उदयपुर. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया का चार दिवसीय मेवाड़ प्रवास रविवार को समाप्त हो गया. इन बीते 4 दिनों में चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, राजसमंद, उदयपुर के दौरे पर रहे पुनिया ने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की नब्ज भी टटोलने का काम किया. पूनिया का यह दौरा सियासी दृष्टि से कई मायने रखता है.
हाल ही मेवाड़ की दो विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था. जिनमें उदयपुर की वल्लभनगर और प्रतापगढ़ की धरियावद विधानसभा सीट पर भाजपा को करारी शिकस्त मिली थी. इन सीटों पर हुई हार के बाद पूनिया ने भाजपा पदाधिकारियों से फीडबैक लेने की बात भी सामने आई है. वहीं दूसरी तरफ मेवाड़ में पूनिया का यह दौरा इसलिए भी मायने रख रहा है क्योंकि हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी मेवाड़ के दौरे (Vasundhara Raje Mewar trip) पर रही थीं. इस दौरान उन्होंने शक्ति प्रदर्शन के रूप में कई सभाओं को और कार्यक्रमों को संबोधित किया था.
हालांकि पूनिया ने वसुंधरा के मेवाड़ यात्रा के बाद अपने इस दौरे को सियासी नहीं बताया बल्कि उन्होंने कहा था कि वह भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हैं और सभी जगह जाने की उनकी जिम्मेदारी है. किसी तरह का कोई प्रतिस्पर्धा पूर्वक दौरा नहीं है. मेवाड़ प्रवास पर पूनिया जन आक्रोश रैली, आजीवन समर्पण निधि अभियान और जिला कार्यसमिति बैठकों के कार्यक्रम में सम्मिलित हुए. ऐसे में भाजपा को मेवाड़ में मजबूत करने के साथ प्रदेश की गहलोत सरकार को घेरने का भी उन्होंने काम किया.
पूनिया ने कहा कि हमने जन आक्रोश यात्रा के माध्यम से जनविरोधी कांग्रेस सरकार को नींद से जगाने का कार्य किया. सम्पूर्ण किसान कर्जामाफी, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था यह तीन बड़े मुददे हैं, जिसके आधार पर चितौड़गढ़ की जनता ने एक बड़ा प्रदर्शन कांग्रेस सरकार के खिलाफ किया.
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कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए पूनिया ने कहा कि आदिवासी क्षेत्र में कांग्रेस सरकार ने अनदेखी की है. किसानों की कर्जमाफी की बात कांग्रेस के जनघोषणा पत्र में भी है. 2018 में राहुल गांधी ने इस बात का उल्लेख किया कि कांग्रेस पार्टी की सरकार आयेगी तो किसानों का सम्पूर्ण कर्जा 10 दिन में माफ करेंगे. लेकिन उन्होंने वादाखिलाफी की. इससे आज आदिवासी किसान भी कर्ज में डूबे हैं.