अजमेर. अजमेर संभाग के 4 जिलों में डेंगू का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. अजमेर संभाग में अब तक 998 डेंगू के मरीज सामने आ चुके हैं. इसके अलावा मलेरिया, चिकनगुनिया और स्क्रब टाइफस बीमारी के मरीज भी बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू से बचने के लिए लोगों से विशेष सावधानी बरतने की अपील की है. हालात बेकाबू होने पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू पर नियंत्रण के लिए डिजिटल सर्वे शुरू कर दिया है.
अजमेर समेत नागौर, टोंक और भीलवाड़ा में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 998 मरीज सामने आए हैं. हालांकि, आंकड़ा कई गुना ज्यादा है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बताया कि संभाग के 4 जिलों में बरसात के बाद मौसमी बीमारियां बढ़ी हैं. डॉ. सिंह ने बताया कि सर्दी बढ़ने के साथ ही मौसमी बीमारियों का प्रकोप भी थम जाएगा.
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उन्होंने बताया कि डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया बीमारी मच्छरों के काटने से होती है. इसके लिए आवश्यक है कि लोग जागरूक रहे. अपने घर और आसपास पानी जमा नहीं होने दें. पानी जमा होने पर ही मच्छर उसमें अंडे देते हैं जिससे लार्वा बनता है.
डोर टू डोर डिजिटल सर्वे शुरू
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, स्क्रब टाइफस को नियंत्रण करने के लिए घर-घर सर्वे कर रही है. लेकिन अब विभाग ने एएनएम ऐप लॉन्च किया है. आशा सहयोगिनी और एएनएम ने डोर-टू-डोर डिजिटल सर्वे शुरू कर दिया है. इस ऐप के माध्यम से केवल बीमार व्यक्ति ही नहीं बल्कि उसके घर में डेंगू का लार्वा पनपने वाले स्थानों को भी चिन्हित किया जा रहा है. साथ ही टेमीफोस दवा भी लार्वा को खत्म करने के लिए उपयोग में लाई जा रही है.
जिलेवार सरकारी आंकड़े
अजमेर संभाग में कुल 292 मरीज डेंगू, 23 मरीज मलेरिया, 56 मरीज चिकनगुनिया और 70 मरीज स्क्रब टाइफस के सामने आए है. अजमेर में डेंगू के 292, मलेरिया 3, चिकनगुनिया के 12 और 3 स्क्रब टाइफस के मरीज मिले हैं. भीलवाड़ा में डेंगू के 292, मलेरिया के 2 और स्क्रब टाइफस के 5 मरीज सामने आए हैं. नागौर जिले में डेंगू के 178, मलेरिया के 13, चिकनगुनिया के 16 और स्क्रब टाइफस के 7 मरीज सामने आए हैं. टोंक जिले में डेंगू के मरीज 236, मलेरिया के 5 चिकनगुनिया के 28 और संभाग में सबसे ज्यादा स्क्रब टाइफस के 55 मरीज सामने आए हैं.
ग्रामीण स्क्रब टाइफस से रहें सावधान
संयुक्त निदेशक डॉ. इंदरजीत सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्क्रब टाइफस बीमारी से भी ग्रामीणों को विशेष सावधानी रखने की जरूरत है. खासकर किसान, पशुपालकों को ज्यादा सावधानी की जरूरत है. उन्होंने बताया कि स्क्रब टाइफस बीमारी गाय, भैंस, ऊंट, बकरी, कुत्तों सहित पालतू जानवरों में लगने वाले चिचड़ा से होती है. जानवर पर लगा चिचड़ा किसी इंसान को काटता है तो उससे स्क्रब टाइफस बीमारी होती है. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति में वही लक्षण दिखते हैं जो डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया में दिखाई देते हैं. पशु पालन विभाग के पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर तुरंत पशुओं को दवाई लगाई जाए.
जेएलएन अस्पताल में बढ़े मरीज
संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आउट डोर में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है. मौसमी बीमारियों के मरीज ज्यादा आ रहे हैं. डेंगू के मरीजों के रक्त में प्लेट्स गिरने लगती है जो मरीज के लिए खतरनाक साबित होती है. ज्यादा प्लेट्स गिरने पर मरीज को भर्ती करना पड़ता है. इसी प्रकार मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. खास बात है कि डेंगू मलेरिया और चिकनगुनिया बीमारी मच्छरों से होती है.