अजमेर. दीपावली पर सुख समृद्धि की कामना के साथ माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. अजमेर में एक धार्मिक स्थल ऐसा भी है जहां दीपावली पर कुवारें युवक-युवतियां अच्छे जीवनसाथी की कामना लेकर आते हैं. अजमेर की आनासागर झील से सटी पहाड़ी पर स्थित खोबरानाथ भैरव मंदिर में दिवाली के दिन कुंवारों को शादी का आशीर्वाद मिलता है. खोबरानाथ भैरव यहां शादी देव के नाम से भी विख्यात हैं.
ये है मंदिर का इतिहास : खोबरानाथ मंदिर के पुजारी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि अजमेर के प्राचीन मंदिरों खोबरानाथ भैरव का मंदिर भी शुमार है. अजमेर की स्थापना के समय से खोबरा भैरवनाथ मंदिर है. यानी खोबरानाथ भैरव का इतिहास भी अजमेर के स्थापत्य के समय से है. अजमेर में चामुंडा माता मंदिर और खोबरानाथ भैरव की पूजा-अर्चना चौहान वंश के राजा किया करते थे. चौहान वंश के अंतिम सम्राट पृथ्वीराज चौहान के बाद से ही मंदिर जीर्णशीर्ण होने लग गया. कई सदियों बाद जब अजमेर में मराठाओं ने शासन किया, तब इस मंदिर की मरम्मत करवाकर इसकी पुनः स्थापना की गई. इसके चलते ज्यादातर लोग इस मंदिर को मराठा कालीन ही मानते हैं.
कायस्थ समाज के आराध्य देव : खोबरानाथ भैरव को कई समाज के लोग अपना आराध्य देव मानते हैं. यहां विभिन्न जाति-धर्म के लोगों का वर्ष भर दर्शनों के लिए आना-जाना लगा रहता है. मगर दीपावली पर यहां विशेष रौनक रहती है. इस दिन कायस्थ समाज के लोग परिवार सहित मंदिर आते हैं. दरअसल, कायस्थ समाज के लोग खोबरानाथ भैरव को अपना आराध्य मानते हैं, इस कारण प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से भी कायस्थ समाज के लोग यहां हाजरी लगाकर पूजा अर्चना करते हैं. दीपावली के दिन यहां मेला भरता है. यहां सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है.
7 दिन तक कुंवारे जलाते हैं दीपक : पुजारी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि दीपावली के दिन मंदिर में मेले का आयोजन होता है. बड़ी संख्या में कायस्थ समाज के लोग पूजा-अर्चना और दर्शनों के लिए मंदिर आते हैं. इनके अलावा अन्य समाज के लोगों का भी मंदिर में आना-जाना लगा रहता है. श्रद्धालुओं की कतार में कुंवारों की संख्या अधिक रहती है. उन्होंने बताया कि मंदिर में मान्यता है कि यहां कोई भी अविवाहित 7 दिन तक शाम के समय दीपक जलाता है तो उनकी शादी के योग जल्द बन जाते हैं. दीपावली से पहले अविवाहित योग्य जीवनसाथी की कामना लेकर मंदिर में दीपक जलाने आते हैं. दीपक जलाने का अंतिम दीपावली का दिन होता है. इसके अलावा शादी होने के बाद युवक-युवती अपने जीवनसाथी के साथ यहां मन्नत उतारने के लिए आते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद मंदिर के दर्शनों के लिए नव दंपती को आना ही होता है.
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चट्टान के नीचे है गर्भ गृह : उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश, गुजरात, मुंबई तक से श्रद्धालु मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं. यहां देसी पर्यटक भी मंदिर आते हैं और यहां का इतिहास जानकर अभिभूत हो जाते हैं. पहाड़ी पर स्थित मंदिर में गर्भ गृह एक बड़ी सी चट्टान के नीचे है. ऊंची पहाड़ी पर स्थित मंदिर से आनासागर झील का विहंगम दृश्य और अजमेर का नैसर्गिक सौंदर्य भी नजर आता है.