किशनगढ़ (अजमेर). कड़ाके की सर्दी का सितम शुरू हो चुका है. कई लोग तो गीजर, गर्म कपड़ों और हिटर से ठंड से राहत पा लेते है. लेकिन, ऐसे में बेसहारा, गरीब, असहायों के साथ सितम और बढ़ जाता है. वो हाड़ कंपाती ठंड में भी फुटपाथों पर ही ठिठुरते नजर आते हैं. लेकिन, प्रशासन इससे बेखबर होकर चैन की नींद सो रहा है. वहीं, इन गरीबों के लिए बनाए गए रैन बसेरों में शराब के जाम लगाकर पार्टी की जाती है.
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अजमेर के किशनगढ़ में नगर परिषद किशनगढ़ का शर्मसार चेहरा उस समय सामने आया, जब ग्राउंड जीरो पर हालात की पड़ताल की गई. जो सच सामने आया वो बहुत ही शर्मशार करने वाला है. सरकार के दावों के बीच जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बता दें कि ठंड ने शीतलहर के साथ सितम को और भी बढ़ा दिया है, जबकी सीएम अशोक गहलोत ने सख्त निर्देश दिया है कि खुले आसमान के नीचे फुटपाथ पर कोई भी नहीं मिलना चाहिए. लेकिन, किशनगढ़ में लोग फुटपाथ और डिवाइडर पर सोने को मजबूर हैं. गरीब और असहाय लोग टीन शेड की तलाश में भटकते रहते हैं. वहीं, दूसरी ओर इनकी सुविधाओं के लिए बने आश्रय स्थल पर नजारा रंगीन नजर आया.
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अजमेर रोड पर खुले आसमान के नीचे कड़ाके की ठंड में गरीब और बेसहारा लोग सोते है. इनमें बुजुर्ग महिला से लेकर बच्चे तक शामिल होते हैं. इनके पास ठंड से बचाव का कोई साधन नहीं होता है. वहीं, दूसरी तस्वीर सिटी रोड पर बने रैन बसेरा में दिन को इंदिरा रसोई भी संचालित होती है और रात को ये शराब का अड्डा बन जाता है.
आश्रय स्थल में बने कमरों को भी इंदिरा रसोई में काम करने वाला स्टाफ अपने लिए इस्तेमाल करता नजर आया. मीडिया का कैमरा देख रैन बसेरा में चल रही शराब पार्टी बंद हो गई. शराब की बोतलों को आनन-फानन में फेंका गया. लेकिन, तब तक देर हो चुकी थी. सारा नज़ारा कैमरे में कैद हो गया. इसके बाद नगर परिषद आयुक्त को जब इस शराब पार्टी की जानकारी दी गईं. उन्हें बताया गया कि गरीब और बेसहारा सड़कों पर सोने को मजबूर हैं और रैन बसेरा में शराब पार्टी चल रही है. ऐसे में आयुक्त ने मौके पर खुद आने की बजाय नगर परिषद कार्मिकों को भेज कर बता दिया कि वो कितनी गंभीर है. हालांकि आयुक्त सीता वर्मा ने सख्ती दिखाते हुए दो कर्मचारियों ज्ञानेंद्र कुमार और चंद विजय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. साथ ही संबधित फर्म राबड़ कंस्ट्रक्शन से मामले में जवाब मांगा है.आश्रय स्थल पर अनियमितताओं को लेकर विधायक सुरेश टांक ने भी नाराजगी जताते हुए उच्च् अधिकारियों और संबंधित मंत्रियों को भी पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है.
बरहाल, काला सच ये है कि रैन बसेरे बनाए तो गए हैं, लेकिन उनमें फुटपाथ पर सोते लोगों को ले जाने की कोशिश नहीं की जाती है. इससे भी ज्यादा दुखद ये है कि इन रैन बसेरों में शराब पार्टी की जाती है और जिम्मेदार लोग फिर भी इसकी अनदेखी करते है.