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कोरोना से 90 प्रतिशत फेफड़े हुए खराब, फिर भी 52 दिन बाद प्रकाश ने दी कोरोना को मात

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Published : Jun 21, 2021, 8:21 PM IST

Updated : Jun 22, 2021, 3:12 PM IST

उदयपुर के छोटी सादड़ी में रहने वाले प्रकाश ने कोरोना को मात देकर दूसरों के लिए मिसाल कायम की है. कोरोना के कारण प्रकाश के फेफड़े लगभग 90 प्रतिशत तक खराब हो चुके थे. इसके बाद प्रकाश को महाराणा भूपाल चिकित्सालय उदयपुर में भर्ती कराया गया, जहां प्रकाश ने डॉक्टरों की कड़ी मेहनत से कोरोना को मात दी. जिसके बाद प्रकाश ने डॉक्टरों का दिल से आभार जताया है.

राजस्थान न्यूज, Maharana Bhupal Hospital Udaipur , corona infection
90 प्रतिशत फेफड़े खराब होने के बावजूद प्रकाश ने दी कोरोना को मात

उदयपुर. कहते हैं कि मन में दृढ़ इच्छा मजबूत हो तो बड़ी से बड़ी बीमारी को भी हराया जा सकता है. कोरोना संक्रमण जहां लोगों पर कहर बनकर टूटा. इस बीच छोटी सादड़ी के प्रकाश कुमावत को भी कोरोना संक्रमण ने जकड़ लिया. हालत इतनी खराब हुई कि उन्हें आनन-फानन में महाराणा भूपाल चिकित्सालय उदयपुर में भर्ती कराया गया. भर्ती के समय इनके सीटी स्कैन (CT scan) का स्कोर 25 में से 24 था. जानकारी के अनुसार पहले 36 दिन सुपर स्पेशियलिटी आईसीयू में और 16 दिन पोस्ट कोविड वार्ड में भर्ती रखा गया.

90 प्रतिशत फेफड़े खराब होने के बावजूद प्रकाश ने दी कोरोना को मात

इस दौरान उन्हें वेंटिलेटर, बाईपैप, एनआरबीएम और मास्क से ऑक्सीजन दी गई, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से सांस की गंभीर तकलीफ के कारण उनको कोरोना से काफी संघर्ष करना पड़ा. आखिरकार डॉक्टरों की कड़ी मेहनत और उनके दृढ़ निश्चय से उन्होंने कोरोना को मात दी.

यह भी पढ़ें- कोविड-19 संक्रमण में डॉक्टर्स ने लगाई जान की बाजी, 10 साल से कैडर का इंतजार

प्रकाश ने बताया कि छोटी सादड़ी प्रतापगढ़ का रहने वाला हूं. करीब 52 दिन पहले कोरोना संक्रमण की चपेट में आया था. जिसकी वजह से मेरे फेफड़े 90 प्रतिशत तक खराब हो चुके थे. इस बीच मुझे वेंटिलेटर और आईसीयू पर रखा गया. काफी दिनों के संघर्ष के बाद अब मैं ठीक हूं. आज मुझे चिकित्सकों ने डिस्चार्ज कर दिया है. प्रकाश ने कहा कि चिकित्सकों की ओर से दी गई व्यवस्था से वो खुश हैं जिसकी वजह से उनकी जिंदगी बच पाई. इस दौरान उन्होंने चिकित्सकों और अन्य लोगों का दिल से आभार जताया.

डॉक्टर ने बताया कि प्रकाश को 30 अप्रैल को बुखार, खांसी, सांस में तकलीफ होने की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उस समय उनका सीटी स्कैन स्कोर 24 था, लेकिन आज ये पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं. चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों ने उन्हें माला और मिठाई खिलाकर घर के लिए रवाना किया. इस दौरान आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल लाखन पोसवाल भी मौजूद रहे.

क्या होता है सीटी स्कैन (CT scan)

सीटी स्कैन (CT scan) कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन (Computerized Tomography Scan) होता है. ये एक तरह का थ्री डायमेंशनल एक्स-रे होता है. टोमोग्राफी का मतलब किसी भी चीज को छोटे-छोटे सेक्शन में काटकर उसकी स्टडी करना होता है. कोविड के केस में डॉक्टर जो सीटी स्कैन कराते हैं, वो HRCT Chest यानी सीने का हाई रेजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन होता है. बता दें कि इस टेस्ट के जरिए फेफड़ों को 3डी इमेज में देखा जाता है. इससे फेंफड़ों का इंफेक्शन जल्दी पता चल जाता है.

