अजमेर. तीर्थराज पुष्कर में कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है. पुष्कर सरोवर के 52 घाटों पर तीर्थ यात्रियों का तांता सुबह से लगा हुआ है. तीर्थ यात्रियों की बड़ी संख्या में आवक बनी हुई है. इसके तहत सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा संभाल रही पुलिस ने पुष्कर मार्ग को वन साइड कर दिया. कार्तिक पूर्णिमा के महास्नान के लिए देश के कोने-कोने से साधु-संत पुष्कर आए हैं, जहां सभी श्रद्धालुओं ने पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाकर महास्नान किया.
तीर्थराज पुष्कर में धार्मिक मेले का सोमवार को अंतिम दिन है. आज कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा पर तीर्थराज पुष्कर में महास्नान के लिए देश के कोने-कोने से तीर्थ यात्री आए हैं. इनके साथ ही स्थानीय लोग भी पुष्कर सरोवर में महास्नान कर रहे हैं. ब्रह्म मुहूर्त से ही कई लोग स्नान के लिए सरोवर पहुंच गए, जहां आस्था की डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने तीर्थराज पुष्कर की पूजा-अर्चना की. साथ ही कई श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों के निमित्त यहां तर्पण व पिंडदान किए. इसके बाद जगत पिता ब्रह्मा के दर्शन किए. पुष्कर के समस्त प्राचीन मंदिरों में भी दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. पुष्कर की हर धर्मशाला, गेस्ट हाउस और होटल तीर्थ यात्रियों से आबाद है.
स्नान और दर्शन के बाद दान का महत्व : कार्तिक पूर्णिमा को दान पूर्णिमा भी कहा जाता है. तीर्थ यात्री पुष्कर के पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना कर दीप जलाते हैं. इसके बाद जगत पिता ब्रह्मा के मंदिर में दर्शन करके अपनी श्रद्धा के अनुसार दान-पुण्य करते हैं. कई श्रद्धालु गौशालाओं में तो कई ब्राह्मण व साधु-संतों को यथाशक्ति दान करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुष्कर में किया गया दान 100 गुना फल देता है.
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ये है धार्मिक मान्यता : पुष्कर में कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक समस्त देवी-देवता यहां विराजमान रहते हैं. पुराणों के अनुसार जगत पिता ब्रह्मा ने समस्त देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों की उपस्थिति में कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक सृष्टि यज्ञ किया था. इस दौरान समस्त देवी-देवता और ऋषि-मुनि पुष्कर सरोवर में स्नान करते हैं. माना जाता है कि पुष्कर सरोवर का जल जगत पिता ब्रह्मा के कमंडल में स्थित जल के समान पवित्र है. यही वजह है कि एकादशी से पूर्णिया तक पुष्कर में पंच तीर्थ स्थान का विशेष महत्व है. इन पांच दिनों में धार्मिक मेले का आयोजन होता है. कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा तक धार्मिक मेला रहता है. सतयुग से ही पुष्कर तीर्थ का धार्मिक महत्व है. पुष्कर को सभी तीर्थों का गुरु माना जाता है. लिहाजा पुष्कर तीर्थ हिंदुओं का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. कार्तिक चतुर्दशी के दिन देश के कोने-कोने से आए साधु संत यहां शाही स्नान करते हैं.
पुलिस और पुलिस मित्र ने संभाला मोर्चा : पुष्कर में तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा पुलिस संभाल रही है. वहीं, यातायात की व्यवस्था ट्रैफिक पुलिस देख रही है. पुष्कर में तीर्थ यात्रियों की भारी संख्या में हो रही आवक को देखकर अजमेर से पुष्कर का मार्ग वन साइड कर दिया गया है, ताकि जाम की नौबत ना आए. पुष्कर के सभी 52 घाटों पर नागरिक सुरक्षा और पुलिस मित्र के जवान तैनात हैं. नगर पालिका की ओर से पुष्कर सरोवर में गहराई प्रदर्शित करने के लिए लाल झंडिया लगाई गई है, ताकि दायरे में रहकर तीर्थ यात्री पुष्कर सरोवर में स्नान कर सके. स्थानीय तीर्थ पुरोहित भी बार-बार तीर्थ यात्रियों को सरोवर में गहराई में नहीं जाने के प्रति आगाह कर रहे हैं.