अजमेर. केंद्र के बजट के बाद अब राजस्थान में गहलोत सरकार भी अपना पहला बजट पेश करने जा रही है. 10 जुलाई को राजस्थान का बजट पेश होगा इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं. खासकर केंद्र सरकार से महंगाई पर जो राहत नहीं मिल पाई वह अब राजस्थान सरकार से जनता उम्मीद कर रही है.
केंद्र के बजट में अजमेर को कोई सौगात नहीं मिली बल्कि महंगाई पर नियंत्रण होने की बजाय पेट्रोल और डीजल पर से बढ़ाकर आमजन की जेब पर और बोझ पड़ गया है. लोगों को केंद्र सरकार से उम्मीद थी लेकिन अब राजस्थान सरकार के पहले बजट पर अब लोगों की उम्मीदें टिकी हुई है. लोगों का मानना है कि पेट्रोल डीजल के दाम कम होने से महंगाई कम हो जाएगी. यही वजह है कि ज्यादातर लोग चाहते हैं कि राजस्थान सरकार अपने पहले बजट में पेट्रोल डीजल पर वैट कम करके जनता को राहत पहुंचाएं.
स्थानीय निवासी पीके श्रीवास्तव ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले जो कांग्रेस ने जनता से जो वादे किए थे. वह अब पूरे होने चाहिए। उन्होंने कहा कि बजट में टैक्स कम करके राहत दी जानी चाहिए. सरकार ने बेटियों की शिक्षा निशुल्क की है ऐसे में प्राइवेट शिक्षण संस्थानों की मनमानी पर भी सरकार को अंकुश लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों से जो वादे किए गए थे. उन्हें अब पूरा किया जाना चाहिए. श्रीवास्तव ने कहा कि आमजन महंगाई सुरक्षा के बेहतर इंतजाम और न्याय प्रक्रिया सुलभ चाहती है. नई सरकार से लोगों को बिगड़ी हुई पोलिसिंग में सुधार की उम्मीद है.
वहीं रणजीत सिंह ने कहा कि पेट्रोल-डीजल से वेट कम करके सरकार आमजन को राहत पहुंचा सकती है वहीं अजमेर में मेडिसिटी के लिए बजट स्वीकृत करके अजमेर में चिकित्सा सुविधा को बेहतर बनाने की दिशा में सरकार सकारात्मक कदम उठाएगी ऐसी उम्मीद की जा रही है.
कांति शर्मा ने कहा कि अजमेर में पेयजल की काफी किल्लत है 72 से 92 घंटे के अंतराल में लोगों को पानी मिल रहा है उन्होंने कहा कि बीसलपुर मैं चंबल या ब्रह्माणी नदी से पानी लिफ्ट करके डाला जाए ताकि अजमेर की पेयजल व्यवस्था सुदृढ़ हो सके. व्यापारी एवं अजमेर सर्राफा संघ के अध्यक्ष अशोक बिंदल ने कहा कि महंगाई से केंद्र सरकार ने बजट में राहत नहीं दी है. लिहाजा राजस्थान सरकार के पहले बजट से पेट्रोल डीजल पर वैट कम कर के लोगों को सरकार महंगाई से राहत दे.
बिंदल ने सरकार से मांग की है कि केंद्र सरकार ने बजट में इंपोर्ट टैक्स 10 फीसदी से बढ़ाकर साढे बारह फीसदी कर दिया है, जबकि सोने चांदी पर 3 फ़ीसदी जीएसटी पहले से ही लागू है. ऐसे में आवश्यक और अनमोल धातु पर साढे 15 फ़ीसदी टैक्स लगाकर सोने चांदी को आमजन की पहुंच से दूर कर दिया है। बिंदल ने कहा कि गहलोत सरकार प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को पत्र लिखकर सोने-चांदी पर बढ़ाए गए इंपोर्ट टैक्स को कम करने की मांग करें.