अजमेर. आर्थिक युग में स्वयं को स्थापित करने की दौड़ लगा रहे लोगों को संभवतः सफलता मिल भी जाए, लेकिन इस दौड में स्वास्थ्य को सही रख पाना महत्वपूर्ण होता है।.पहला सुख निरोगी काया बाद में धन और माया. स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो धन सुख नहीं दे सकता. काम की व्यस्तता में लोग अपने स्वास्थ्य से जुड़ी आवश्यक बातों का ध्यान नहीं रख पाते हैं. इस कारण वह कई तरह के रोग से ग्रसित हो जाते हैं. इसलिए स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक बातों का लोग अनुसरण करें.
जीवन में स्वास्थ्य का पाया मजबूत रहता है तो व्यक्ति अपने कमाए हुए धन का सुख भी प्राप्त करता है. वर्तमान में आर्थिक युग का दौर है. हर कोई जीवन में सफल होने और धन कमाने की चाह रखता है और इसलिए मेहनत करता है. उसकी कोशिशों में व्यस्तता और तनाव भी रहता है. इस जद्दोजहद में वह अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना भूल जाता है. संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि पैसा कमाना अच्छा है, लेकिन शरीर को स्वस्थ रखना भी महत्वपूर्ण है.
अनियमित जीवनशैली के कारण लोग रोग से ग्रसित हो रहे हैं. लोग स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक जीवनशैली को भूल रहे हैं और वो कर रहे हैं जिससे रोग आमंत्रित हो रहा है. डॉ. शर्मा बताते हैं कि व्यक्ति अपनी बिगड़ी हुई जीवनशैली को यदि सुधार लेता है तो उसका स्वास्थ्य भी ठीक रहता है और उसे न दवा की जरूरत पड़ती है और न ही चिकित्सक की. वह स्वस्थ जीवन का आनंद प्राप्त करता है.
डॉ. शर्मा बताते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है, जल्द उठना जल्द सोना, ताकि पर्याप्त नींद मिल सके. इससे शरीर और मस्तिष्क दोनों स्वस्थ रहते हैं. उन्होंने बताया कि सवेरे उठने पर नॉर्मल पानी पीना चाहिए और उसके बाद शौच जाना चाहिए. इसके बाद ब्रश करने के उपरांत मॉर्निंग वॉक, व्यायाम, योग करना आवश्यक है. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि व्यक्ति को सुबह मॉर्निंग वॉक में ताजा हवा और सूर्य से विटामिन डी मिलता जो हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि 80 प्रतिशत शहरी लोगों में विटामिन डी की कमी पाई जाती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों विटामिन डी की कमी कम लोगों में पाई जाती है. इसका कारण यह है कि लोग सुबह 7 बजे से पहले सूर्य की किरणों को ग्रहण नहीं करते. इससे लोगों में जल्द थकान होना, जोड़ों में दर्द, हड्डियां कमजोर होना समेत कई तरह के रोग लग जाते हैं. सुबह नियमित रूप से मॉर्निंग वॉक करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य सामान्य व्यक्ति की तुलना में बेहतर होता है.
बेड टी ले रहे हैं तो जान लें : पौष्टिक नाश्ता लेना चाहिए. खाली पेट चाय पीना नुकसानदायक है. कई लोगों को बेड टी की आदत होती है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है. चाय के साथ नाश्ता जरूर लेना चाहिए. वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि भूखे पेट चाय पीना एसिडिटी, अल्सर, माइग्रेन रोगों का कारण बनती है. उन्होंने बताया कि सुबह का नाश्ता 7 बजे तक करना स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहतर होता है.
समय पर भोजन करने की आदत डालें : डॉ मिश्रा बताते हैं कि काम की व्यस्तता के कारण लोग समय पर भोजन नहीं करते, जबकि समय पर भोजन करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है. उन्होंने बताया कि सुबह का भजन 11 से 12 बजे तक कर लेना चाहिए. भोजन चिकनाई युक्त, रसदार होना चाहिए. भोजन के साथ एक कटोरी दही अथवा एक गिलास छाछ पीने से भोजन का पाचन अच्छे से होता है, लेकिन लोग व्यस्तता के कारण भोजन समय पर नहीं करते हैं. पौष्टिक आहार लेने के बजाय लोग जंक फूड खाकर अपनी भूख शांत करते हैं, लेकिन वह नहीं जानते हैं कि इसके दुष्परिणाम उन्हें रोग के रूप में भुगतने पड़ते हैं.
उन्होंने बताया कि काम पर जा रहे हैं तो घर से भोजन का टिफिन लेकर निकलें और समय रहते भोजन करें. उन्होंने बताया कि रात 8 बजे से पहले रात्रि का भोजन कर लेना चाहिए. भोजन हल्का और पौष्टिक होना चाहिए. भोजन करने के उपरांत ज्यादातर लोग टीवी के सामने बैठ जाते हैं जो सरासर गलत है. ऐसे उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. भोजन के उपरांत टहलना आवश्यक है. इससे भोजन पाचन अच्छे से होता है. ऐसा नहीं करने पर उन्होंने बताया कि मुंह की लार भोजन पचाने में सहायक होती है, लेकिन भोजन के उपरांत व्यक्ति टहलता नहीं है तो लार बनने की प्रक्रिया भी बाधित होती है. भोजन नहीं पचने से पेट संबंधी कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं.
जल्द सोएं और जल्द उठें : डॉ. मिश्रा बताते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए अच्छी नींद आवश्यक है. नींद की कमी से मानसिक और शारीरिक रोग उत्पन्न होते हैं. उन्होंने बताया कि 10 से 11 बजे तक व्यक्ति को सो जाना चाहिए. व्यक्ति जल्द सोएगा तो जल्द उठेगा. इससे जीवनशैली नियमित बनी रहती है.
इन बातों का भी रखें ध्यान : डॉ. शर्मा बताते हैं कि मोबाइल-कंप्यूटर का उपयोग आवश्यकता के अनुसार ही करें. इसके अलावा जंक फूड, बेसन मैदा से बनी हुई खाद्य वस्तुओं का उपयोग कम से कम करें. मोटा अनाज, हरी एवं गूदेदार सब्जियां, रसदार फल, दूध, दही, छाछ का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए.