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Health Tips: नवरात्रि में उपवास करने वालों के लिए एक्सपर्ट ने बताए खास टिप्स, जानिए इस दौरान क्या करें और क्या नहीं - शारदीय नवरात्रा

अगर आप भी नवरात्रि के दौरान उपवास करते हैं और इससे जुड़े टिप्स, सावधानियों और शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानना चाहते हैं, तो यहां पढ़ें वरिष्ठ चिकित्सक से एक्सपर्ट राय...

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नवरात्रि में उपवास के टिप्स, जानिए एक्सपर्ट से
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 17, 2023, 9:28 PM IST

नवरात्रि में उपवास के टिप्स, जानिए एक्सपर्ट से

अजमेर. नवरात्रि में शक्ति स्वरूपा माता की आराधना की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के चलते माता के भक्त नवरात्रा के 9 दिन व्रत या उपवास करते हैं. आयुर्वेद के अनुसार उपवास करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. लेकिन उपवास करने के लिए व्यक्ति की निश्चित उम्र और अच्छा स्वास्थ्य भी होना चाहिए. वरना उपवास में भूखा रहना शरीर पर विपरीत प्रभाव डालने लगता है. जानिए आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीएल मिश्रा से उपवास में क्या करें और क्या ना करें...

संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीएल मिश्रा बताते हैं कि शारदीय नवरात्र शुरू होने के साथ ही तापमान में भी कमी आने लगती है. यानी सर्दियों का सूचक शारदीय नवरात्रा है. डॉ मिश्रा ने बताया कि इस मौसम में मानव शरीर में वायु का प्रकोप बढ़ जाता है. इसके प्रभाव से शरीर में खुसकी आना, जोड़ों में दर्द रहना, सिर दर्द होना, तंद्रा आना, मन का चंचल होना (अस्थिरता) आदि लक्षण प्रतीत होने लगते हैं. ऐसे में उपवास करने वाले लोगों को आवश्यक है कि वह उपवास में पौष्टिक आहार जरूर लें.

पढ़ें: Nirjala Ekadashi 2022 : दो दिन मनाई जा रही निर्जला एकादशी...जानिये कब रखा जाएगा व्रत

इस उम्र में करें उपवास: डॉ मिश्रा ने बताया कि 35 से 55 वर्ष की आयु के बीच के महिला और पुरुषों को उपवास करना अच्छा माना जाता है. खासकर इस उम्र में मोटे लोगों के लिए उपवास करना लाभदायक है. वायु प्रकोप और भूखे रहने से उनके शरीर की चर्बी घटती है. उन्होंने बताया कि बच्चों, युवाओं और वृद्धजन को उपवास नहीं करना चाहिए. उन्होंने बताया कि बच्चों और युवाओं में जठार अग्नि प्रबल होती है. ऐसे में भूखे रहने पर उनमें उदर संबंधी रोग हो सकते हैं.

पढ़ें: Navratri में डॉक्टर से जानिए कैसा हो व्रत का आहार और पंडित जी से जानें मां दुर्गा का पसंदीदा भोग

वहीं मौसम के अनुसार उपवास वृद्धजन को वायु प्रकोप के कारण संधि शूल (जोड़ों में दर्द) की समस्या बढ़ जाती है. यह लोग उपवास ना करें. उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को उपवास के दौरान जल या फलों का रस का सेवन करना चाहिए. डॉ मिश्रा बताते हैं कि मधुमेह के रोगियों को उपवास नहीं करना चाहिए. भूखा रहने से उनके शरीर में शुगर लेवल कम और ज्यादा हो सकती है. इससे उनके शरीर में कमजोरी आना या चक्कर आना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. इनके अलावा गंभीर बीमारियों से ग्रस्त रोगियों को भी उपवास नहीं करना चाहिए. उन्होंने बताया कि उपवास करने के लिए स्वस्थ होना जरूरी है.

पढ़ें: Shardiya Navratri 2022 : शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन, मां सिद्धिदात्री पूजा करने से होगा यह लाभ

शरीर को ऊर्जावान रखने के लिए लें पौष्टिक आहार: उपवास करने वाले व्यक्ति के भूखे रहने से उसके शरीर में वायु की अधिकता और ग्लूकोज की कमी होने लगती है. ऐसे में उपवास के दौरान व्यक्ति को पौष्टिक आहार लेना चाहिए. मसलन खजूर, अखरोट, केला, दूध, दही का सेवन उत्तम रहता है. इसके अलावा शुद्ध देसी घी से बना गर्म हलवे का सेवन लाभदायक रहता है. उपवास करने वाले लोगों में अमूमन देखा जाता है कि वायु प्रकोप के कारण भूख कमजोर हो जाती है. ऐसे लोगों को पीपली चूर्ण (छोटी पिपली) को दूध में उबालकर पीने से भूख और पाचन क्रिया दोनों बढ़ती है. उन्होंने बताया कि तेल में तली हुई खाद्य सामग्री का अधिक सेवन भी उपवास में शरीर पर विपरीत प्रभाव डालता है.