यह भी पढ़ें- जोधपुरः सोनू सूद की मदद से हार्ट की सफल सर्जरी करवा कर घर लौटी 20 दिन की सोनू

कोरोना को हरा कर महिला पहुंची घर

राजसमंद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खमनोर में स्थित कोविड केयर सेंटर पर ऑक्सीजन बेड पर 29 मई से भर्ती श्रीमती कमला बाई w/o किशन लाल जी उम्र 64 वर्ष निवासी समीचा को ऑक्सीजन लेवल की कमी और सांस लेने में दिक्कत के चलते भर्ती कराया गया था. इस दौरान डॉ. मस्त राम जी मीणा की देखरेख और उपचार में कमला बाई को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किया गया है. कमला बाई के पति ने बताया कि खमनोर हॉस्पिटल में हमे कोई परेशानी नहीं आई और घर जैसा माहौल मिला और यहां के डॉक्टर्स और स्टॉफ का पूरा सहयोग मिला.

उदयपुर. कहते हैं कि मन में दृढ़ इच्छा मजबूत हो तो बड़ी से बड़ी बीमारी को भी हराया जा सकता है. कोरोना संक्रमण जहां लोगों पर कहर बनकर टूटा. इस बीच छोटी सादड़ी के प्रकाश कुमावत को भी कोरोना संक्रमण ने जकड़ लिया. हालत इतनी खराब हुई कि उन्हें आनन-फानन में महाराणा भूपाल चिकित्सालय उदयपुर में भर्ती कराया गया. भर्ती के समय इनके सीटी स्कैन (CT scan) का स्कोर 25 में से 24 था. जानकारी के अनुसार पहले 36 दिन सुपर स्पेशियलिटी आईसीयू में और 16 दिन पोस्ट कोविड वार्ड में भर्ती रखा गया.

90 प्रतिशत फेफड़े खराब होने के बावजूद प्रकाश ने दी कोरोना को मात

इस दौरान उन्हें वेंटिलेटर, बाईपैप, एनआरबीएम और मास्क से ऑक्सीजन दी गई, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से सांस की गंभीर तकलीफ के कारण उनको कोरोना से काफी संघर्ष करना पड़ा. आखिरकार डॉक्टरों की कड़ी मेहनत और उनके दृढ़ निश्चय से उन्होंने कोरोना को मात दी.

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प्रकाश ने बताया कि छोटी सादड़ी प्रतापगढ़ का रहने वाला हूं. करीब 52 दिन पहले कोरोना संक्रमण की चपेट में आया था. जिसकी वजह से मेरे फेफड़े 90 प्रतिशत तक खराब हो चुके थे. इस बीच मुझे वेंटिलेटर और आईसीयू पर रखा गया. काफी दिनों के संघर्ष के बाद अब मैं ठीक हूं. आज मुझे चिकित्सकों ने डिस्चार्ज कर दिया है. प्रकाश ने कहा कि चिकित्सकों की ओर से दी गई व्यवस्था से वो खुश हैं जिसकी वजह से उनकी जिंदगी बच पाई. इस दौरान उन्होंने चिकित्सकों और अन्य लोगों का दिल से आभार जताया.

डॉक्टर ने बताया कि प्रकाश को 30 अप्रैल को बुखार, खांसी, सांस में तकलीफ होने की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उस समय उनका सीटी स्कैन स्कोर 24 था, लेकिन आज ये पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं. चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों ने उन्हें माला और मिठाई खिलाकर घर के लिए रवाना किया. इस दौरान आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल लाखन पोसवाल भी मौजूद रहे.

क्या होता है सीटी स्कैन (CT scan)

सीटी स्कैन (CT scan) कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन (Computerized Tomography Scan) होता है. ये एक तरह का थ्री डायमेंशनल एक्स-रे होता है. टोमोग्राफी का मतलब किसी भी चीज को छोटे-छोटे सेक्शन में काटकर उसकी स्टडी करना होता है. कोविड के केस में डॉक्टर जो सीटी स्कैन कराते हैं, वो HRCT Chest यानी सीने का हाई रेजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन होता है. बता दें कि इस टेस्ट के जरिए फेफड़ों को 3डी इमेज में देखा जाता है. इससे फेंफड़ों का इंफेक्शन जल्दी पता चल जाता है.

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कोरोना को हरा कर महिला पहुंची घर

राजसमंद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खमनोर में स्थित कोविड केयर सेंटर पर ऑक्सीजन बेड पर 29 मई से भर्ती श्रीमती कमला बाई w/o किशन लाल जी उम्र 64 वर्ष निवासी समीचा को ऑक्सीजन लेवल की कमी और सांस लेने में दिक्कत के चलते भर्ती कराया गया था. इस दौरान डॉ. मस्त राम जी मीणा की देखरेख और उपचार में कमला बाई को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किया गया है. कमला बाई के पति ने बताया कि खमनोर हॉस्पिटल में हमे कोई परेशानी नहीं आई और घर जैसा माहौल मिला और यहां के डॉक्टर्स और स्टॉफ का पूरा सहयोग मिला.

Last Updated : Jun 22, 2021, 3:12 PM IST
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