अजमेर. देश और दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज के चाहने वालों की कोई कमी नहीं है. इनमें एक तबका उन लोगों का भी जो दुनिया से बेखबर अपने खुदा की बंदगी में जीवन गुजार देते है. जी हां हम बात कर रहे है कलंदरों की, इन्हें मलंग भी कहा जाता है. यह हर वर्ष उर्स के मौके पर देशभर से महरौली में जुटते हैं, फिर एक साथ 25 दिन का पैदल सफर कर अजमेर पहुंचते हैं.
इस बार भी 40 काफिले के साथ हजारों मलंग अजमेर पहुंचे. जहां उन्होंने ऋषि घाटी पर मौजूद ख्वाजा गरीब नवाज के चिल्ले से मलंगों ने छड़ी के जुलूस का आगाज किया. डोल धमाकों के साथ हजारों मलंग हाथों में झंडे लेकर दरगाह की ओर निकल पड़े. एक मलंग ने बताया कि वर्षों से कलंदर उसके मौके पर छड़ी लेकर आते रहे है.उनके बाद भी यह सिला जारी रहेगा.
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एक कलन्दर ने बताया, कि काफिले में सभी मजहब के मलंग मौजूद हैं. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में छड़ी पेश कर मुल्क और अवाम के लिए कलन्दर ने दुआ की. साथ ही बताया कि मुल्क में सभी लोग भाई चारे से रहे और खुशहाली आए इसके लिए सभी दुआ करेंगे.दरगाह के निजाम गेट तक पहुचे कलन्दर तब तक दरगाह के बाहर खड़े रहे. जब तक की निजाम गेट पर झंडा नहीं चढ़ गया. झंडा चढ़ते ही सभी मलंग ने दरगाह पहुचकर जियारत की. बता दें मलंगों के जुलूस साम्प्रदायिक सद्भाव की झलक देखने को मिलती है.