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Health Tips: मूड डिसऑर्डर मैनिया भी हो सकता है स्वभाव में बदलाव, इस रोग के बारे में जानिए डॉ. मनीषा गौड़ से

आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में तनाव के चलते कई तरह के मनोरोग भी लोगों को जकड़ रहे हैं. इसी के तहत मूड डिसऑर्डर मैनिया भी एक प्रकार का मनोरोग ही होता है. इसके बारे में आइए जानते हैं क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉक्टर मनीषा गौड़ से.

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मूड डिसऑर्डर मैनिया भी हो सकता है स्वभाव में बदलाव
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Published : Jun 14, 2023, 3:50 PM IST

मूड डिसऑर्डर मैनिया भी हो सकता है स्वभाव में बदलाव

अजमेर. भाग दौड़ की जिंदगी में तनाव एक आम समस्या बन गई है. तनाव के साथ कई तरह के मनोरोग भी लोगों को जकड़ रहे है. मनोरोग में एक प्रकार मूड डिसऑर्डर का भी है. मूड डिसऑर्डर मैनिया भी एक रोग का प्रकार है. जानिए क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ से मूड डिसऑर्डर के एक प्रकार मैनिया के बारे में हेल्थ टिप्स.

लंबे समय तक अवसाद की स्थिति मूड डिसऑर्डर होती हैः मनोरोग का एक प्रकार मूड डिसऑर्डर भी है. मूड डिसऑर्डर ग्रसित व्यक्ति में कई तरह के बदलाव आते हैं. मसलन उदासीनता अथवा उत्तेजना. सामान्य कोई व्यक्ति में बदलाव आते हैं, तो उन्हें मूड डिसऑर्डर नहीं कहा जा सकता. मगर वही बदलाव लंबे समय तक रहते हैं. जैसे अवसाद की स्थिति लगातार चार-पांच माह तक चल रही है या फिर मैनिया की स्थिति लगातार तीन से चार माह तक चल रही हो तो यह मूड डिसऑर्डर भी हो सकता है. डॉ. मनीषा गौड़ बताती है कि मूड डिसऑर्डर मनोरोग स्त्री और पुरुष दोनों में हो सकता है. ज्यादातर यह रोग टीनएजर्स और युवाओं में देखने को मिलता है। उन्होंने बताया कि मूड डिसऑर्डर का कारण जेनेटिक भी हो सकता है. साथ ही तनाव के कारण भी यह स्थिति बन सकती है.

ये भी पढ़ेंः Health Tips : अगर चेहरे की रौनक छीन रही हैं झाइयां तो जानें कैसे मिलेगी इससे निजात

मूड डिसऑर्डर मैनिया के लक्षण: डॉ गौड़ बताती हैं कि मूड डिसऑर्डर के दो प्रकार होते हैं. इनमें डिप्रेशन और मैनिया है. मैनिया में बदलाव आते हैं. मसलन ज्यादा खुश होना, ज्यादा खर्चीला स्वभाव होना, तड़क-भड़क कपड़े पहनना, अपने आप को सर्वोच्च समझना. उन्होंने बताया कि कई बार तो मैनिया ग्रसित व्यक्ति केवल हिंदी भाषी होने के बावजूद भी अंग्रेजी भाषा का उपयोग बोलने में करने लगता है. मैनिया से ग्रसित लोग बल का उपयोग ज्यादा करते हैं. वह खुद को शक्तिमान समझते हैं. इतना ही नहीं ऐसे रोगी को नींद की जरूरत भी महसूस नहीं होती है. मसलन 4 घंटे की नींद लेने के बावजूद भी वह खुद को तरोताजा महसूस करते हैं.

ये भी पढ़ेंः Health Tips : बच्चा अगर रहता है गुमसुम तो नहीं करें नजरअंदाज, चाइल्डहुड डिप्रेशन का हो सकता है शिकार

दूसरे प्रकार में रोगी शक और क्रोध करने लगता हैः इसके बावजूद भी सामान्य व्यक्ति से ज्यादा एक्टिव नजर आते हैं. डॉ. मनीषा गौड़ बताती हैं कि मैनिया को दो प्रकार से देख सकते हैं. एक जिसमें गुस्सैल स्वभाव नहीं होता उनमें खुशी अधिक होती है. मैनिया के दूसरे प्रकार में रोगी शक, वह और क्रोध ज्यादा करने लगता है. दोनों ही प्रकार में नींद की कमी रहती है. यानी पर्याप्त नींद लेना रोगी ज्यादा उचित नहीं समझते. दूसरे प्रकार में रोगी अपशब्द बोलना, झगड़ना, मारपीट करने लगता है.

