एथेंस: 200 से ज्यादा मानवधिकार ग्रुप ने बीजिंग ओलंपिक गेम्स 2022 के ब्रॉडकास्टर्स को इस गेम के साथ हुई डील को रद्द करने के लिए अपील की. जिसमें कहा गया कि चीन में होने वाले ओलंपिक खेल असल में 'जेनोसाइट' और 'नरसंहार गेम्स' हैं.
इसके बाद चीन में मानवाधिकारों के हनन का विरोध करने वाले तीन कार्यकर्ता ग्रीस के एक पुरातात्विक स्थल में घुस गए, जहां सोमवार को 2022 बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के लिए ज्योति प्रज्वलन समारोह आयोजित किया गया था.
ये ओलंपिक की ज्वाला प्राचीन ओलंपिक के जन्मस्थल दक्षिण ग्रीस में भारी सुरक्षा के चलते प्रज्वलित की गई थी.
प्रदर्शनकारी प्राचीन ग्रीस के ओलंपिया के मैदान में प्रवेश करने के लिए सुरक्षा के लिए लगे नुकिले फेंस पर चढ़ गए और हेरा के मंदिर (टॉर्च जलाने के समारोह का स्थल) तक पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोककर हिरासत में लिया.
उन कार्यकर्ताओं ने तिब्बती ध्वज पकड़ हुआ था साथ ही उन्होंने एक बैनर भी पकड़ रखा था जिसमें लिखा था, "कोई नरसंहार खेल नहीं".
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इससे पहले कई प्रदर्शनकारियों को स्थल तक पहुंचने से काफी पहले ही पुलिस द्वारा पकड़ लिया गया था.
वहीं चीन के नॉर्थवेस्ट रीजन में मौजूद प्रदर्शनकारियों ने कहा, "बीजिंग को ओलंपिक होस्ट करने की अनुमति कैसे मिल सकती है वो भी तब जब उनके द्वारा मुस्लिम उगइरों पर किया गया नरसिंहार पूरी दुनियां जानती हो."
वहीं ओलंपिक टॉर्च सौंपने के कार्यक्रम से कई घंटों पहले मानवाधिकारों के कार्यकर्ताओं द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई जिसमें वो अंतरराष्ट्रीय सरकारों, स्पॉन्सरों और एथलीटों से इस खेल को बॉयकॉट करने का निवेदन कर रहे थे.
प्रदर्शनकारियों का क्या है कहना?
इस मामले पर विश्व उगइर कांग्रेस के प्रोग्राम मेनेजर ज़ुमरेते आर्किन ने कहा, "वर्तमान में, जैसा कि हम यहां खड़े हैं, ये 21वीं सदी है और इस वक्त वहां लाखों उइगर यातना शिविरों (concentration camps) में फसें हुए हैं, जहां उन्हें यातना, यौन शोषण, बलात्कार, दुर्व्यवहार, निगरानी, परिवारों को जबरन अलग करना और जबरन श्रम का शिकार बनाया जा रहा है. ये सभी अत्याचार आज पूर्वी तुर्किस्तान में हो रहे हैं, जिसे चीन के झिंजियांग स्वायत्त क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है. इस संकट ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है. मैं खुद उइगर हूं और मेरे भी कई रिश्तेदार हैं जो या तो लापता हैं या हिरासत में हैं."
फ्री तिब्बत की कैंप्न डायरेक्टर पेमा डोमा ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी की इस योजना पर आईओसी (अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति) के साथ जुड़ना पूरी तरह से शर्मनाक है. दुनिया भर में कोई भी इंसान जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हिस्सा है उसे हमारे साथ खड़े होना चाहिए और कहना चाहिए कि नरसंहार हमारे लिए एक लाल रेखा है अगर हमारे पास मानवता बची है तो जब नरसंहार हो रहा है, जब लोगों को सबसे बुनियादी अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं और उनके पास राजनीतिक राय रखने का अधिकार, आवाज उठाने का अधिकार, विदेश में अपने परिवार के साथ बातचीत करने का अधिकार, अपने परिवार के पास घर वापस आने का अधिकार, ये सबसे सरल अधिकार हैं जो हर इंसान के मिलने चाहिए. इन अधिकारों का दुनिया भर में लाखों मनुष्य आनंद लेते हैं - लेकिन उइगर और तिब्बतियों के लिए ये बड़े सपने जैसा है तो अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इससे को परेशानी नहीं है, और वो इसके साथ आगे बढ़ने के साथ ठीक हैं, तो हम अभी तक कहा पहुंचने हैं? इस परिदृश्य में आईओसी क्या कर रही है?"
इससे पहले 2008 के बीजिंग ग्रीष्मकालीन खेलों के लिए प्रकाश समारोह के दौरान लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शन भी हुआ था.
चीन के मानवाधिकार रिकॉर्ड की व्यापक अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने इस मुद्दे पर ये कहते हुए किनारा कर लिया है कि ये उनके दायरे से बाहर है.