अजमेर. तीर्थ नगरी पुष्कर में 10 दिवसीय बैकुंठ महोत्सव नए श्रीरंगजी के मंदिर में शनिवार को बैकुंठ एकादशी से आरंभ होगा. माना जाता है कि इस दिन बैकुंठ नाथ अपनी पत्नी श्री देवी और भूदेवी के साथ बैकुंठ से बाहर आते हैं. परंपरा के अनुसार पुष्कर के नए श्री रंगनाथ मंदिर में बैकुंठ एकादशी पर बैकुंठ द्वार खुलेगा. खास बात यह है कि मंदिर में यह बैकुंठ द्वार वर्ष में केवल एक बार ढाई घंटे के लिए बैकुंठ एकादशी के दिन ही खुलता है. इस दिन का श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार रहता है.
पुष्कर के नए श्रीरंगजी के मंदिर में 10 दिवसीय बैकुंठ महोत्सव की तैयारी शुरू हो चुकी है. 99 वर्षों से परंपरा के अनुसार बैकुंठ महोत्सव मनाया जाता रहा है. बैकुंठ एकादशी से बैकुंठ महोत्सव की शुरुआत होती है. पुष्कर के नए श्रीरंगजी के मंदिर में प्रबंधक सत्यनारायण रामावत ने बताया कि मंदिर के निर्माण को 99 वर्ष हो चुके हैं. दक्षिण शैली में निर्मित नए श्रीरंगजी के मंदिर में बैकुंठ द्वार भी है, जो वर्षभर बंद ही रहता है.
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रामावत ने बताया कि बैकुंठ एकादशी के दिन यह द्वार दो से ढाई घंटे के लिए ही खोला जाता है. इस दौरान संत और श्री बैकुंठ नाथ के साथ श्रीदेवी और भू देवी बैकुंठ द्वार से पालकी में बाहर आते हैं. खास बात यह है कि भगवान के साथ पीछे-पीछे श्रद्धालु भी बैकुंठ द्वार से बाहर आते हैं. भगवान बैकुंठ नाथ की मंदिर से बाहर विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद भगवान बैकुंठ नाथ की पालकी को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा जाता है. भगवान को भोग लगाने के बाद श्रद्धालुओं में प्रसादी वितरित की जाती है. उसके बाद भगवान बैकुंठ द्वार से वापस मंदिर में विराजमान हो जाते हैं. फिर बैकुंठ द्वार को बंद कर दिया जाता है. यानी यह बैकुंठ द्वार अब अगले वर्ष बैकुंठ एकादशी पर ही खुलेगा.
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10 दिन तक मंदिर के मुख्य द्वार से बाहर आते हैं भगवान बैकुंठ नाथ: रामावत बताते हैं कि मंदिर में 10 दिवसीय बैकुंठ महोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का दर्शनों के लिए आना जाना लगा रहता है. बैकुंठ एकादशी से अगले 9 दिन तक शाम 5 बजे भगवान बैकुंठनाथ की सवारी निकाली जाती है. मंदिर के मुख्य द्वार से भगवान बैकुंठ नाथ को पालकी में बाहर लाया जाता है. मंदिर परिसर में भगवान बैकुंठनाथ की सवारी के ढाई फेरे होते हैं. प्रतिदिन भगवान को भोग लगाकर दर्शनार्थियों को प्रसाद वितरित किया जाता है. बैकुंठ महोत्सव के दसवें दिन धूमधाम से समापन समारोह होता है.
श्रद्धालुओं में रहती है हौड़: बैकुंठ द्वार से भगवान वर्ष में केवल बैकुंठ एकादशी के दिन ही आते हैं. पुष्कर के विख्यात श्रीरंगजी के मंदिर में वैकुंठ एकादशी का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस दिन लोग एकादशी का व्रत भी रखते हैं. मंदिर के गर्भ गृह से भगवान बैकुंठ नाथ की सवारी बैकुंठ द्वार से जब बाहर लाई जाती है, तब बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी सवारी के साथ बाहर आते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.