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Congress Counters Parivarvad: गांधी परिवार ही नहीं लगे स्वतंत्रता सेनानियों के भी पोस्टर्स - Congress Dynasty Politics

वंशवाद और परिवारवाद (Congress Counters Parivarvad) को पोषित करने का सबसे बड़ा आरोप कांग्रेस पार्टी पर लगता आया है. पहले विपक्ष ही मुखर था अब तो गाहे बगाहे पार्टी के भीतर भी विरोध में सुर उठने लगते हैं. अपनी दशकों पुरानी छवि से छुटकारा आसान नहीं. लेकिन जब नव संकल्प ले ही लिया है तो भला उसे दर्शाया क्यों न जाए! इस कोशिश का सबूत वो होर्डिंग्स और पोस्टर्स हैं जो कांग्रेस के प्रति उस सेट नेरेटिव को बदलने की वकालत करते हैं.

Congress Counters Parivarvad
चंद्रशेखर भी और सुभाष चंद्र बोस भी
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Published : May 15, 2022, 1:39 PM IST

उदयपुर. राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का तीन दिवसीय चिंतन शिविर (Congress Counters Parivarvad) लगातार जारी है. इस चिंतन शिविर में कांग्रेस पार्टी खुद को मांझने की जुगत में जुटी है. कवायद उस दाग को भी हलका करने की है जो लम्बे वक्त से पीछा नहीं छोड़ रहे. गांधी परिवार पर एक छत्र राज का आरोप लगता रहा है. परिवारवाद को लेकर हमेशा विपक्ष के निशाने पर रही है पार्टी. भीतर और बाहर से लगातार आरोपों का सामना कर रही पार्टी ने अपने अंदाज में जवाब देने का प्रयास किया है. होर्डिंग्स, पोस्टर्स और सम्मेलनों में जहां पहले नेहरू गांधी परिवार (Parivarvad in Udaipur Nav Sankalp Shivir) का चेहरा मुस्कुराता दिखता था वहीं इस बार एक ट्विस्ट लाई है. सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद सरीखे स्वतंत्रता सेनानी दिखने लगे हैं.

विंड ऑफ चेंज: कांग्रेस बार बार नव संकल्प की बात कर रही है. अचानक ऐसे बदलाव देखने को मिल जा रहे हैं जो अनेपक्षित थे. जैसे शुरुआत से पहले ही पुराने चिंतन शिविर की जगह नव संकल्प की मुनादी की गई. कहा गया चिंतन नहीं अब नव संकल्प होगा. जानकारों ने इसे नई कांग्रेस का संकेत माना. यानी कहा जा सकता है कि ये विंड ऑफ चेंज का संकेत है. कांग्रेस के नव संकल्प शिविर को लेकर उदयपुर में सड़क के दोनों और लगे पोस्टर्स में महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, मनमोहन सिंह समेत स्वतंत्रता सेनानियों के पोस्टर्स लगे हैं. जिसमें सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपतराय, भगत सिंह सरीखे सेनानियों की तस्वीरें हैं.

पढ़ें-Nav Sankalp Shivir: पायलट बोले- युवाओं को मिलेगा मौका...एक घंटे बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने दिखाया विक्ट्री साइन

नरसिम्हा राव भी: हैरानी की बात ये है कि इस बार वो भी दिखे हैं जिनको लम्बे समय से कांग्रेस के अहम समारोहों में जगह नहीं मिली थी. देश के 9वें प्रधानमंत्री और जिन्हें Father of Indian Economic Reforms कहा जाता है वो. यानी भूतपूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव. इनके साथ ही डॉ राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जैसे नेताओं को महज बोलकर नहीं बल्कि अहम चौराहों और होर्डिंग्स पर लगाकर याद किया जा रहा है.

उदयपुर. राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का तीन दिवसीय चिंतन शिविर (Congress Counters Parivarvad) लगातार जारी है. इस चिंतन शिविर में कांग्रेस पार्टी खुद को मांझने की जुगत में जुटी है. कवायद उस दाग को भी हलका करने की है जो लम्बे वक्त से पीछा नहीं छोड़ रहे. गांधी परिवार पर एक छत्र राज का आरोप लगता रहा है. परिवारवाद को लेकर हमेशा विपक्ष के निशाने पर रही है पार्टी. भीतर और बाहर से लगातार आरोपों का सामना कर रही पार्टी ने अपने अंदाज में जवाब देने का प्रयास किया है. होर्डिंग्स, पोस्टर्स और सम्मेलनों में जहां पहले नेहरू गांधी परिवार (Parivarvad in Udaipur Nav Sankalp Shivir) का चेहरा मुस्कुराता दिखता था वहीं इस बार एक ट्विस्ट लाई है. सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद सरीखे स्वतंत्रता सेनानी दिखने लगे हैं.

विंड ऑफ चेंज: कांग्रेस बार बार नव संकल्प की बात कर रही है. अचानक ऐसे बदलाव देखने को मिल जा रहे हैं जो अनेपक्षित थे. जैसे शुरुआत से पहले ही पुराने चिंतन शिविर की जगह नव संकल्प की मुनादी की गई. कहा गया चिंतन नहीं अब नव संकल्प होगा. जानकारों ने इसे नई कांग्रेस का संकेत माना. यानी कहा जा सकता है कि ये विंड ऑफ चेंज का संकेत है. कांग्रेस के नव संकल्प शिविर को लेकर उदयपुर में सड़क के दोनों और लगे पोस्टर्स में महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, मनमोहन सिंह समेत स्वतंत्रता सेनानियों के पोस्टर्स लगे हैं. जिसमें सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपतराय, भगत सिंह सरीखे सेनानियों की तस्वीरें हैं.

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नरसिम्हा राव भी: हैरानी की बात ये है कि इस बार वो भी दिखे हैं जिनको लम्बे समय से कांग्रेस के अहम समारोहों में जगह नहीं मिली थी. देश के 9वें प्रधानमंत्री और जिन्हें Father of Indian Economic Reforms कहा जाता है वो. यानी भूतपूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव. इनके साथ ही डॉ राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जैसे नेताओं को महज बोलकर नहीं बल्कि अहम चौराहों और होर्डिंग्स पर लगाकर याद किया जा रहा है.

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