उदयपुर. मेवाड़ की वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव सीट सभी दलों के सिरदर्द बन गई है. भाजपा ने इस बार के उपचुनाव में अपने कई शीर्ष नेताओं को मैदान में उतारा है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया लगातार कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को एकजुट करने की मंशा से बैठक ले रहे हैं. लेकिन तमाम दावों के बावजूद भाजपा को भितरघात का खतरा सता रहा है. क्योंकि भाजपा के दो पूर्व सदस्य पार्टी के लिए चुनौती बने हैं. लंबे समय से भाजपा यहां से जीत पाने में असफल रही है. ऐसे में लंबे समय का सूखा खत्म करना और जीत का स्वाद चखने के लिए भाजपा पूरा जोर लगा रही है.
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लंबे समय से वल्लभनगर विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता रहा है. क्योंकि यहां से भाजपा के पूर्व सदस्य रहे जनता सेना सुप्रीमो रणधीर सिंह भींडर ने भाजपा से अलग होकर अलग पार्टी बना ली है. भींडर भाजपा के लिए ही सिरदर्द बन गए है. इस बार के चुनाव में भी उन्हें पार्टी में शामिल करने की चर्चाएं चली.
भींडर भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं
इस बार फिर भींडर चुनावी मैदान में दमखम के साथ डटे हुए हैं. चुनाव जीतने का लगातार दावा कर रहे हैं. यही कारण है कि भिंडर सुबह से लेकर शाम तक जनता के बीच में पहुंचकर वोट की अपील कर रहे हैं. भींडर के वोट बैंक का एक बड़ा जनाधार है. ऐसे में भाजपा को इनसे भी चुनौती मिल रही है. भींडर भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं.
आरएलपी के उम्मीदवार भाजपा के लिए बने चुनौती
लंबे समय से भाजपा को वल्लभनगर में मजबूत करने का काम करने वाले उदय लाल डांगी को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया. जिससे खफा होकर उन्होंने आरएलपी का दामन थाम लिया. आरएलपी ने भी अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतार दिया. ऐसे में उदय लाल डांगी लगातार भाजपा पर जुबानी हमला बोल रहे हैं और अपनी जीत के साथ भाजपा पर विश्वासघात का आरोप लगा रहे हैं. इससे पहले के चुनाव में डांगी भारी वोट लेकर आए थे. इस चुनाव में डांगी को भाजपा ने मना पाने में असफल रही है.
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हालांकि, कुल मिलाकर देखें तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का यही कहना है कि वल्लभनगर की विधानसभा सीट पर भाजपा जीतेगी. क्योंकि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल से जनता नाखुश है. वहीं कांग्रेस भी लगातार दमखम के साथ चुनावी मैदान में जीत को लेकर दावे कर रही है. कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी लगातार जनता के बीच में पहुंचकर कांग्रेस को वोट देने की अपील कर रहे हैं.