ETV Bharat / state

Special : आना सागर बन बैठा तबीजी गांव के लिए मुसीबत, 4 हजार बीघा फसलें चौपट, किसान बोले- पशुओं के लिए चारा तक नहीं

अजमेर की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाला आना सागर झील तबीजी गांव के किसानों के लिए मुसीबत बन गया है. झील के पानी ने किसानों की 4 हजार बीघा भूमि पर खड़ी फसलों को चौपट कर दिया है. आना सागर के दंश को झेल रहे किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

Farmers Big Loss in Ajmer
4 हजार हेक्टेयर फसलें चौपट
author img

By

Published : Aug 2, 2023, 7:14 PM IST

Updated : Aug 3, 2023, 8:40 AM IST

आना सागर बन बैठा तबीजी गांव के लिए मुसीबत

अजमेर. शहर के बीचों-बीच ऐतिहासिक आना सागर झील का दायरा कम होने का नुकसान गांव तबीजी को उठाना पड़ रहा है. बारिश के कारण झील में क्षमता से अधिक पानी है, इसलिए लगातार पानी की निकासी की जा रही है. इसके कारण तबीजी गांव के खेत तालाब बन गए हैं. वहीं, रेलवे की संस्था डीएफसीसीआईएल की लापरवाही ने भी क्षेत्र के किसानों के हालात बिगाड़ दिए हैं. हालात यह है कि खेतों में फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और मवेशियों के खाने के लिए चारा तक नहीं है. किसानों को सूखा चारा खरीद कर पशुओं को खिलाना पड़ रहा है, जो उन्हें महंगा पड़ रहा है. किसान शासन और प्रशासन से विशेष गिरदावरी करवाने और मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

Farmers Big Loss in Ajmer
आना सागर बन बैठा तबीजी गांव के लिए मुसीबत

सौंदर्य और विकास के नाम पर घटा झील का दायराः ऐतिहासिक आनासागर झील मानव निर्मित झील है. चौहान वंश के राजा अर्णोराज ने झील का निर्माण 11वीं सदी में करवाया था. तत्कालीन समय में झील का दायरा वर्तमान झील के दायरे से 3 गुना ज्यादा था. वर्तमान में 3 किलोमीटर की परिधि में झील सिमट चुकी है. झील के चारों ओर अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से पाथवे बन चुका है. सौंदर्य और विकास के नाम पर झील घटती गई और इसका दायरा और गहराई कम होती गई. वर्तमान में झील की भराव क्षमता 13 फीट है, लेकिन बरसात के कारण झील में 15 फीट पानी है.

Ana Sagar Submergence Area
आना सागर झील से लगातार हो रही पानी की निकासी...

इधर बांडी नदी के जरिए फॉयसागर का ओवरफ्लो पानी भी झील में आ रहा है. इस बार बिपरजॉय तूफान के असर से हुई बारिश से आनासागर झील लबालब हो चुकी थी. यही वजह है कि एक माह 25 दिन से लगातार झील से पानी की निकासी आनासागर एस्केप चैनल में की जा रही है. झील कैचमेंट और भराव क्षेत्र में बसी कॉलोनियों को बचाने के लिए पानी लगातार आनासागर एस्केप चैनल में छोड़ा जा रहा है, इसके कारण शहर में कई मकानों को खतरा उत्पन्न हो चुका है. वहीं, आना सागर एस्केप चैनल का पानी खानपुरा के तालाब को लबालब करते हुए तबीजी गांव के खेतों में घुस आया है.

Heavy Rain in Ajmer
आना सागर झील से पानी पहुंचा खेत में

खेत बने तालाब, फसलें हुईं चौपटः आना सागर एस्केप चैनल से पानी तबीजी होते हुए डुमाडा, पीसांगन होते हुए गोविंदगढ़ तक पहुंच चुका है. मार्ग में एक दर्जन से अधिक तालाबों को झील के पानी ने लबालब कर दिया है. झील के पानी के साथ साथ तेज बारिश के पानी ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर के रख दिया. गांव की 4 हजार बीघा से अधिक कृषि भूमि में पानी भरने से फसलें चौपट हो चुकी हैं. किसानों ने बताया कि ज्वार, बाजरा, मक्का, रजगा, ग्वार और विभिन्न सब्जियों की किसानों ने बुवाई की थी, लेकिन झील के पानी से सब बर्बाद कर दिया. किसानों ने बताया कि पशुओं के खिलाने के लिए चारा तक ग्रामीणों के पास नहीं है. पानी भरे होने के कारण किसान खेतों तक नहीं जा पा रहे हैं. किसानों ने बताया कि गांव की पूरी कृषि भूमि पर पानी भर गया है. सन 1975 में तेज बारिश से गांव का बड़ा तालाब भरते हुए देखा था. उसके बाद अब तालाब भरा है. उनका कहना है कि आना सागर झील के ओवरफ्लो पानी से पहली बार खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचा है.

