उदयपुर. राजस्थान मानवाधिकार आयोग के न्यायिक सदस्य जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने उदयपुर प्रवास के दौरान मधुबन स्थित सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के राजकीय महाविद्यालय स्तरीय जनजाति बालिका छात्रावास का निरीक्षण किया.
इस दौरान जस्टिस शर्मा ने छात्रावास में रहने वाली बालिकाओं से भी बात की, और उन्हें जीवन में उच्च लक्ष्य निर्धारित कर मेहनत करने के लिए प्रेरित किया. इसके साथ ही शर्मा ने छात्रावास के रसोईघर में साफ-सफाई और भोजन की गुणवत्ता को परखा और संतुष्ट नजर आए. इस मौके पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक मान्धाता सिंह राणावत और परीवीक्षा अधिकारी हेमंत खटीक और छात्रावास अधीक्षक कमला चौधरी भी उपस्थित रहे.
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साफ-सफाई की सराहना
शर्मा ने छात्रावास के प्रत्येक कमरे में जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और इस दौरान उन्होंने बालिकाओं से पढ़ाई-लिखाई के बारे में भी बात की. वहीं यहां पर साफ-सफाई और हरियाली को देखकर जस्टिस शर्मा ने छात्रावास अधीक्षक कमला चौधरी की सराहना की.
मानवता से बढ़कर कुछ भी नहीं
इससे पहले सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए जस्टिस शर्मा ने कहा कि हर कानून का आधार है मानवता. आईपीसी और सीआरपीसी के मूल में भी मानवाधिकार और मानवीय मूल्यों की रक्षा का भाव है. कहा जीवन में आध्यात्मिकता, नैतिकता और मानवता का होना बहुत जरूरी है, जिनके सहारे कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है. कोविड के दौरान ऐसे कई मामले सामने आए जब हर तरह के भेदभाव को मिटाकर लोगों ने मानवता के नाते एक-दूसरे की मदद की, यहीं वजह है कि आज कोविड के खिलाफ जंग में हम पूरी दुनिया को राह दिखा रहे हैं.
कोरोना प्रोटोकॉल की पालना सबकी जिम्मेदारी
जस्टिस शर्मा ने कोरोना संक्रमण की बढ़ती संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कुछ लोगों की लापरवाही की वजह से कोरोना संक्रमितों की संख्या में दुबारा बढ़ोतरी हो रही है. इसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे. कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करना मानवता के नाते हम सब की जिम्मेदारी है. सात ही कहा कि कोविड से घबराने की जरूरत नहीं है, दो गज की दूरी और मास्क पहनने का ध्यान रखकर हम इस महामारी का मुकाबला कर सकते हैं.