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Surahi In Summers: महंगाई और मांग ने बढ़ाए 'देसी फ्रिज' सुराही और मटकों के दाम

चिलचिलाती धूप से बेहाल लोगों के गले को मिट्टी की सौंधी महक के साथ तरबतर करता है देसी फ्रिज सुराही और मटका. इसके सेहत से जु़ड़े भी कई फायदे हैं इसलिए आम के साथ खास भी इससे रसोई की शोभा बढ़ाते हैं. अब यही आमोखास की डिमांड इसकी कीमत बढ़वा रहा है. उदयपुर से (earthen pitcher prices Rise in Udaipur) एक रिपोर्ट.

Surahi In Summers
महंगाई और मांग ने बढ़ाए 'देसी फ्रिज' के भाव
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Published : Apr 13, 2022, 12:15 PM IST

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में चिलचिलाती गर्मी ने लोगों को बेहाल कर रखा है.अप्रैल के शुरुआती दिनों में ही गर्मी के गर्म थपेड़े से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सेहत की फिक्र करने वाले मानिंद हों या फिर लग्जरी को अफोर्ड न कर पाने वाले आमजन सबको सहारा देते हैं खालिस देसी फ्रिज मटके, सुराही या फिर मिट्टी से गढ़े पानी के बोतल. आमोखास में इसका प्रचलन इतना बढ़ गया है, डिमांड इतनी बढ़ गई है और महंगाई की मार इस कदर पड़ी है कि कि सस्ते और जेब की पहुंच वाले ये कूल कूल एहसास कराने वाले मिट्टी के बर्तन पहुंच से दूर (earthen pitcher prices Rise in Udaipur) होते जा रहे हैं.

डिमांड जिसकी ज्यादा, रेट भी उसका ज्यादा: शहर में मिट्टी के बर्तनों की दुकानें सजी हुईं हैं. इस बार मिट्टी के बर्तनों के दामों में महंगाई की कारण 15 से 20 रुपए तक बढ़ोतरी हुई है. सबसे ज्यादा मांग प्लास्टिक की टोटी लगे शीतल पात्र (Surahi In Summers) की है. यानी जिस भी सुराही या मटके में सहूलियत का खास ख्याल रखते हुए टैप लगाया गया है उसे लोग पसंद भी कर रहे हैं, खरीद भी रहे हैं. इसी पसंद और मांग को मार्केट ने भांप लिया है नतीजतन रेट बढ़ गए हैं.

'देसी फ्रिज' सुराही और मटकों के दाम

पढ़ें-आसमान से बरस रही आग, पारा 45 डिग्री पार...अप्रैल में ही मई-जून सी गर्मी

शहर के मुख्य बाजारों में सज गईं दुकानें: उदयपुर शहर में कई स्थानों पर इन दिनों मिट्टी के बने बर्तनों की दुकानें सजी हुई नजर आ रही है.जिसमें शास्त्री सर्कल, दिल्ली गेट, सुखाडिया सर्कल अन्य स्थानों पर दुकानें लगी हुई है.जहां बड़े पैमाने पर हर रोज लोग खरीदारी के लिए आ रहे हैं. शास्त्री सर्कल पर मिट्टी के बरतन की दुकान लगाने वाले मनोहर ने बताया कि एकाएक गर्मी बढ़ोतरी के साथ मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है.इसका कारण यह है कि गर्मी में ठंडा पानी पीने के लिए ये सबसे सस्ता और हर जगह उपलब्ध रहने वाला साधन है. जगह कम घेरता है यानी इसे रखने के लिए अधिक जगह की भी जरूरत नहीं होती है.

ये भी पढ़ें-चूरू प्रदेश में दूसरा सबसे गर्म शहर, येलो अलर्ट जारी, जानिए कैसा रहेगा आगामी दिनों में मौसम

खरीदार बढ़ते दाम से मायूस: इन दुकानों पर हर आय वर्ग के लोग आ रहे हैं और अपने मनपसंद बर्तन की खरीददारी कर रहे हैं. थोड़े मायूस हैं कि इस बार पिछले सालों के मुकाबले रेट ज्यादा है. उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में मटके, बोतल और अन्य मिट्टी के बर्तनों की रेट में बढ़ोतरी हुई है. इसका भी सीधा कनेक्शन फ्यूल प्राइस से है. विक्रेता की अपनी दिक्कते हैं. बताते हैं कि माल ढुलाई में बढ़े पेट्रोल डीजल के दाम से इजाफा हुआ है. इनमें से मटके और मिट्टी की बोतल गुजरात से भी लाई जा रही है. गांव में भी इनको बनाया जा रहा है. ऐसे में लाने जाने की वजह से रेट बढ़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें-यहां नींबू हुआ घी के दाम के बराबर...400 रुपए किलो बिका, भाव सुन लोगों को लग रहा झटका

परिंडों की भी मांग: पक्षियों के लिए भी मिट्टी के परिंडे खरीदे जा रहे हैं. लोग बड़ी संख्या में पंछियों के प्यार में उन्हें गर्मी से राहत दिलाने के लिए उन पात्रों की खरीदारी कर रहे हैं जिन्हें परिंडे कहते हैं. एनिमल लवर रेनू कहती हैं- जब हम इंसान इस चिलचिलाती गर्मी में ठंडे पानी के लिए परेशान हो रहे हैं तो इन बेजुबानों की भी तो यही हालत होगी. जब हमें ठंडा और सौंधी महक वाला मीठा पानी चाहिए तो क्या इन बेजुबानों को नहीं होती होगी? बस यही सोच कर परिंडे ले जाकर घरों में लोग लगा रहे हैं.