पढ़ें : Special : ऐतिहासिक आना सागर झील को समेटना अजमेर को पड़ रहा भारी, जानिए क्यों बिगड़ते हैं हालात

जिम्मेदारों की लापरवाही बनी किसानों के लिए आफतः तबीजी गांव के सरपंच राजेन्द्र गैना ने बताया कि रेलवे की संस्था डीएफसीसीआईएल ने तबीजी गांव में झील के पानी की निकासी के नाले के ऊपर पुलिया बनाई थी. पुलिया को ऊंचा करने के साथ ही पाइप भी डाले गए थे. यह पाइप ऊंचे लगाए गए, जिस कारण पुलिया से पानी टकराकर गांव के खेतों में घुस आया और 4 हजार बीघा के लगभग कृषि भूमि से फसल नष्ट कर दी. किसानों का आरोप है कि डीएफसीसीआईएल अपनी लापरवाही नहीं मान रहा है. जिला कलेक्टर को भी मामले में लिख कर दिया गया है.

गैना ने बताया कि गांव के बीच से निकल रहे नेशनल हाईवे 8 पर भी पानी आने से लोगों को आवाजाही में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि 2006 में नेशनल हाईवे का काम हुआ था इस दौरान पुलिया के नीचे पानी की निकासी के लिए पाइप लगाए गए थे, लेकिन यह पाइप बाद में निकाल लिए गए. सरपंच राजेन्द्र गैना ने कहा कि शासन और प्रशासन चाहे तो उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर गांव में गिरदावरी करवाकर नुकसान भुगत रहे किसानों को राहत पहुंचाई जा सकती है. जिला प्रशासन को विशेष गिरदावरी करवाने की मांग की गई.

पुलिया को तोड़कर सुधारी लापरवाहीः डीएफसीसीआईएल की बनाई पुलिया के कारण तबीजी गांव में हजारों बीघा खेतों में पानी भर गया. आखिरकार ग्रामीणों के विरोध के बाद पुलिया को तोड़ना पड़ा, जिससे पानी खेतों से निकल कर वापस नाले में बहने लगा. वहीं, इस संबंध में डीएफसीसीआईएल के अधिकारियों से भी बातचीत करने की कोशिश की गई थी, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया.

अधिकारियों ने क्या कहा ? : वहीं, इस स्थिति को लेकर डीएफसीसीआईएल के अधिकारी कृष्णा कंदोई संस्था की लापरवाही मानने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि समस्या पुलिया के आगे एनीकट की वजह से हुई है, जिस कारण पानी खेतों में आया है, उनसे सवाल किया गया कि पुलिया को क्यों तोड़ा गया, तब उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के विरोध करने पर पुलिया को तोड़ा गया. इधर एडीएम प्रशासन राजेन्द्र सिंह ने कहा कि नायब तहसीलदार को मौके पर भेजा गया था. रेलवे के इंजीनियर से बातचीत कर समाधन निकालने को लेकर चर्चा हुई है. डीएफसीसीआईएल के अधिकारियों को भी पत्र लिखकर जवाब मांगा है.

आना सागर बन बैठा तबीजी गांव के लिए मुसीबत

अजमेर. शहर के बीचों-बीच ऐतिहासिक आना सागर झील का दायरा कम होने का नुकसान गांव तबीजी को उठाना पड़ रहा है. बारिश के कारण झील में क्षमता से अधिक पानी है, इसलिए लगातार पानी की निकासी की जा रही है. इसके कारण तबीजी गांव के खेत तालाब बन गए हैं. वहीं, रेलवे की संस्था डीएफसीसीआईएल की लापरवाही ने भी क्षेत्र के किसानों के हालात बिगाड़ दिए हैं. हालात यह है कि खेतों में फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और मवेशियों के खाने के लिए चारा तक नहीं है. किसानों को सूखा चारा खरीद कर पशुओं को खिलाना पड़ रहा है, जो उन्हें महंगा पड़ रहा है. किसान शासन और प्रशासन से विशेष गिरदावरी करवाने और मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

Farmers Big Loss in Ajmer
आना सागर बन बैठा तबीजी गांव के लिए मुसीबत

सौंदर्य और विकास के नाम पर घटा झील का दायराः ऐतिहासिक आनासागर झील मानव निर्मित झील है. चौहान वंश के राजा अर्णोराज ने झील का निर्माण 11वीं सदी में करवाया था. तत्कालीन समय में झील का दायरा वर्तमान झील के दायरे से 3 गुना ज्यादा था. वर्तमान में 3 किलोमीटर की परिधि में झील सिमट चुकी है. झील के चारों ओर अजमेर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से पाथवे बन चुका है. सौंदर्य और विकास के नाम पर झील घटती गई और इसका दायरा और गहराई कम होती गई. वर्तमान में झील की भराव क्षमता 13 फीट है, लेकिन बरसात के कारण झील में 15 फीट पानी है.

Ana Sagar Submergence Area
आना सागर झील से लगातार हो रही पानी की निकासी...

