उदयपुर. विधानसभा उप चुनाव (Rajasthan Assembly Bye Election) की रणभेरी बज गई है. धरियावद और वल्लभनगर दोनों ही चुनाव मेवाड़ में है, लेकिन वल्लभनगर की हाईप्रोफाइल सीट पर सबकी निगाह है. इस सीट पर भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. कांग्रेस के शक्तावत परिवार में बिखराव के स्वर हैं तो दूसरी तरफ भाजपा के बड़े नेता आपस में उलझ रहे हैं. उधर, रालोपा ने भी मैदान संभाल लिया है.
वल्लभनगर सीट उपचुनाव की घोषणा से पहले से ही चर्चा में है. यूं तो यह महज एक विधानसभा सीट है, मगर इसके पीछे इतने सियासी समीकरण जुड़े हैं जो प्रदेश स्तर की राजनीति (Rajasthan Politics) को भी प्रभावित करते हैं. यहां जनता सेना से रणधीर सिंह भींडर (Randhir Singh Bhinder) उम्मीदवार हैं. भींडर दो बार विधायक रहे हैं. 2003 में भींडर यहां बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाब सिंह शक्तावत (Gulab Singh Shaktawat) को हराया था. मगर नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया को भींडर फूटी आंख भी नहीं सुहाते हैं. भींडर को हराने के लिए कटारिया खुलेआम बयान देते हैं. दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ बयान देते रहते हैं.
इस सीट पर लंबे समय से त्रिकोणीय मुकाबला देखने के पीछे मुख्य कारण जनता सुप्रीमो रणधीर सिंह भींडर (Randhir Singh Bhinder) हैं. भींडर ने इस बार अपनी पत्नी के साथ दो नामांकन दाखिल किए हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए जनता सुप्रीमो रणधीर सिंह भींडर ने नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया पर निशाना साधा है.
दोबारा फोन नहीं आया
भींडर ने कहा कि भाजपा में जाने का ऐसा कोई कयास नहीं था, यह सब काल्पनिक था. नहीं तो हम भाजपा से टिकट लेने गए और न ही किसी ने हमें कहा. उन्होंने कहा कि एक बार भाजपा के बड़े नेता का जरूर फोन आया था कि अगर आपकी पत्नी को टिकट दे तो आप समर्थन करेंगे. ऐसे में मैंने उनको कहा कि जनता के बीच में बात रखूंगा, लेकिन उसके बाद दोबारा फोन नहीं आया.
कटारिया को क्या समस्या है पता नहीं
रणधीर सिंह भींडर (Randhir Singh Bhinder) ने गुलाबचंद कटारिया (Gulabchand Kataria) पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तक वे पार्टी में हैं, तब तक मेरा और मेरे परिवार का भाजपा से टिकट होना संभव नहीं है. मैंने बीजेपी के सभी लोगों के साथ काम किया है, लेकिन एकमात्र नेता गुलाबचंद कटारिया को मेरे से विरोध है. ऐसे में उनकी क्या समस्या है मुझे पता नहीं. उन्होंने कहा कि वे पार्टी को ब्लैकमेल करते हैं और उसके कारण पार्टी मुझे आउट करती है.
मैंने काम किया इसलिए लोग साथ जुड़ रहे
भींडर ने कहा कि लोग मेरे साथ इसलिए जुड़ रहे हैं क्योंकि मैंने काम करके बताया है. हमारे यहां किसी को काम के लिए चक्कर नहीं कटाया जाता. जो काम होने वाला होता है उसे तुरंत बता दिया जाता है.
कांग्रेस पर जुबानी हमला
रणधीर सिंह भींडर ने कहा कि यहां जब कांग्रेस (Congress) के विधायक थे, तब कौन सा विकास नजर आया. विधायक के निधन के बाद सरकार को पता था कि यहां चुनाव होने वाले हैं, इसलिए विकास की छवि दिखाकर जताना चाहते हैं.
कटारिया की प्रतिष्ठा का सवाल हो सकता है
भींडर ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को पता नहीं मुझसे किस चीज का विरोध है. इसलिए उन्होंने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर 2013 में मेरा टिकट कटवाया. इसके बाद और अब भी ऐसे मन का प्रतिष्ठा का प्रश्न है. उन्होंने कहा कि वे अपनी पार्टी में रहें मुझे कोई जरूरत नहीं है वहां जाने की.
भाजपा ने की सौदेबाजी
भाजपा के पुराने उम्मीदवार का टिकट काटकर हिम्मत सिंह झाला (Himmat Singh Jhala) को टिकट देने पर भींडर (Randhir Singh Bhinder) ने कहा कि इसमें सौदेबाजी नजर आती है. क्योंकि सौदेबाजी में जिसके पास ज्यादा पैसा होगा वह टिकट ले आएगा. उन्होंने चुनाव लड़ने को लेकर कहा कि मैं चुनाव लड़ूंगा या मेरी पत्नी ये कार्यकर्ता तय करेंगे.
लोग आक्रोशित और आहत हैं
भींडर ने कहा कि महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) को लेकर दिए गया बयान से लोग आक्रोशित और आहत हैं क्योंकि महाराणा प्रताप मेवाड़ में सबसे पूजनीय हैं. ऐसे में उनके लिए कोई अच्छे शब्द का प्रयोग न करें या उनकी मूर्तियों को पैरों में रखें, यह सही नहीं है. उन्होंने कहा कि जनता इन मुद्दों को खुद उठाएगी.
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रणधीर सिंह ने कहा कि बीजेपी (BJP) का वल्लभनगर (Vallabhnagar By Election) में कोई वजूद नहीं है क्योंकि बीजेपी का मूल कार्यकर्ता मेरे साथ है. वर्तमान में जो बीजेपी में दौड़ रहे हैं वह आया राम गया राम में इधर-उधर से आए हुए हैं. इसलिए हमें बीजेपी से कोई खतरा नहीं है. हमारी लड़ाई कांग्रेस (Rajasthan Congress) से है क्योंकि इनकी सरकार है.
कटारिया की लड़ाई दो-तीन पीढ़ियों से चलती है
भींडर ने कहा कि कटारिया हर जगह एक्सपेरीमेंट करते हैं. वल्लभनगर में भी 2008 में मेरी टिकट कटाने की कोशिश की थी. उन्होंने टिकट मिलने के बाद कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी. लंबे समय से वे मेरे पीछे पड़े हुए हैं. ऐसे ही गौतम लाल मीणा के पुत्र का टिकट काट लिया. ऐसे में कटारिया का यही मानना है कि गौतम लाल मीणा (Gautam Lal Meena) भी उनके विरोधी कैंप के थे. इसलिए कटारिया की लड़ाई एक पीढ़ी से नहीं बल्कि दो-तीन पीढ़ियों से लड़ाई चलती है.