अजमेर. बार-बार एक ही तरह का निरर्थक ख्याल दिमाग में आना और इस कारण अन्य गतिविधियों को दोहराना ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) भी हो सकता है. आइए जानते हैं क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ मनीषा गौड़ से ओसीडी के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में हेल्थ टिप्स.
डॉ गौड़ ने बताया कि ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर एक प्रकार का मनोरोग है. इसमें एक ही तरह का विचार बार-बार आता है. उस विचार को दूर करने के लिए किसी गतिविधि को बार-बार दोहराना. मसलन मन में शंका होना की यह नहीं किया, तो ऐसा हो जाएगा. उस शंका को दूर करने के लिए किसी हरकत को दोहराना है. उन्होंने बताया कि बार-बार विचार आने से तनाव बढ़ता है. जबकि वह विचार कोई मतलब के लिए नहीं होते हैं. बार-बार ऐसे विचार आने से खुशी नहीं होती.
ओसीडी के कारण: क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ मनीष गौड़ बताती हैं कि ओसीडी के कई कारण हो सकते हैं. इनमें अनुवांशिक कारण भी हो सकता है. वहीं पारिवारिक, सामाजिक और व्यक्तिगत तनाव भी हावी होने लगता है. जब व्यक्तिगत तनाव का कोई हल नहीं मिल पाता है, तो वह परेशानी का रूप ले सकता है. डॉ गौड़ बताती हैं कि ओसीडी किसी भी उम्र में हो सकता है. खासकर मिडल एज में ज्यादा होता है. किशोर और युवावस्था में भी ओसीडी देखा जाता है.
ओसीडी के लक्षण: डॉ गौड़ बताती हैं कि एक ही हरकत को बार-बार दोहराते रहना. किसी काम में मन नहीं लगना. काम में अधिक समय लगाना, अकेलापन, सामाजिक नहीं हो पाना. यह ओसीडी रोगी के लक्षण हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में ओसीडी के मरीजों की संख्या ज्यादा देखी गई. उन्होंने बताया कि ओसीडी तीन प्रकार के होते हैं:
- ऑब्सेसिव रिमेनेशन: इसमें केवल निरर्थक विचार दिमाग में बार-बार रिपीट होते हैं, जो तकलीफदायक होते हैं.
- कंपल्सिव एक्ट: इसमें हरकतों का सिर्फ रिपीटेशन होता है. मसलन व्यक्ति कोई काम कर रहा है, तो वह उसे दोहराता रहेगा.
- मिक्सड कंपल्सिव डिसऑर्डर: इसमें निरर्थक विचार और गतिविधियां तकलीफ ज्यादा होने के साथ ही रिपीट होती रहती हैं.
यह है ओसीडी का उपचार: ओसीडी का उपचार मेडिकेशन और साइकाइट्रिक ट्रीटमेंट के साथ ही साइकोथेरेपी, बिहेवियर थेरेपी के साथ किया जाता है. इसमें बिहेवियर थेरेपी काफी कारगर साबित रहती है.