अजमेर. कोरोना संक्रमण को देखते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 14 अप्रैल की रात को कर्फ्यू लगाए हैं. जिससे अब अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में जायरीन जियारत भी नहीं कर सकेंगे. इसके साथ ही पुष्कर स्थित विश्व विख्यात ब्रह्मा मंदिर में भी श्रद्धालु दर्शन नहीं कर सकेंगे.
16 अप्रैल से लागू होने वाली नई गाइडलाइन के अनुसार राजस्थान में सभी धार्मिक स्थलों पर आवाजाही पर पूर्ण रोक लगा दी है. पिछले साल मार्च में जब पूर्ण लॉकडाउन हुआ था, तब धार्मिक स्थलों पर ऐसा ही प्रतिबंध लगाए गए थे. जब धार्मिक स्थलों पर आवाजाही पर रोक लगा दी है तो फिर बाहर से आने वाले जायरीन भी दरगाह में जियारत नहीं कर सकेंगे.
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इसी प्रकार पुष्कर सरोवर के घाटों पर स्नान, पूजा पाठ आदि के धार्मिक कार्यों पर भी रोक रहेगी. लॉकडाउन में दरगाह में कुछ खादिमों को धार्मिक रस्में पूरी करने की अनुमति दी गई थी, जबकि पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में रोजाना सुबह शाम पुजारियों को आरती और भगवान की प्रतिमा का श्रृंगार करने की अनुमति दी गई. यहां यह उल्लेखनीय है कि दरगाह के बाहर बाजारों में जायरीन के आने से ही रौनक और कारोबार होता है. दरगाह के आसपास हजारों गेस्ट हाउस और होटल बने हुए हैं, जो जायरीन से खचाखच भरे रहते हैं. इसी प्रकार पुष्कर का कारोबार तो पूरी तरह श्रद्धालुओं और विदेशी पर्यटकों पर टिका है.
सरकार ने शाम 5 बजे तक दुकानें खोलने की छूट दी है लेकिन जब जायरीन और श्रद्धालु आएंगे ही नहीं तो फिर दुकानों के खुले रहने का कोई मतलब नहीं है. सरकार के प्रतिबंध पुष्कर और दरगाह के पास लॉकडाउन जैसे ही है.