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Special: 10 महीने बाद लोक कलाओं का 'अनलाॅक', कलाकारों का रंगारंग नृत्य फिर बनेगा आकर्षण का केंद्र - लोक नृत्य

10 माह से कोरोना महामारी के कारण बंद लोक कला मंडल सोमवार से फिर शुरू हो गया है. इस संगम में कला के माध्यम से कलाकार अपनी संस्कृति और लुप्त होती लोक कला को उभारने का काम कर रहे हैं. लेक सिटी उदयपुर में कला के माध्यम से देश विदेशों में राजस्थानी संस्कृति की छटा बिखेरी जाती रही है. देखिये ये खास रिपोर्ट...

Bharatiya Lok Kala Mandal, udaipur latest hindi news
10 महीने बाद लोक कलाओं का 'अनलाॅक'...
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Published : Jan 19, 2021, 6:46 PM IST

उदयपुर. कोरोना महामारी में ना सिर्फ जनजीवन प्रभावित हुआ, बल्कि व्यवसाय गतिविधियां भी ठप रही. लेक सिटी उदयपुर में कला के माध्यम से देश विदेशों में राजस्थानी संस्कृति की छटा बिखेरी जाती रही है. पिछले 10 माह से कोरोना महामारी के कारण बंद लोक कला मंडल सोमवार से फिर शुरू हो गया है. इस संगम में कला के माध्यम से कलाकार अपनी संस्कृति और लुप्त होती लोक कला को उभारने का काम कर रहे हैं. देखिये ये खास रिपोर्ट...

कोरोना महामारी के कारण बंद लोक कला मंडल फिर शुरू हो गया है...

भारतीय लोक कला मंडल विलुप्त होती संस्कृति और कला को पुनर्जीवित करने का कार्य कर रहा है. भारतीय लोक कला मंडल आधीन एवं लोक कलाओं के सर्वेक्षण, संरक्षण, प्रलेखन का काम करती है. इसमें राजस्थान की धागा कठपुतली, लोक नृत्य, लोक नाट्य, लोक वाद्य, लोक गायन पर विशेष कार्य किया जाता है. लोक कला मंडल भारतीयों को नये शोध में मदद करता है. लोक वादन, लोक गायन, लोक नृत्य और कठपुतली की कक्षाओं का आयोजन करता है.

Bharatiya Lok Kala Mandal, udaipur latest hindi news
कलाकारों का रंगारंग नृत्य बनेगा आकर्षण का केंद्र...

कई कलाओं का दिखेगा संगम...

10 महीने बाद अब फिर से लोक कला मंडल ने सभी कार्यक्रम प्रारंभ कर दिए गए हैं. लोक कला मंडल का आदिम संग्रहालय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खोला गया है. कठपुतली एवं लोक नृत्य के शो दिन में 12 से 1 बजे, शाम को 6 से 7 बजे आयोजित किए जाएंगे. सीखने वालों के लिए शाम 4 से 5 के बीच में कक्षाएं आयोजित की जाएंगी. संग्रहालय में भी प्रति 20 मिनट के बाद 10 मिनट का एक कठपुतली शो आयोजित किया जाएगा. इन कठपुतली शो में बहरूपिया सर्कस, हाथी की सवारी, दरबारी नृत्य आदि दिखाए जाएंगे.

Bharatiya Lok Kala Mandal, udaipur latest hindi news
विनीता कलाकार...

पढ़ें: साल 2021 में 51 दिन बजेंगी शहनाइयां, जानें विवाह के शुभ मुहूर्त

लाखों पर्यटक हर साल करते हैं विजिट...

कठपुतली शो के अलावा लोक नृत्यों में तेरहताली, भवाई, चरी, घूमर, बारात डांडिया, घर घूम रहा आदि दिखाए जा रहे हैं. यहां देश और विदेश से भारी संख्या में पर्यटक आते हैं, जो कठपुतली नृत्य देखने के साथ-साथ कठपुतली किस प्रकार से बनाई जाती है, इसका अवलोकन करते हैं. भारतीय लोक कला मंडल राजस्थान की विलुप्त होती धागा पुतली के साथ-साथ भारत की अन्य पुतली कला जैसे दस्ताना पुतली, छाया पुतली के बारे में बताते हैं. इसके साथ, जो लोग अन्य कलाओं के बारे में जानना चाहते हैं, उन्हें उन कलाओं के बारे में भी विस्तार से बताया जाता है. यहां हर साल करीब ढाई लाख पर्यटक आते हैं और भारतीय संस्कृति एवं कलाओं का अवलोकन करते हैं. इसी के साथ भारतीय लोक कला मंडल में रिसर्च करने वाले लोग भारतीय लोक कला मंडल के पुस्तकालय में बैठकर पुस्तकों का अध्ययन भी करते हैं.

Bharatiya Lok Kala Mandal, udaipur latest hindi news
तुलसी राम, लोक कलाकार...

नृत्य में 13 प्रकार के कार्यों की झलक...

