उदयपुर. देश विदेश में अब तक राजस्थान की पहचान रेतीले धोरों वाले प्रदेश के रूप में होती थी. लेकिन अब राजस्थान रेगिस्तान नहीं रहा है. यह दावा किया है उदयपुर के मुख्य वन संरक्षक रामकरण खैरवा का. खैरवा ने बताया कि वन विभाग के प्रयासों और आम जन की पहल के कारण अब यहां रेगिस्तान के विस्तार पर पूरी तरह रोक लग गई है. साथ ही अब रेतीले धोरे भी हरे भरे नजर आन लगे हैं.
मुख्य वन संरक्षक अधिकारी ने बताया कि राजस्थान को दो हिस्सों में बांटा गया है एक पूर्वी राजस्थान, जहां अरावली पर्वतमाला है. इस क्षेत्र में रेगिस्तान नहीं है बल्कि यह हरे-भरा राजस्थान है. वहीं दूसरी हिस्सा पश्चिमी राजस्थान है. यहां पहले रेगिस्तान था. लेकिन लंबे समय से वन विभाग की कड़ी मेहनत के बाद यहां रेगिस्तान विस्तार रुक चुका है और हरियाली दिखना शुरू हो गया है. खैरवा ने बताया कि वन विभाग के प्रयासों से उदयपुर जिला राजस्थान में ग्रीन कवर गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर है. जिले में घने वन है और लगातार वृक्षारोपण कर इन्हें मेंटेन रखा जा रहा है.
खैरवा ने बताया कि वृक्षारोपण के कई फायदे हैं. पेड़-पौधे होने से क्षेत्र में बारिश में इजाफा होगा. वैज्ञानिक शोध से भी इसकी प्रमाणिकता मिलती है. पेड़ पौधों को पानी देने के सवाल पर मुख्य वन संरक्षक ने बताया कि राजस्थान को मुख्यतः दो हिस्सों में बांटा गया है जिसमें से रेगिस्तान इलाके में साल भर पेड़ पौधों को पानी दिया जाता है. जबकि पूर्वी राजस्थान में बारिश का पानी संचित कर पौधों को दिया जा रहा है. आपको बता दें कि बीते कुछ सालों में पूरे देश में पौधारोपण अभियान चल रहा है. जिसके चलते प्रदेश में भी वन क्षेत्र में विस्तार हो रहा है.