उदयपुर. प्रदेश में हरियाली अमावस्या का पर्व 28 जुलाई को धूमधाम के साथ मनाया (Hariyali Amavasya in Udaipur ) जाएगा. इस उपलक्ष्य में शहर में दो दिवसीय मेला आयोजित किया जाएगा. पिछले दो सालों से कोरोना काल की वजह से यह मेला आयोजित नही हो पाया था. इस साल भी कन्हैया लाल हत्याकांड में जगह-जगह उपजे तनाव को देखते हुए मेले के आयोजन में असमंजस की स्थिति पैदा हो रही थी. लेकिन प्रशासन ने मेला आयोजित करने की अनुमति देते हुए सुरक्षा के पुख्ते इंतेजाम किए हैं. इस पर्व की कई विशेषताएं हैं. इस दिन वृक्षों की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. इस दौरान महिलाएं सज-धज कर वृक्ष की पूजा के साथ महादेव की पूजा करती हैं. हरियाली अमावस्या पर्यावरण के महत्व को भी दर्शाती है.
जिले में 28 और 29 जुलाई को दो दिवसीय मेला 2 वर्ष बाद आयोजित होने जा रहा है. यह मेला 124 सालों से लगातार आयोजित किया जा रहा है. लेकिन पिछले 2 सालों से कोरोना काल की वजह से यह मेला नहीं भरा था. अब हरियाली अमावस्या के अवसर पर 28 और 29 जुलाई को 2 वर्ष बाद फतेहसागर की पाल और सहेली की बाड़ी में मेला आयोजित किया जाएगा. इसे लेकर प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं.
124 सालों से से आयोजित हो रहा है मेला: इतिहासकार श्री कृष्ण जुगनू ने बताया कि 1899 में हरियाली अमावस्या के दिन महाराणा प्रताप सिंह महारानी चावड़ी के साथ फतेहसागर झील पहुंचे थे. ऐसे में छलकते फतेहसागर को देखकर वह बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने नगर में मुनादी कराते हुए मेले के रूप में यहां पहली बार जश्न मनाया. तब रानी ने महाराणा से सिर्फ महिलाओं के मेले को लेकर सवाल किया था. इस पर महाराणा ने मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए रखने की घोषणा करवाई. पहले दिन मेले में महिलाएं सहित पुरुष भी शामिल होते हैं. जबकि दूसरा दिन सिर्फ महिलाओं के लिए होता है. इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं मेले में शामिल होती हैं. मौके पर वह झूलों का आनंद लेने के साथ दुकानों पर खरीदारी (fair will be held in Udaipur from 28 to 29 july) करती हैं.
सावन के महीने में हरियाली अमावस्या का दिन बड़ा ही उत्साह और उमंग का रहता है. इसलिए इस महीने की अमावस्या पर प्रकृति के करीब आने के लिए पौधरोपण किया जाता है. अमावस्या तिथि का संबंध पितरों से भी माना जाता है. ऐसे में भगवान महादेव और मां पार्वती की पूजा आराधना भी की जाती हैं.