उदयपुर. मेवाड़ की धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. फिलहाल, उपचुनाव (Rajasthan Byelection) को लेकर निर्वाचन विभाग (EC) ने अभी तक चुनाव की घोषणा नहीं की है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों द्वारा जातिगत और क्षेत्रीय आधार पर अपने नेताओं को जिम्मेदारी सौंप रही है.
इस बार के चुनाव में सबकी निगाहें वल्लभनगर विधानसभा सीट पर टिकी हुई हैं, क्योंकि वल्लभनगर विधानसभा सीट पर विगत वर्षों से त्रिकोणीय मुकाबला रहा है. ऐसे में जहां सत्तापक्ष को अपनी जीत बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है तो वहीं भाजपा और जनता सेना भी फिर से जमीन तलाशने में जुटी हुई है. हालांकि, इस सीट पर शक्तावत परिवार का दबदबा देखने को मिला है.
स्वर्गीय विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है. ऐसे में चुनाव की घोषणा होने से पहले ही चुनावी रंग में फिजा रंगी हुई नजर आ रही है. इस बार के चुनाव में जहां कांग्रेस को अपनी जीत बरकरार रखने की चुनौती है, तो वहीं भाजपा को पिछले उपचुनाव के प्रदर्शन को अच्छा करने का लक्ष्य है. वहीं, इस चुनाव को त्रिकोणीय बना रही है जनता सेना, जिसने इस पूरे चुनाव को एक नया रूप दे दिया है.
कांग्रेस के सामने दावेदारों की चुनौती...
इस उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से कई दावेदार जमीन तलाशने के साथ ही अपनी उम्मीदवारी जता रहे हैं. जिसमें मुख्य रूप से स्वर्गीय विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत हैं. गजेंद्र सिंह शक्तावत के बड़े भाई देवेंद्र सिंह शक्तावत भी ताल ठोक रहे हैं. वहीं, कांग्रेस की ओर से भीम सिंह चुंडावत भी मैदान में जुटे हुए हैं. राज सिंह झाला, कुबेर सिंह चावड़ा के अलावा अन्य लोग भी हैं, जो आने वाले उपचुनाव में अपनी दावेदारी को मजबूती से जता रहे हैं.
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हालांकि, गत विधानसभा उपचुनाव पर नजर डालें तो तीनों ही उपचुनाव में पार्टी ने सांत्वना के आधार पर उनके परिवार के सदस्यों को टिकट दी थी. ऐसे में स्वर्गीय विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी को टिकट मिलना कहीं ना कहीं मजबूत नजर आ रहा है.
विगत चुनाव के परिणाम पर एक नजर....
वहीं, विगत चुनाव में अगर नजर डालें तो यहां से शक्तावत परिवार का ही कांग्रेस में बोलबाला देखा गया. पूर्व विधायक गुलाब सिंह शक्तावत यहां से 6 बार परचम लहरा चुके हैं. जबकि उनके पुत्र गजेंद्र सिंह शक्तावत भी यहां से तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर दो बार जीत चुके हैं. यहां से एक बार फिर शक्तावत परिवार के सदस्य ही दावेदारी जता रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस को परिवार के इन सभी लोगों में से एक को टिकट देना आसान नहीं है.
विगत दो चुनाव के विधानसभा नतीजों पर एक नजर...
2013 में वल्लभनगर में निर्दलीय रणधीर सिंह भिंडर ने जीत दर्ज की. उन्होंने कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत और भाजपा के गणपत लाल मेनारिया को हराया. जबकि इस चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी.
2018 के चुनाव में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत को यहां से जीत मिली, जबकि उन्होंने भाजपा और जनता सेना को शिकस्त दी.
पिछले तीन विधानसभा उपचुनाव के साथ ही वल्लभनगर में चुनाव होना था, लेकिन यहां पर 6 महीने पूरे नहीं होने पर विधानसभा चुनाव नहीं हो सका, लेकिन राजनीतिक पंडित इसके कई कयास लगाते हैं कि यहां भाजपा को सशक्त उम्मीदवार नहीं मिला था. इसलिए उन्होंने चुनाव की घोषणा नहीं की थी. अब चुनाव से पहले ही भाजपा कांग्रेस और जनता सेना में तलवारें खिंच गई हैं. जहां इस बारिश के मौसम में राजनीतिक बयानों की बौछार हो रही है. रणधीर सिंह भिंडर और गुलाबचंद कटारिया का आरोप प्रत्यारोप भी फिलहाल जारी है.