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अजमेर में धार्मिक स्थलों को खोलने को लेकर बैठक

अजमेर के कलेक्ट्रेट सभागार में सोमवार को जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा की अध्यक्षता में विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक हुई. बैठक के दौरान विभिन्न धार्मिक स्थलों को खोलने के लिए व्यवस्थाओं के संबंध में चर्चा की गई. बैठक के दौरान धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि गाइडलाइंस के अनुसार ही मंदिरों, मजिस्दों और अन्य धार्मिक संस्थाओं को खोला जाएगा.

अजमेर में धार्मिक स्थल, Ajmer News
अजमेर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में धार्मिक स्थलों को खोलने के मद्देनजर हुई बैठक
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Published : Jun 16, 2020, 4:58 AM IST

अजमेर. कलेक्ट्रेट सभागार में सोमवार को जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा की अध्यक्षता में विभिन्न धार्मिक संस्थानों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई. पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप भी बैठक में उपस्थित थे. बैठक के दौरान आगामी दिनों में विभिन्न धार्मिक स्थलों को खोलने के लिए व्यवस्थाओं के संबंध में चर्चा की गई.

अजमेर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में धार्मिक स्थलों को खोलने के मद्देनजर हुई बैठक

जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा ने कहा कि धार्मिक स्थलों में कोरोना से बचाव के लिए अनिवार्य सुरक्षात्मक उपायों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न गतिविधियों (जैसे- पूजा-अर्चना, इबादत और जियारत) की अनुमति दी जाएगी. इस संबंध में सरकार की ओर से जारी की जाने वाली मानक संचालन प्रक्रिया की पालना सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने कहा कि समस्त धर्मो के रीति रिवाज एवं परंपराएं अलग-अलग होती है. इनका निर्वहन करने के साथ-साथ कोरोना के प्रसार को रोकना भी सामूहिक जिम्मेदारी है.

जिला कलेक्टर ने बताया कि धार्मिक स्थलों की परंपराओं के अनुसार उन्हें खोलने और प्रबंधन के लिए अलग-अलग कार्य योजना होगी. संबंधित संस्था द्वारा स्थानीय संसाधनों और आने-वाले श्रद्धालुओं की संख्या के अनुरूप कार्य योजना बनाई जाएगी. उन्होंने बताया कि मंदिर और मस्जिद में सीमित संख्या में लोगों के प्रवेश की अनुमति होगी. मास्क पहनने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी होगी. सैनिटाइजर, हाथ धोने और थर्मल स्कीनिंग की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी होगी. 65 साल से अधिक आयु, 10 साल से कम आयु और गर्भवती महिलाओं के प्रवेश पर रोक होगी. प्रसाद और माला ले जाने पर भी रोक होगी. धर्मग्रंथ और घंटी को हाथ लगाने पर रोक होगी.

पढ़ें: राजस्थान लेखा सेवा के 5 अधिकारियों का तबादला, देखें लिस्ट...

साथ ही जिला कलेक्टर ने कहा कि अन्य उपायों के लिए विभिन्न धार्मिक संस्थाओं से प्राप्त सुझावों के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को भेजी जाएगी. जिले के ऎसे धार्मिक स्थलों को सूचीबद्ध किया जा रहा है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं. जिले के समस्त धार्मिक स्थलों में प्रबंधकीय व्यवस्था, उत्तरदायित्व, आस-पास एवं भीतर की गतिविधियों के संबंध में भी कार्य योजना बनाई जाएगी. चर्चा के बाद तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया जाएगा कि धार्मिक स्थलों को कब और किस प्रकार से खोला जाए.

वहीं, बैठक में धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए राज्य सरकार की गाइडलाइंस की पूरी पालना सुनिश्चित की जाएगी. गाइडलाइंस के अनुसार ही मंदिरों, मजिस्दों और अन्य धार्मिक संस्थाओं को खोला जाएगा. राज्य सरकार और जिला प्रशासन द्वारा जो भी निर्देश दिए जाएंगे, उनका पालन होगा.