नवरात्रि में उपवास के टिप्स, जानिए एक्सपर्ट से

अजमेर. नवरात्रि में शक्ति स्वरूपा माता की आराधना की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के चलते माता के भक्त नवरात्रा के 9 दिन व्रत या उपवास करते हैं. आयुर्वेद के अनुसार उपवास करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. लेकिन उपवास करने के लिए व्यक्ति की निश्चित उम्र और अच्छा स्वास्थ्य भी होना चाहिए. वरना उपवास में भूखा रहना शरीर पर विपरीत प्रभाव डालने लगता है. जानिए आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीएल मिश्रा से उपवास में क्या करें और क्या ना करें...

संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीएल मिश्रा बताते हैं कि शारदीय नवरात्र शुरू होने के साथ ही तापमान में भी कमी आने लगती है. यानी सर्दियों का सूचक शारदीय नवरात्रा है. डॉ मिश्रा ने बताया कि इस मौसम में मानव शरीर में वायु का प्रकोप बढ़ जाता है. इसके प्रभाव से शरीर में खुसकी आना, जोड़ों में दर्द रहना, सिर दर्द होना, तंद्रा आना, मन का चंचल होना (अस्थिरता) आदि लक्षण प्रतीत होने लगते हैं. ऐसे में उपवास करने वाले लोगों को आवश्यक है कि वह उपवास में पौष्टिक आहार जरूर लें.

पढ़ें: Nirjala Ekadashi 2022 : दो दिन मनाई जा रही निर्जला एकादशी...जानिये कब रखा जाएगा व्रत

इस उम्र में करें उपवास: डॉ मिश्रा ने बताया कि 35 से 55 वर्ष की आयु के बीच के महिला और पुरुषों को उपवास करना अच्छा माना जाता है. खासकर इस उम्र में मोटे लोगों के लिए उपवास करना लाभदायक है. वायु प्रकोप और भूखे रहने से उनके शरीर की चर्बी घटती है. उन्होंने बताया कि बच्चों, युवाओं और वृद्धजन को उपवास नहीं करना चाहिए. उन्होंने बताया कि बच्चों और युवाओं में जठार अग्नि प्रबल होती है. ऐसे में भूखे रहने पर उनमें उदर संबंधी रोग हो सकते हैं.

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वहीं मौसम के अनुसार उपवास वृद्धजन को वायु प्रकोप के कारण संधि शूल (जोड़ों में दर्द) की समस्या बढ़ जाती है. यह लोग उपवास ना करें. उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को उपवास के दौरान जल या फलों का रस का सेवन करना चाहिए. डॉ मिश्रा बताते हैं कि मधुमेह के रोगियों को उपवास नहीं करना चाहिए. भूखा रहने से उनके शरीर में शुगर लेवल कम और ज्यादा हो सकती है. इससे उनके शरीर में कमजोरी आना या चक्कर आना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. इनके अलावा गंभीर बीमारियों से ग्रस्त रोगियों को भी उपवास नहीं करना चाहिए. उन्होंने बताया कि उपवास करने के लिए स्वस्थ होना जरूरी है.

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शरीर को ऊर्जावान रखने के लिए लें पौष्टिक आहार: उपवास करने वाले व्यक्ति के भूखे रहने से उसके शरीर में वायु की अधिकता और ग्लूकोज की कमी होने लगती है. ऐसे में उपवास के दौरान व्यक्ति को पौष्टिक आहार लेना चाहिए. मसलन खजूर, अखरोट, केला, दूध, दही का सेवन उत्तम रहता है. इसके अलावा शुद्ध देसी घी से बना गर्म हलवे का सेवन लाभदायक रहता है. उपवास करने वाले लोगों में अमूमन देखा जाता है कि वायु प्रकोप के कारण भूख कमजोर हो जाती है. ऐसे लोगों को पीपली चूर्ण (छोटी पिपली) को दूध में उबालकर पीने से भूख और पाचन क्रिया दोनों बढ़ती है. उन्होंने बताया कि तेल में तली हुई खाद्य सामग्री का अधिक सेवन भी उपवास में शरीर पर विपरीत प्रभाव डालता है.

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