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कोरोना वायरस : ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं का दावा- कोविड-19 के लिए खोजी गई दो दवाएं

ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के खिलाफ दो दवाएं खोजने का दावा किया है. उन्होंने कहा यह दवाएं कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में कारगर होंगी. पढ़ें पूरी खबर...

कोरोना वायरस
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Published : Mar 16, 2020, 11:57 PM IST

मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने सोमवार को दावा किया कि उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने में कारगर दो दवाओं एचआईवी और मलेरिया रोधी का पता लगा लिया है.

क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के क्लिनिकल शोध केंद्र के निदेशक डेविड पैटर्सन ने बताया कि दो दवाओं को टेस्ट ट्यूब में कोरोना वायरस को रोकने के लिए इस्तेमाल किया गया और यह कारगर है और इंसानों पर परीक्षण के लिए तैयार है.

उन्होंने बताया कि इन दवाओं में एक एचआईवी के इलाज में इस्तेमाल दवा है और दूसरी मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल क्लोरोक्वीन है.

पैटर्सन ने बताया कि इन दोनों दवाओं का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया में संक्रमित कुछ मरीजों पर किया गया और पाया गया कि उसमें वायरस पूरी तरह से गायब हो गया.

रॉयल ब्रिसबेन एंड वीमेन्स हॉस्पिटल में संचारी बीमारी के डॉक्टर पैटर्सन ने कहा, 'यह संभावित प्रभावी इलाज है. इलाज के अंत में पाया गया कि मरीज के शरीर में कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई संकेत तक नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'इस वक्त हम पूरे ऑस्ट्रेलिया में 50 अस्पतालों में बड़े पैमाने पर दवा का इंसानों पर परीक्षण करना चाहते हैं ताकि अन्य दवाओं के साथ इन दो दवाओं के समिश्रण की तुलना की जा सके.'

पढ़ें : अमेरिका में आज से शुरू होगा कोरोना वायरस की वैक्सीन का परीक्षण

पैटर्सन ने कहा कि कुछ मरीजों पर कोरोना वायरस की इस दवा का बहुत ही सकारात्मक असर हुआ है, हालांकि इसका नियंत्रित परिस्थियों या तुलानात्मक आधार पर परीक्षण नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि यह दवा टैबलेट के रूप में है जिसे मरीज को मुंह के जरिए दिया जाता है.

मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने सोमवार को दावा किया कि उन्होंने कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने में कारगर दो दवाओं एचआईवी और मलेरिया रोधी का पता लगा लिया है.

क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के क्लिनिकल शोध केंद्र के निदेशक डेविड पैटर्सन ने बताया कि दो दवाओं को टेस्ट ट्यूब में कोरोना वायरस को रोकने के लिए इस्तेमाल किया गया और यह कारगर है और इंसानों पर परीक्षण के लिए तैयार है.

उन्होंने बताया कि इन दवाओं में एक एचआईवी के इलाज में इस्तेमाल दवा है और दूसरी मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल क्लोरोक्वीन है.

पैटर्सन ने बताया कि इन दोनों दवाओं का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया में संक्रमित कुछ मरीजों पर किया गया और पाया गया कि उसमें वायरस पूरी तरह से गायब हो गया.

रॉयल ब्रिसबेन एंड वीमेन्स हॉस्पिटल में संचारी बीमारी के डॉक्टर पैटर्सन ने कहा, 'यह संभावित प्रभावी इलाज है. इलाज के अंत में पाया गया कि मरीज के शरीर में कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई संकेत तक नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'इस वक्त हम पूरे ऑस्ट्रेलिया में 50 अस्पतालों में बड़े पैमाने पर दवा का इंसानों पर परीक्षण करना चाहते हैं ताकि अन्य दवाओं के साथ इन दो दवाओं के समिश्रण की तुलना की जा सके.'

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पैटर्सन ने कहा कि कुछ मरीजों पर कोरोना वायरस की इस दवा का बहुत ही सकारात्मक असर हुआ है, हालांकि इसका नियंत्रित परिस्थियों या तुलानात्मक आधार पर परीक्षण नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि यह दवा टैबलेट के रूप में है जिसे मरीज को मुंह के जरिए दिया जाता है.

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