बैठक में अतिरिक्त जिला कलेक्टर शहर विशाल दवे, सलेमाबाद के अखिल भारतीय निम्बार्काचार्य पीठ से रवि शंकर शास्त्री, बजरंगगढ़ मंदिर से रणजीत मल लोढा, अंबे माता मंदिर से राजेश टंडन, मसानिया भैरवधाम राजगढ़ से बीएल. गोदारा, सीएमएचओ डॉ. केके सोनी, देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त गिरीश बच्छानी और पर्यटन विभाग के प्रद्युम्न देथा उपस्थित रहे.

अजमेर. कलेक्ट्रेट सभागार में सोमवार को जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा की अध्यक्षता में विभिन्न धार्मिक संस्थानों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई. पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप भी बैठक में उपस्थित थे. बैठक के दौरान आगामी दिनों में विभिन्न धार्मिक स्थलों को खोलने के लिए व्यवस्थाओं के संबंध में चर्चा की गई.

अजमेर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में धार्मिक स्थलों को खोलने के मद्देनजर हुई बैठक

जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा ने कहा कि धार्मिक स्थलों में कोरोना से बचाव के लिए अनिवार्य सुरक्षात्मक उपायों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न गतिविधियों (जैसे- पूजा-अर्चना, इबादत और जियारत) की अनुमति दी जाएगी. इस संबंध में सरकार की ओर से जारी की जाने वाली मानक संचालन प्रक्रिया की पालना सुनिश्चित की जाएगी. उन्होंने कहा कि समस्त धर्मो के रीति रिवाज एवं परंपराएं अलग-अलग होती है. इनका निर्वहन करने के साथ-साथ कोरोना के प्रसार को रोकना भी सामूहिक जिम्मेदारी है.

जिला कलेक्टर ने बताया कि धार्मिक स्थलों की परंपराओं के अनुसार उन्हें खोलने और प्रबंधन के लिए अलग-अलग कार्य योजना होगी. संबंधित संस्था द्वारा स्थानीय संसाधनों और आने-वाले श्रद्धालुओं की संख्या के अनुरूप कार्य योजना बनाई जाएगी. उन्होंने बताया कि मंदिर और मस्जिद में सीमित संख्या में लोगों के प्रवेश की अनुमति होगी. मास्क पहनने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी होगी. सैनिटाइजर, हाथ धोने और थर्मल स्कीनिंग की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी होगी. 65 साल से अधिक आयु, 10 साल से कम आयु और गर्भवती महिलाओं के प्रवेश पर रोक होगी. प्रसाद और माला ले जाने पर भी रोक होगी. धर्मग्रंथ और घंटी को हाथ लगाने पर रोक होगी.

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साथ ही जिला कलेक्टर ने कहा कि अन्य उपायों के लिए विभिन्न धार्मिक संस्थाओं से प्राप्त सुझावों के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को भेजी जाएगी. जिले के ऎसे धार्मिक स्थलों को सूचीबद्ध किया जा रहा है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं. जिले के समस्त धार्मिक स्थलों में प्रबंधकीय व्यवस्था, उत्तरदायित्व, आस-पास एवं भीतर की गतिविधियों के संबंध में भी कार्य योजना बनाई जाएगी. चर्चा के बाद तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया जाएगा कि धार्मिक स्थलों को कब और किस प्रकार से खोला जाए.

वहीं, बैठक में धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए राज्य सरकार की गाइडलाइंस की पूरी पालना सुनिश्चित की जाएगी. गाइडलाइंस के अनुसार ही मंदिरों, मजिस्दों और अन्य धार्मिक संस्थाओं को खोला जाएगा. राज्य सरकार और जिला प्रशासन द्वारा जो भी निर्देश दिए जाएंगे, उनका पालन होगा.

बैठक में अतिरिक्त जिला कलेक्टर शहर विशाल दवे, सलेमाबाद के अखिल भारतीय निम्बार्काचार्य पीठ से रवि शंकर शास्त्री, बजरंगगढ़ मंदिर से रणजीत मल लोढा, अंबे माता मंदिर से राजेश टंडन, मसानिया भैरवधाम राजगढ़ से बीएल. गोदारा, सीएमएचओ डॉ. केके सोनी, देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त गिरीश बच्छानी और पर्यटन विभाग के प्रद्युम्न देथा उपस्थित रहे.

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