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Special : अंग्रेजों के जमाने की बेकरी हिंदुस्तान में मचा रही धूम...विदेश से भी आते हैं ऑर्डर - राजस्थान लेटेस्ट

अजमेर में अंग्रजों के जमाने की बेकरी है, जहां का केक अपने जायके के लिए प्रसिद्ध है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां का बना केक एक साल तक खराब नहीं होता. राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने रिसेप्शन पर यहीं का बना केक काटा था. पढ़िए ये स्पेशल खबर...

Lahori Bakery of Ajmer, Ajmer news
अजमेर के लाहौर बेकरी का लाजवाब केक
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Published : Dec 24, 2020, 8:29 PM IST

अजमेर. अंग्रेजों के जमाने के तकरीबन 100 साल पुरानी एक ऐसी बेकरी है, जहां ओवन में नहीं बल्कि पारंपरिक तरीके से बड़ी सी भट्टी में केक को तैयार किया जाता है. यही नहीं, यहां सिर्फ देश से ही नहीं विदेशों से भी केक के लिए ऑर्डर आते हैं. अजमेर के अजंता पुलिया स्थित अंग्रेजों के जमाने से संचालित बेकरी को चलाने वाली पीढियां भले ही बदल गई हो, लेकिन यहां केक बनाने का तरीका आज भी नहीं बदला है और नहीं बदला है केक का जायका.

अजमेर के लाहौर बेकरी का लाजवाब केक...

93 साल पहले साल 1927 में शुरू हुई इस बेकरी को वर्तमान में तीसरी पीढ़ी संभाल रही है. यहां संचालक बेशक बदलते चले आ रहे हैं, लेकिन केक बेकिंग का तरीका और जायका कभी भी नहीं बदला है. यहां के केक की रेसिपी आज भी एक राज ही बनी हुई है.

नहीं साझा किया केक बेकिंग की रेसिपी...

बेकरी मालिक शुरू से ही केक की रेसिपी को राज रखते आए हैं. वहीं परिवार के 3 लोग ही इस तैयारी को पूरा करते हैं. पिता के निधन के बाद उनके पुत्र रफीक अहमद ने इस पूरे कामकाज को संभाला है. अब रफीक मोहम्मद के निर्देशन में उनके पोते जकी अहमद,जावेद अख्तर और नावेद अख्तर इस बेकरी का काम को संभाल रहे हैं.

लाहौर में सीखा था काम...

अविभाजित भारत के दौर में करीम बख्श विलोरियो लाहौर में एक अंग्रेज की बैकरी में काम किया करते थे. लाहौर में अंग्रेज अफसरों की संख्या ज्यादा थी. इसलिए बेकरी भी खूब चला करती थी, जहां कस्टमर के अलावा शादी में केक, कुकीज, बेकरी उत्पाद अंग्रेज अफसरों की डिमांड पर ही बनाए जाते थे.

Lahori Bakery of Ajmer, Ajmer news
पारंपरिक तरीके से किया जाता है केक तैयार...

युवा होने पर करीम बख्श के बेटे अब्दुल मजीद भी उनके साथ बेकरी में जाने लगे. जिसके बाद दोनों ने साल 1927 में अपनी बेकरी शुरू करने के उद्देश्य से लाहौर से निकल गए. अजमेर में भी अंग्रेज अफसर ज्यादा होने के कारण उन्होंने अजमेर आकर बेकरी को कार्य शुरू कर दिया.

ट्रेन से भेजे जाते थे पहले केक...

बेकरी मालिक जकी अहमद ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके दादा-परदादा नवंबर के महीने से क्रिसमस केक की तैयारियों को शुरू कर देते थे. सारा सामान खुद बाजार से लाते थे और केक को तैयार करते थे, जिससे दिसंबर में मांग पूरी कर सके. क्रिसमस के दौरान अंग्रेज अफसरों के द्वारा कई शहरों के लिए ऑर्डर आया करते थे. इस दौरान ट्रेन से केक फुलेरा, आबू रोड, बांदीकुई सहित अन्य जगहों पर भी जाते थे. साल के अन्य महीनों में शादी के केक और अफसरों की मांग पर बिस्किट के केक बनाए जाते थे.

पीढियां बदलीं, लेकिन नहीं बदला केक बनाने का तरीका...

