अजमेर. स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में गठिया रोग अब आम बीमारी बन चुकी है. पहले गठिया रोग 55 वर्ष की आयु के करीब होता था. लेकिन अब 40 वर्ष की आयु के लोग भी गठिया रोग के शिकार हो रहे हैं. गठिया का आयुर्वेद में कारगर इलाज है. हालांकि इसमें समय लगता है. नियमित दवा, परहेज और चिकित्सक के परामर्श से लिए जाने वाले पंचकर्म से गठिया रोग से मुक्ति मिल जाती है. आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रियंका शर्मा से जानते हैं गठिया रोग को लेकर हेल्थ टिप्स:
डॉ प्रियंका शर्मा के अनुसार गठिया रोग अब आम बीमारी बन चुकी है. 40 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों को गठिया रोग होता है. गठिया रोग पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है. गठिया रोग के कई कारण हो सकते हैं. सबसे बड़ा कारण अनियमित जीवनशैली और खानपान है. इसके अलावा फ्लोराइड युक्त पानी के नियमित सेवन से भी गठिया रोग उभरता है. वहीं पाचन क्रिया की कमजोरी से भी छोटा गठिया रोग यानी गाउट होता है. कमजोर पाचन क्रिया की वजह से यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है. इस कारण छोटे जोड़ों में दर्द होने लगता है.
उन्होंने बताया कि प्रोटीन के अधिक सेवन से भी गठिया रोग हो सकता है. संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रियंका शर्मा ने बताया कि वात (वायु), पित्त और कफ के असंतुलन से व्यक्ति बीमार पड़ता है. स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है कि शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहे. उन्होंने बताया कि गठिया रोग को हल्के में लेना रोगी के लिए कष्टदायक बन सकता है. बल्कि रोगी के चलने-फिरने, उठने-बैठने में दिक्कत आती है. वहीं हाथों की मुट्ठी तक नहीं बन पाती है. डॉ शर्मा ने बताया कि गठिया रोग का ईलाज आयुर्वेद में संभव है.
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गठिया रोग के लक्षण: डॉ प्रियंका शर्मा ने बताया कि गठिया रोग बड़ा और छोटा हो सकता है. मसलन हड्डियों के बड़े जोड़ में होने वाला दर्द गठिया कहलाता है. वहीं हड्डियों के छोटे जोड़ में होने वाले दर्द को गाउट कहते हैं. डॉ शर्मा बताती हैं कि गठिया रोग शरीर में कफ और वात के असंतुलन से होता है. इस रोग में रोगी के शरीर में हड्डियों के बड़े जोड़ में दर्द होता है और सूजन आती है. वहीं गाउट में रोगी के शरीर में हड्डियों के छोटे जोड़ में दर्द रहता है और सूजन आती है.
गठिया होने पर रखें इन बातों का ख्याल: डॉ प्रियंका शर्मा बताते हैं कि अनियमित खानपान और बिगड़ती जीवन शैली में सुधार कर गठिया रोग से बचा जा सकता है. इसके लिए आवश्यक है कि व्यक्ति पर्याप्त पानी का सेवन करे. फ्लोराइड युक्त जल ना पिएं. लंबे समय तक व्यक्ति भूखा ना रहे. भोजन के पाचन होने की प्रक्रिया से पहले कुछ ना खाएं. खाना खाते ही सोने के लिए ना जाएं. उन्होंने बताया कि खाने में आचार और अन्य खट्टी वस्तुओं का उपयोग ना करें. एयर कंडीशन की सीधी ठंडी हवा ना लें. जितना हो सके नार्मल टेंपरेचर में रहे. सुबह और शाम को हल्का व्यायाम करें.
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आयुर्वेद में गठिया का उपचार संभव: डॉ शर्मा बताती हैं कि आयुर्वेद में गठिया रोग का कारगर इलाज है. इसमें रोगी को कुछ चीजों के परहेज करने के साथ नियमित दवाइयां लेनी होती हैं. इलाज के लिए आवश्यक है कि पहले रोगी से विचार-विमर्श किया जाए. रोगी किस क्षेत्र में रहता है, उसकी आयु कितनी है, कौनसा मौसम है एवं रोगी का खानपान किस प्रकार का है. इन सभी बातों पर विचार करके ही रोगी को दवा देकर इलाज शुरू किया जाता है. उन्होंने बताया कि रोगी को कम से कम 1 महीने पंचकर्म करवाने की भी सलाह दी जाती है. इसके लिए भी प्रत्येक रोगी की पंचकर्म की प्रक्रिया भी अलग-अलग होती है. पंचकर्म में स्नेहन (मसाज), स्वेदन (स्टीम) और बसती (एनीमा) रोगी को दिया जाता है.