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Sajjangarh biological Park: खुशखबर! पहली बार उदयपुर में इंडियन वुल्फ ने 5 बच्चों को दिया जन्म - (Wolves From Chennai To Udaipur

जैव विविधता से समृद्ध लेकसिटी उदयपुर की आबोहवा अब वन्यजीवों को भी रास आ रही है.इसका ताजा उदाहरण है शहर में सज्जनगढ़ की तलहटी में स्थित बायोलोजिकल पार्क (Sajjangarh biological Park) जहां पर पहली बार इंडियन वुल्फ (भारतीय भेड़िया) ने 5 बच्चों को जन्म दिया है,जो पूर्णतया स्वस्थ हैं.

Sajjangarh biological Park
पहली बार इंडियन वुल्फ ने 5 बच्चों को दिया जन्म
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Published : Mar 26, 2022, 7:25 AM IST

Updated : Mar 26, 2022, 1:46 PM IST

उदयपुर. सज्जनगढ़ बायोलोजिकल पार्क (Sajjangarh biological Park) के प्रभारी और उप वन संरक्षक (वन्यजीव) डॉ. अजीत ऊंचोई ने बताया कि बायो पार्क में चैन्नई के अरीगना अन्ना जुलोजिकल पार्क से 22 फरवरी, 2021 को भारतीय भेड़िए (Wolves From Chennai To Udaipur) का एक जोड़ा लाया गया था. इसमें नर की आयु 2 वर्ष 6 माह और मादा की आयु 3 वर्ष 2 माह थी. इन्हें बायो पार्क के डिस्प्ले एरिया में रखा गया था.

मेटिंग कराने के उपरांत उदयपुर के इतिहास में पहली बार इस भारतीय भेड़िए ने 5 बच्चों को जन्म दिया है जो कि पूरी तरह स्वस्थ हैं. ऊंचोई ने बताया कि इससे पहले गुलाबबाग चिडि़याघर में भी कभी भी भारतीय भेड़िए ने वंशवृद्धि नहीं की थी. भेड़ियों की संख्या बढ़ने से बायो पार्क परिवार खुश है. अब ध्यान इनके रखरखाव पर दिया जाने लगा है. खान पान से लेकर सुरक्षा के इंतजामात पर ध्यान दिया जाने लगा है. डॉ. ऊंचोई ने बताया कि नवजात बच्चों की सुरक्षा हेतु वरिष्ठ पषु चिकित्सा अधिकारी, हेड केयर टेकर एवं स्टाफ को लगाया गया है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: बायोपार्क के डॉ. हंसराज ने बताया कि भेड़िए के बच्चों के लिये अलग से एन्क्लोजर एवं पिंजरों की व्यवस्था की गई है एवं एक सेपरेट स्मॉल हाउस (Separate Small House For Wolves In Sajjangarh Biological Park) भी तैयार किया गया है. जिसमें वो पूर्ण रूप से सुरक्षित रह सकें. बड़े होने के उपरांत सभी बच्चों को एक साथ पर्यटकों हेतु देखने के लिए डिस्प्ले एरिया में रिलीज किया जायेगा.

ये भी पढ़ें- अब विद्या होगी सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की “राजकुमारी“ चेन्नई से सज्जनगढ़ उदयपुर में मादा टाइगर और भेड़ियों के जोड़े का स्थानांतरण

विलुप्त हो रहे हैं भेड़िए: देश भर में भेड़ियों की संख्या काफी तेजी से घट रही है. यही कारण है कि भेड़ियों के संरक्षण के लिए अतिसंकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में शामिल किया (Indian wolves are classed Endangered) गया है. कभी राजस्थान में 20 हजार से ज्यादा भेड़िए हुआ करते थे, लेकिन अब प्रदेश में मात्र 1200 भेड़िए बचे हैं. भारतीय भेड़िए को दुनिया के सबसे लुप्तप्राय और विकासवादी रूप से अलग भूरे या ग्रे भेड़िये की आबादी में से एक माना जाता है. भारतीय भेड़िए तराई भारत और पाकिस्तान तक ही सीमित है, जहां इसके रहने वाले घास के मैदानों में बढ़ते इंसानी दखल और भूमि के उपयोग में बदलाव से खतरा पैदा हो गया है.

उदयपुर. सज्जनगढ़ बायोलोजिकल पार्क (Sajjangarh biological Park) के प्रभारी और उप वन संरक्षक (वन्यजीव) डॉ. अजीत ऊंचोई ने बताया कि बायो पार्क में चैन्नई के अरीगना अन्ना जुलोजिकल पार्क से 22 फरवरी, 2021 को भारतीय भेड़िए (Wolves From Chennai To Udaipur) का एक जोड़ा लाया गया था. इसमें नर की आयु 2 वर्ष 6 माह और मादा की आयु 3 वर्ष 2 माह थी. इन्हें बायो पार्क के डिस्प्ले एरिया में रखा गया था.

मेटिंग कराने के उपरांत उदयपुर के इतिहास में पहली बार इस भारतीय भेड़िए ने 5 बच्चों को जन्म दिया है जो कि पूरी तरह स्वस्थ हैं. ऊंचोई ने बताया कि इससे पहले गुलाबबाग चिडि़याघर में भी कभी भी भारतीय भेड़िए ने वंशवृद्धि नहीं की थी. भेड़ियों की संख्या बढ़ने से बायो पार्क परिवार खुश है. अब ध्यान इनके रखरखाव पर दिया जाने लगा है. खान पान से लेकर सुरक्षा के इंतजामात पर ध्यान दिया जाने लगा है. डॉ. ऊंचोई ने बताया कि नवजात बच्चों की सुरक्षा हेतु वरिष्ठ पषु चिकित्सा अधिकारी, हेड केयर टेकर एवं स्टाफ को लगाया गया है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम: बायोपार्क के डॉ. हंसराज ने बताया कि भेड़िए के बच्चों के लिये अलग से एन्क्लोजर एवं पिंजरों की व्यवस्था की गई है एवं एक सेपरेट स्मॉल हाउस (Separate Small House For Wolves In Sajjangarh Biological Park) भी तैयार किया गया है. जिसमें वो पूर्ण रूप से सुरक्षित रह सकें. बड़े होने के उपरांत सभी बच्चों को एक साथ पर्यटकों हेतु देखने के लिए डिस्प्ले एरिया में रिलीज किया जायेगा.

ये भी पढ़ें- अब विद्या होगी सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की “राजकुमारी“ चेन्नई से सज्जनगढ़ उदयपुर में मादा टाइगर और भेड़ियों के जोड़े का स्थानांतरण

विलुप्त हो रहे हैं भेड़िए: देश भर में भेड़ियों की संख्या काफी तेजी से घट रही है. यही कारण है कि भेड़ियों के संरक्षण के लिए अतिसंकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में शामिल किया (Indian wolves are classed Endangered) गया है. कभी राजस्थान में 20 हजार से ज्यादा भेड़िए हुआ करते थे, लेकिन अब प्रदेश में मात्र 1200 भेड़िए बचे हैं. भारतीय भेड़िए को दुनिया के सबसे लुप्तप्राय और विकासवादी रूप से अलग भूरे या ग्रे भेड़िये की आबादी में से एक माना जाता है. भारतीय भेड़िए तराई भारत और पाकिस्तान तक ही सीमित है, जहां इसके रहने वाले घास के मैदानों में बढ़ते इंसानी दखल और भूमि के उपयोग में बदलाव से खतरा पैदा हो गया है.

Last Updated : Mar 26, 2022, 1:46 PM IST
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