इधर बांडी नदी के जरिए फॉयसागर का ओवरफ्लो पानी भी झील में आ रहा है. इस बार बिपरजॉय तूफान के असर से हुई बारिश से आनासागर झील लबालब हो चुकी थी. यही वजह है कि एक माह 25 दिन से लगातार झील से पानी की निकासी आनासागर एस्केप चैनल में की जा रही है. झील कैचमेंट और भराव क्षेत्र में बसी कॉलोनियों को बचाने के लिए पानी लगातार आनासागर एस्केप चैनल में छोड़ा जा रहा है, इसके कारण शहर में कई मकानों को खतरा उत्पन्न हो चुका है. वहीं, आना सागर एस्केप चैनल का पानी खानपुरा के तालाब को लबालब करते हुए तबीजी गांव के खेतों में घुस आया है.

Heavy Rain in Ajmer
आना सागर झील से पानी पहुंचा खेत में

खेत बने तालाब, फसलें हुईं चौपटः आना सागर एस्केप चैनल से पानी तबीजी होते हुए डुमाडा, पीसांगन होते हुए गोविंदगढ़ तक पहुंच चुका है. मार्ग में एक दर्जन से अधिक तालाबों को झील के पानी ने लबालब कर दिया है. झील के पानी के साथ साथ तेज बारिश के पानी ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर के रख दिया. गांव की 4 हजार बीघा से अधिक कृषि भूमि में पानी भरने से फसलें चौपट हो चुकी हैं. किसानों ने बताया कि ज्वार, बाजरा, मक्का, रजगा, ग्वार और विभिन्न सब्जियों की किसानों ने बुवाई की थी, लेकिन झील के पानी से सब बर्बाद कर दिया. किसानों ने बताया कि पशुओं के खिलाने के लिए चारा तक ग्रामीणों के पास नहीं है. पानी भरे होने के कारण किसान खेतों तक नहीं जा पा रहे हैं. किसानों ने बताया कि गांव की पूरी कृषि भूमि पर पानी भर गया है. सन 1975 में तेज बारिश से गांव का बड़ा तालाब भरते हुए देखा था. उसके बाद अब तालाब भरा है. उनका कहना है कि आना सागर झील के ओवरफ्लो पानी से पहली बार खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचा है.

पढ़ें : Special : ऐतिहासिक आना सागर झील को समेटना अजमेर को पड़ रहा भारी, जानिए क्यों बिगड़ते हैं हालात

जिम्मेदारों की लापरवाही बनी किसानों के लिए आफतः तबीजी गांव के सरपंच राजेन्द्र गैना ने बताया कि रेलवे की संस्था डीएफसीसीआईएल ने तबीजी गांव में झील के पानी की निकासी के नाले के ऊपर पुलिया बनाई थी. पुलिया को ऊंचा करने के साथ ही पाइप भी डाले गए थे. यह पाइप ऊंचे लगाए गए, जिस कारण पुलिया से पानी टकराकर गांव के खेतों में घुस आया और 4 हजार बीघा के लगभग कृषि भूमि से फसल नष्ट कर दी. किसानों का आरोप है कि डीएफसीसीआईएल अपनी लापरवाही नहीं मान रहा है. जिला कलेक्टर को भी मामले में लिख कर दिया गया है.

गैना ने बताया कि गांव के बीच से निकल रहे नेशनल हाईवे 8 पर भी पानी आने से लोगों को आवाजाही में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि 2006 में नेशनल हाईवे का काम हुआ था इस दौरान पुलिया के नीचे पानी की निकासी के लिए पाइप लगाए गए थे, लेकिन यह पाइप बाद में निकाल लिए गए. सरपंच राजेन्द्र गैना ने कहा कि शासन और प्रशासन चाहे तो उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर गांव में गिरदावरी करवाकर नुकसान भुगत रहे किसानों को राहत पहुंचाई जा सकती है. जिला प्रशासन को विशेष गिरदावरी करवाने की मांग की गई.

पुलिया को तोड़कर सुधारी लापरवाहीः डीएफसीसीआईएल की बनाई पुलिया के कारण तबीजी गांव में हजारों बीघा खेतों में पानी भर गया. आखिरकार ग्रामीणों के विरोध के बाद पुलिया को तोड़ना पड़ा, जिससे पानी खेतों से निकल कर वापस नाले में बहने लगा. वहीं, इस संबंध में डीएफसीसीआईएल के अधिकारियों से भी बातचीत करने की कोशिश की गई थी, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया.

अधिकारियों ने क्या कहा ? : वहीं, इस स्थिति को लेकर डीएफसीसीआईएल के अधिकारी कृष्णा कंदोई संस्था की लापरवाही मानने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि समस्या पुलिया के आगे एनीकट की वजह से हुई है, जिस कारण पानी खेतों में आया है, उनसे सवाल किया गया कि पुलिया को क्यों तोड़ा गया, तब उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के विरोध करने पर पुलिया को तोड़ा गया. इधर एडीएम प्रशासन राजेन्द्र सिंह ने कहा कि नायब तहसीलदार को मौके पर भेजा गया था. रेलवे के इंजीनियर से बातचीत कर समाधन निकालने को लेकर चर्चा हुई है. डीएफसीसीआईएल के अधिकारियों को भी पत्र लिखकर जवाब मांगा है.

Last Updated : Aug 3, 2023, 8:40 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.