जकी बताते हैं कि आजादी के बाद दुकान नसीराबाद रोड पर स्थापित की गई थी. बीते करीब 93 साल में दुकान बदली संचालन करने वाली पीढ़ियां बदलीं, लेकिन केक बनाने का तरीका और रेसिपी कभी नहीं बदली गई. यही वजह है कि इसके स्वाद के कारण लोग आज भी यहीं से केक ऑर्डर करते हैं.

यह भी पढें. Special: अब भारत में भी खूब हो रहा कीवी फल का उत्पादन, श्रीगंगानगर में 50 फीसदी से ज्यादा घटे दाम

जकी अहमद बताते हैं कि आज भी ऐतिहासिक भट्टी में ही केक बनाया जाता है. यहां केवल आर्डर का माल तैयार किया जाता है. हालांकि, समय के साथ केक के डिजाइन जरूर बदले हैंं. आज भी अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, पोलैंड, स्पेन के ग्राहक अपने मिलने वालों से यहां से केक को मंगवाते हैं.

लंबे समय तक नहीं होता केक खराब...

जकी अहमद ने बताया कि उनके केक की खासियत है यह वह सालों साल तक खराब नहीं होते आखिर उन्होंने इस रेसिपी का राज उजागर नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि लोग घर में साल भर तक केक को हिफाजत से रखते हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की शादी में भी गया था केक...

Lahori Bakery of Ajmer, Ajmer news
बिना ओवन के बनाई जाती है केक यहां...

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की शादी में लाहौर बेकरी से ही केक गया था. उस वक्त अजमेर के मुख्यमंत्री रहे बालकृष्ण कौल ने केक का ऑर्डर दिया था. लाहौरी बेकरी का केक सोनिया व राजीव की शादी में रिसेप्शन पर काटा गया था.

12 हजार से शुरू होकर 1 लाख तक के बनाए जाते हैं केक

Lahori Bakery of Ajmer, Ajmer news
केक की रेसिपी आज भी राज...

बेकरी संचालक का कहना है कि यहां एक पाउंड से केक बनाने की शुरुआत की जाती है तो लगभग कम से कम केक 12 हजार से शुरू होकर 1 लाख तक के केक बनाए जाते हैं. अहमद बताते हैं कि क्रिसमस के मौके पर लाहौर बेकरी पर केक की काफी डिमांड रहती है. जकी अपने तीनों भाइयों के साथ केक को तैयार करते हैं. रेसिपी किसी भी व्यक्ति के पास ना पहुंचे, जिसको लेकर वह कर्मचारी भी नहीं रखते हैं.

अजमेर. अंग्रेजों के जमाने के तकरीबन 100 साल पुरानी एक ऐसी बेकरी है, जहां ओवन में नहीं बल्कि पारंपरिक तरीके से बड़ी सी भट्टी में केक को तैयार किया जाता है. यही नहीं, यहां सिर्फ देश से ही नहीं विदेशों से भी केक के लिए ऑर्डर आते हैं. अजमेर के अजंता पुलिया स्थित अंग्रेजों के जमाने से संचालित बेकरी को चलाने वाली पीढियां भले ही बदल गई हो, लेकिन यहां केक बनाने का तरीका आज भी नहीं बदला है और नहीं बदला है केक का जायका.

अजमेर के लाहौर बेकरी का लाजवाब केक...

93 साल पहले साल 1927 में शुरू हुई इस बेकरी को वर्तमान में तीसरी पीढ़ी संभाल रही है. यहां संचालक बेशक बदलते चले आ रहे हैं, लेकिन केक बेकिंग का तरीका और जायका कभी भी नहीं बदला है. यहां के केक की रेसिपी आज भी एक राज ही बनी हुई है.

नहीं साझा किया केक बेकिंग की रेसिपी...

बेकरी मालिक शुरू से ही केक की रेसिपी को राज रखते आए हैं. वहीं परिवार के 3 लोग ही इस तैयारी को पूरा करते हैं. पिता के निधन के बाद उनके पुत्र रफीक अहमद ने इस पूरे कामकाज को संभाला है. अब रफीक मोहम्मद के निर्देशन में उनके पोते जकी अहमद,जावेद अख्तर और नावेद अख्तर इस बेकरी का काम को संभाल रहे हैं.

लाहौर में सीखा था काम...

