
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कार्रवाई हुई होती तो आज यह गोलीकांड न होता : मदन सिंह की बहनों का आरोप है कि मदन सिंह हत्याकांड के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. मंजू कंवर ने बताया कि 32 वर्ष पहले सवाई सिंह तंवर, नरेंद्र सिंह पपसा, डॉ राजकुमार जयपाल ने अस्पताल में भर्ती मदन सिंह पर सरेआम गोलियां चलवाई थी. कांग्रेस ने ऐसे ही आरोपी डॉक्टर राजकुमार जयपाल को टिकट दे दिया. पुलिस कार्रवाई से बचने के बाद सवाई सिंह पैसे वाला बन गया.
उन्होंने कहा कि डॉ जितेंद्र चौधरी जो मदन सिंह हत्याकांड में शामिल था वह आज भी डॉक्टर के पद पर कार्यरत है. इन आरोपियों को सजा तक नहीं मिली. मदन सिंह की दूसरी बहन सावित्री देवी ने बताया कि आरोपी मदन सिंह पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहे थे. तब मदन सिंह की मां ने एक आरोपी डॉ जितेंद्र सिंह के पैर पकड़ लिए थे. मेरे भाई को इन आरोपियों ने 15 गोलियां मारी थी. दोनों बहनों ने मोदी सरकार से भी मांग की है कि सन 1992 में अजमेर में हुए ब्लैकमेल कांड की दोबारा से जांच करवाएं.