लक्षण दिखे तो तुरंत मनोवैज्ञानिक से करें संपर्क: क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ ने बताया कि मैनिया के लक्षण किसी व्यक्ति में 1 हफ्ते तक लगातार दिख रहे हैं, तो उस व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक के पास इलाज के लिए ले जाना चाहिए. इसमें मनोवैज्ञानिक मेनिया रोगी को सपोर्टिव साइकोथेरेपी देते है. इसमें रोगी के अभिभावक या परिजनों को काफी धैर्य रखना होता है. दवा और थेरेपी के जरिए मैनिया को कंट्रोल किया जा सकता है.

मूड डिसऑर्डर मैनिया भी हो सकता है स्वभाव में बदलाव

अजमेर. भाग दौड़ की जिंदगी में तनाव एक आम समस्या बन गई है. तनाव के साथ कई तरह के मनोरोग भी लोगों को जकड़ रहे है. मनोरोग में एक प्रकार मूड डिसऑर्डर का भी है. मूड डिसऑर्डर मैनिया भी एक रोग का प्रकार है. जानिए क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ से मूड डिसऑर्डर के एक प्रकार मैनिया के बारे में हेल्थ टिप्स.

लंबे समय तक अवसाद की स्थिति मूड डिसऑर्डर होती हैः मनोरोग का एक प्रकार मूड डिसऑर्डर भी है. मूड डिसऑर्डर ग्रसित व्यक्ति में कई तरह के बदलाव आते हैं. मसलन उदासीनता अथवा उत्तेजना. सामान्य कोई व्यक्ति में बदलाव आते हैं, तो उन्हें मूड डिसऑर्डर नहीं कहा जा सकता. मगर वही बदलाव लंबे समय तक रहते हैं. जैसे अवसाद की स्थिति लगातार चार-पांच माह तक चल रही है या फिर मैनिया की स्थिति लगातार तीन से चार माह तक चल रही हो तो यह मूड डिसऑर्डर भी हो सकता है. डॉ. मनीषा गौड़ बताती है कि मूड डिसऑर्डर मनोरोग स्त्री और पुरुष दोनों में हो सकता है. ज्यादातर यह रोग टीनएजर्स और युवाओं में देखने को मिलता है। उन्होंने बताया कि मूड डिसऑर्डर का कारण जेनेटिक भी हो सकता है. साथ ही तनाव के कारण भी यह स्थिति बन सकती है.

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मूड डिसऑर्डर मैनिया के लक्षण: डॉ गौड़ बताती हैं कि मूड डिसऑर्डर के दो प्रकार होते हैं. इनमें डिप्रेशन और मैनिया है. मैनिया में बदलाव आते हैं. मसलन ज्यादा खुश होना, ज्यादा खर्चीला स्वभाव होना, तड़क-भड़क कपड़े पहनना, अपने आप को सर्वोच्च समझना. उन्होंने बताया कि कई बार तो मैनिया ग्रसित व्यक्ति केवल हिंदी भाषी होने के बावजूद भी अंग्रेजी भाषा का उपयोग बोलने में करने लगता है. मैनिया से ग्रसित लोग बल का उपयोग ज्यादा करते हैं. वह खुद को शक्तिमान समझते हैं. इतना ही नहीं ऐसे रोगी को नींद की जरूरत भी महसूस नहीं होती है. मसलन 4 घंटे की नींद लेने के बावजूद भी वह खुद को तरोताजा महसूस करते हैं.

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दूसरे प्रकार में रोगी शक और क्रोध करने लगता हैः इसके बावजूद भी सामान्य व्यक्ति से ज्यादा एक्टिव नजर आते हैं. डॉ. मनीषा गौड़ बताती हैं कि मैनिया को दो प्रकार से देख सकते हैं. एक जिसमें गुस्सैल स्वभाव नहीं होता उनमें खुशी अधिक होती है. मैनिया के दूसरे प्रकार में रोगी शक, वह और क्रोध ज्यादा करने लगता है. दोनों ही प्रकार में नींद की कमी रहती है. यानी पर्याप्त नींद लेना रोगी ज्यादा उचित नहीं समझते. दूसरे प्रकार में रोगी अपशब्द बोलना, झगड़ना, मारपीट करने लगता है.

लक्षण दिखे तो तुरंत मनोवैज्ञानिक से करें संपर्क: क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ ने बताया कि मैनिया के लक्षण किसी व्यक्ति में 1 हफ्ते तक लगातार दिख रहे हैं, तो उस व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक के पास इलाज के लिए ले जाना चाहिए. इसमें मनोवैज्ञानिक मेनिया रोगी को सपोर्टिव साइकोथेरेपी देते है. इसमें रोगी के अभिभावक या परिजनों को काफी धैर्य रखना होता है. दवा और थेरेपी के जरिए मैनिया को कंट्रोल किया जा सकता है.

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