अविभाजित भारत के दौर में करीम बख्श विलोरियो लाहौर में एक अंग्रेज की बैकरी में काम किया करते थे. लाहौर में अंग्रेज अफसरों की संख्या ज्यादा थी. इसलिए बेकरी भी खूब चला करती थी, जहां कस्टमर के अलावा शादी में केक, कुकीज, बेकरी उत्पाद अंग्रेज अफसरों की डिमांड पर ही बनाए जाते थे.

Lahori Bakery of Ajmer, Ajmer news
पारंपरिक तरीके से किया जाता है केक तैयार...

युवा होने पर करीम बख्श के बेटे अब्दुल मजीद भी उनके साथ बेकरी में जाने लगे. जिसके बाद दोनों ने साल 1927 में अपनी बेकरी शुरू करने के उद्देश्य से लाहौर से निकल गए. अजमेर में भी अंग्रेज अफसर ज्यादा होने के कारण उन्होंने अजमेर आकर बेकरी को कार्य शुरू कर दिया.

ट्रेन से भेजे जाते थे पहले केक...

बेकरी मालिक जकी अहमद ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके दादा-परदादा नवंबर के महीने से क्रिसमस केक की तैयारियों को शुरू कर देते थे. सारा सामान खुद बाजार से लाते थे और केक को तैयार करते थे, जिससे दिसंबर में मांग पूरी कर सके. क्रिसमस के दौरान अंग्रेज अफसरों के द्वारा कई शहरों के लिए ऑर्डर आया करते थे. इस दौरान ट्रेन से केक फुलेरा, आबू रोड, बांदीकुई सहित अन्य जगहों पर भी जाते थे. साल के अन्य महीनों में शादी के केक और अफसरों की मांग पर बिस्किट के केक बनाए जाते थे.

पीढियां बदलीं, लेकिन नहीं बदला केक बनाने का तरीका...

जकी बताते हैं कि आजादी के बाद दुकान नसीराबाद रोड पर स्थापित की गई थी. बीते करीब 93 साल में दुकान बदली संचालन करने वाली पीढ़ियां बदलीं, लेकिन केक बनाने का तरीका और रेसिपी कभी नहीं बदली गई. यही वजह है कि इसके स्वाद के कारण लोग आज भी यहीं से केक ऑर्डर करते हैं.

यह भी पढें. Special: अब भारत में भी खूब हो रहा कीवी फल का उत्पादन, श्रीगंगानगर में 50 फीसदी से ज्यादा घटे दाम

जकी अहमद बताते हैं कि आज भी ऐतिहासिक भट्टी में ही केक बनाया जाता है. यहां केवल आर्डर का माल तैयार किया जाता है. हालांकि, समय के साथ केक के डिजाइन जरूर बदले हैंं. आज भी अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, पोलैंड, स्पेन के ग्राहक अपने मिलने वालों से यहां से केक को मंगवाते हैं.

लंबे समय तक नहीं होता केक खराब...

जकी अहमद ने बताया कि उनके केक की खासियत है यह वह सालों साल तक खराब नहीं होते आखिर उन्होंने इस रेसिपी का राज उजागर नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि लोग घर में साल भर तक केक को हिफाजत से रखते हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की शादी में भी गया था केक...

Lahori Bakery of Ajmer, Ajmer news
बिना ओवन के बनाई जाती है केक यहां...

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की शादी में लाहौर बेकरी से ही केक गया था. उस वक्त अजमेर के मुख्यमंत्री रहे बालकृष्ण कौल ने केक का ऑर्डर दिया था. लाहौरी बेकरी का केक सोनिया व राजीव की शादी में रिसेप्शन पर काटा गया था.

12 हजार से शुरू होकर 1 लाख तक के बनाए जाते हैं केक

Lahori Bakery of Ajmer, Ajmer news
केक की रेसिपी आज भी राज...

बेकरी संचालक का कहना है कि यहां एक पाउंड से केक बनाने की शुरुआत की जाती है तो लगभग कम से कम केक 12 हजार से शुरू होकर 1 लाख तक के केक बनाए जाते हैं. अहमद बताते हैं कि क्रिसमस के मौके पर लाहौर बेकरी पर केक की काफी डिमांड रहती है. जकी अपने तीनों भाइयों के साथ केक को तैयार करते हैं. रेसिपी किसी भी व्यक्ति के पास ना पहुंचे, जिसको लेकर वह कर्मचारी भी नहीं रखते हैं.

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