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में चिलचिलाती गर्मी ने लोगों को बेहाल कर रखा है.अप्रैल के शुरुआती दिनों में ही गर्मी के गर्म थपेड़े से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सेहत की फिक्र करने वाले मानिंद हों या फिर लग्जरी को अफोर्ड न कर पाने वाले आमजन सबको सहारा देते हैं खालिस देसी फ्रिज मटके, सुराही या फिर मिट्टी से गढ़े पानी के बोतल. आमोखास में इसका प्रचलन इतना बढ़ गया है, डिमांड इतनी बढ़ गई है और महंगाई की मार इस कदर पड़ी है कि कि सस्ते और जेब की पहुंच वाले ये कूल कूल एहसास कराने वाले मिट्टी के बर्तन पहुंच से दूर (earthen pitcher prices Rise in Udaipur) होते जा रहे हैं.

डिमांड जिसकी ज्यादा, रेट भी उसका ज्यादा: शहर में मिट्टी के बर्तनों की दुकानें सजी हुईं हैं. इस बार मिट्टी के बर्तनों के दामों में महंगाई की कारण 15 से 20 रुपए तक बढ़ोतरी हुई है. सबसे ज्यादा मांग प्लास्टिक की टोटी लगे शीतल पात्र (Surahi In Summers) की है. यानी जिस भी सुराही या मटके में सहूलियत का खास ख्याल रखते हुए टैप लगाया गया है उसे लोग पसंद भी कर रहे हैं, खरीद भी रहे हैं. इसी पसंद और मांग को मार्केट ने भांप लिया है नतीजतन रेट बढ़ गए हैं.

'देसी फ्रिज' सुराही और मटकों के दाम

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शहर के मुख्य बाजारों में सज गईं दुकानें: उदयपुर शहर में कई स्थानों पर इन दिनों मिट्टी के बने बर्तनों की दुकानें सजी हुई नजर आ रही है.जिसमें शास्त्री सर्कल, दिल्ली गेट, सुखाडिया सर्कल अन्य स्थानों पर दुकानें लगी हुई है.जहां बड़े पैमाने पर हर रोज लोग खरीदारी के लिए आ रहे हैं. शास्त्री सर्कल पर मिट्टी के बरतन की दुकान लगाने वाले मनोहर ने बताया कि एकाएक गर्मी बढ़ोतरी के साथ मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ी है.इसका कारण यह है कि गर्मी में ठंडा पानी पीने के लिए ये सबसे सस्ता और हर जगह उपलब्ध रहने वाला साधन है. जगह कम घेरता है यानी इसे रखने के लिए अधिक जगह की भी जरूरत नहीं होती है.

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खरीदार बढ़ते दाम से मायूस: इन दुकानों पर हर आय वर्ग के लोग आ रहे हैं और अपने मनपसंद बर्तन की खरीददारी कर रहे हैं. थोड़े मायूस हैं कि इस बार पिछले सालों के मुकाबले रेट ज्यादा है. उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में मटके, बोतल और अन्य मिट्टी के बर्तनों की रेट में बढ़ोतरी हुई है. इसका भी सीधा कनेक्शन फ्यूल प्राइस से है. विक्रेता की अपनी दिक्कते हैं. बताते हैं कि माल ढुलाई में बढ़े पेट्रोल डीजल के दाम से इजाफा हुआ है. इनमें से मटके और मिट्टी की बोतल गुजरात से भी लाई जा रही है. गांव में भी इनको बनाया जा रहा है. ऐसे में लाने जाने की वजह से रेट बढ़ रहे हैं.

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परिंडों की भी मांग: पक्षियों के लिए भी मिट्टी के परिंडे खरीदे जा रहे हैं. लोग बड़ी संख्या में पंछियों के प्यार में उन्हें गर्मी से राहत दिलाने के लिए उन पात्रों की खरीदारी कर रहे हैं जिन्हें परिंडे कहते हैं. एनिमल लवर रेनू कहती हैं- जब हम इंसान इस चिलचिलाती गर्मी में ठंडे पानी के लिए परेशान हो रहे हैं तो इन बेजुबानों की भी तो यही हालत होगी. जब हमें ठंडा और सौंधी महक वाला मीठा पानी चाहिए तो क्या इन बेजुबानों को नहीं होती होगी? बस यही सोच कर परिंडे ले जाकर घरों में लोग लगा रहे हैं.

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