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अजमेर ः नवरात्रा में होगा 41 फीट महिषासूर का दहन, 18 सालों से चली आ रही परंपरा - burning of Ajmer Mahishasura

अजमेर बाड़ी माता मंदिर पर आसोज नवरात्रा पर 6 अक्टूबर को 41 फीट के महिषासूर का पुतला दहन किया जाएगा. वहीं इस आयोजन को लेकर पुलिस टीम ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.

Ajmer Asoj Navratra Mahishasura, अजमेर आसोज नवरात्रा महिषासूर
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Published : Oct 5, 2019, 10:57 PM IST

बिजयनगर (अजमेर). बाड़ी माता मंदिर पर आसोज नवरात्रा में विगत 18 वर्षों से महिषासूर के पुतले का दहन किया जा रहा है. 6 अक्टूबर को भी मंदिर परिसर में 41 फीट के महिषासूर के पुतले का दहन होगा.

अजमेर में महिषासूर दहन कार्यक्रम

माता के उपासक कृष्णा टांक ने बताया कि महिषासूर एक राक्षस था, जिसका वध करने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के तेज से और देवी-देवताओं ने अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित कर मां भगवती को शक्ति प्रदान की. जिसके बाद मां भगवती ने सिंह पर सवार होकर अपना विकराल रूप धारण किया और महिषासूर का वध किया. वहीं बाड़ी माता भी एक मां का ही रूप हैं. इसी लिए यहां पर महिषासूर के पुतले का दहन किया जाता है.

पढ़ें: अशोक गहलोत को युवाओं के रोजगार की नहीं अपने बेटे की चिंताः सतीश पूनिया

बता दें कि बाड़ी माता मंदिर में महिषासूर के दहन का कोई विशेष कारण नहीं बताया जा रहा है. कई वर्षों पहले माताजी के परम भक्त चुन्नी लाल टांक ने ये परमंपरा शुरू की थी. जिसने अब एक विशाल रूप ले लिया है. इस दौरान भव्य झांकियों का आयोजन होगा. वहीं इस मेले में हजारों की संख्या में लोग में भाग लेगें. इस आयोजन को लेकर पुलिस टीम ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए है.

बिजयनगर (अजमेर). बाड़ी माता मंदिर पर आसोज नवरात्रा में विगत 18 वर्षों से महिषासूर के पुतले का दहन किया जा रहा है. 6 अक्टूबर को भी मंदिर परिसर में 41 फीट के महिषासूर के पुतले का दहन होगा.

अजमेर में महिषासूर दहन कार्यक्रम

माता के उपासक कृष्णा टांक ने बताया कि महिषासूर एक राक्षस था, जिसका वध करने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के तेज से और देवी-देवताओं ने अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित कर मां भगवती को शक्ति प्रदान की. जिसके बाद मां भगवती ने सिंह पर सवार होकर अपना विकराल रूप धारण किया और महिषासूर का वध किया. वहीं बाड़ी माता भी एक मां का ही रूप हैं. इसी लिए यहां पर महिषासूर के पुतले का दहन किया जाता है.

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बता दें कि बाड़ी माता मंदिर में महिषासूर के दहन का कोई विशेष कारण नहीं बताया जा रहा है. कई वर्षों पहले माताजी के परम भक्त चुन्नी लाल टांक ने ये परमंपरा शुरू की थी. जिसने अब एक विशाल रूप ले लिया है. इस दौरान भव्य झांकियों का आयोजन होगा. वहीं इस मेले में हजारों की संख्या में लोग में भाग लेगें. इस आयोजन को लेकर पुलिस टीम ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए है.

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बिजयनगर (अजमेर )
बिजयनगर के पास ही स्थित बाडी माताजी मन्दिर के स्थान पर आसोज नवरात्रा में महिषासूर का दहन किया जाता है शायद प्रदेश में एक मात्र स्थान होगा जॅहा महिषासूर का दहन होता है ।
जहॉ एक ओर सम्पूर्ण देश व प्रदेश में बुराई के प्रतिक रावण का दहन किया जाता है ।
Body:बाडी माताजी में विगत 18 वर्षो से महिषासूर के पुतले का दहन किया जा रहा है 6 अक्टूबर रविवार को मन्दिर परिसर में मां भगवती मर्दिनी द्वारा 41 फीट के महिषासूर के पुतले का दहन होगा ।
बाडी माताजी मन्दिर उपासक कृष्णा टांक ने बताया की महिषासूर एक राक्षस था जिसका वघ करने के लिए ब्रह्नमा विष्णु महेश के तेज पुज से व देवी देवताओं ने अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित कर मां भगवती को शक्ति प्रदान की ओर मां भगवती ने सिंह पर सवार हो अपना विकराल रूप धारण कर महिषासूर का वध किया।
बाडी माता भी एक मां का ही रूप है इसी लिए यहां पर महिषासूर के पुतले का दहन किया जाता है ।
बाडी माताजी मन्दिर में महिषासूर के दहन का कोई विशेष कारण नही बताया जा रहा है बस वर्षो पहले माताजी के परम भक्त चुन्नी लाल टांक ने ये परमंपरा शुरू की थी जिसने अब एक विशाल रूप ले लिया है ।
Conclusion:भव्य झांकिया का भी आयोजन भी होगा साथ ही शानदारआतिशबाजी का भी आयोजन होगा ।
आसपास के हजारो की संख्या में लोग मैले में भाग लेगें SHO विजयसिंह रावत मय  पुलिस टीम ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए ।

बाइट कृष्णा टांक बाडी माताजी मन्दिर उपासक

अशोक बाबेल बिजयनगर (अजमेर ) 9214008160


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