इस कला के संगम को दिखाने के लिए कलाकार जो नृत्य करते हैं, जैसे कि तेरा ताल, इसमें महिलाएं अपने हाथ पैर पर मंजीरे बांधकर नृत्य करती हैं. जिसमें घर में किए जाने वाले 13 प्रकार के कार्य जैसे कि गाय को धूना, छाछ बिलोना, आटा गूंथना, चक्की चलाना जैसे कार्य करती हैं. इस नृत्य में यह शारीरिक लोच प्रस्तुत करने के साथ-साथ मानसिक संतुलन का भी प्रदर्शन करती हैं, जैसे कि मुंह में तलवार लेकर नृत्य करना, सिर पर कलश रखकर नृत्य करना या तेज गति के साथ मंजीरा का एक दूसरे से टकराना. इसी प्रकार भवाई नृत्य में कलाकार अपने सिर पर गिलास रखकर उसके ऊपर कई मटके रखता है और तेज गति से नृत्य करता है.

कलाकारों में खुशी...

इसी प्रकार महिलाएं घूमर नृत्य में राजसी वेशभूषा पहनकर राजघरानों में किए जाने वाली महिलाओं के नृत्य को प्रस्तुत करती हैं. चरी नृत्य में महिलाएं मालन की वेशभूषा पहनकर सिर पर चरी रखकर, जिसमें आग जली रहती है, के साथ नृत्य करती हैं. लोक कलाकारों का कहना है कि लंबे समय से भारतीय लोक कला मंडल के खुलने का इंतजार कर रहे थे. अब लंबे महीनों के बाद मंडल फिर शुरू होने से देश और विदेश से कला के प्रेमी फिर केंद्र पहुंचना शुरू हो गए हैं.

उदयपुर. कोरोना महामारी में ना सिर्फ जनजीवन प्रभावित हुआ, बल्कि व्यवसाय गतिविधियां भी ठप रही. लेक सिटी उदयपुर में कला के माध्यम से देश विदेशों में राजस्थानी संस्कृति की छटा बिखेरी जाती रही है. पिछले 10 माह से कोरोना महामारी के कारण बंद लोक कला मंडल सोमवार से फिर शुरू हो गया है. इस संगम में कला के माध्यम से कलाकार अपनी संस्कृति और लुप्त होती लोक कला को उभारने का काम कर रहे हैं. देखिये ये खास रिपोर्ट...

कोरोना महामारी के कारण बंद लोक कला मंडल फिर शुरू हो गया है...

भारतीय लोक कला मंडल विलुप्त होती संस्कृति और कला को पुनर्जीवित करने का कार्य कर रहा है. भारतीय लोक कला मंडल आधीन एवं लोक कलाओं के सर्वेक्षण, संरक्षण, प्रलेखन का काम करती है. इसमें राजस्थान की धागा कठपुतली, लोक नृत्य, लोक नाट्य, लोक वाद्य, लोक गायन पर विशेष कार्य किया जाता है. लोक कला मंडल भारतीयों को नये शोध में मदद करता है. लोक वादन, लोक गायन, लोक नृत्य और कठपुतली की कक्षाओं का आयोजन करता है.

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कलाकारों का रंगारंग नृत्य बनेगा आकर्षण का केंद्र...

कई कलाओं का दिखेगा संगम...

10 महीने बाद अब फिर से लोक कला मंडल ने सभी कार्यक्रम प्रारंभ कर दिए गए हैं. लोक कला मंडल का आदिम संग्रहालय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खोला गया है. कठपुतली एवं लोक नृत्य के शो दिन में 12 से 1 बजे, शाम को 6 से 7 बजे आयोजित किए जाएंगे. सीखने वालों के लिए शाम 4 से 5 के बीच में कक्षाएं आयोजित की जाएंगी. संग्रहालय में भी प्रति 20 मिनट के बाद 10 मिनट का एक कठपुतली शो आयोजित किया जाएगा. इन कठपुतली शो में बहरूपिया सर्कस, हाथी की सवारी, दरबारी नृत्य आदि दिखाए जाएंगे.

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विनीता कलाकार...

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लाखों पर्यटक हर साल करते हैं विजिट...

कठपुतली शो के अलावा लोक नृत्यों में तेरहताली, भवाई, चरी, घूमर, बारात डांडिया, घर घूम रहा आदि दिखाए जा रहे हैं. यहां देश और विदेश से भारी संख्या में पर्यटक आते हैं, जो कठपुतली नृत्य देखने के साथ-साथ कठपुतली किस प्रकार से बनाई जाती है, इसका अवलोकन करते हैं. भारतीय लोक कला मंडल राजस्थान की विलुप्त होती धागा पुतली के साथ-साथ भारत की अन्य पुतली कला जैसे दस्ताना पुतली, छाया पुतली के बारे में बताते हैं. इसके साथ, जो लोग अन्य कलाओं के बारे में जानना चाहते हैं, उन्हें उन कलाओं के बारे में भी विस्तार से बताया जाता है. यहां हर साल करीब ढाई लाख पर्यटक आते हैं और भारतीय संस्कृति एवं कलाओं का अवलोकन करते हैं. इसी के साथ भारतीय लोक कला मंडल में रिसर्च करने वाले लोग भारतीय लोक कला मंडल के पुस्तकालय में बैठकर पुस्तकों का अध्ययन भी करते हैं.

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नृत्य में 13 प्रकार के कार्यों की झलक...

इस कला के संगम को दिखाने के लिए कलाकार जो नृत्य करते हैं, जैसे कि तेरा ताल, इसमें महिलाएं अपने हाथ पैर पर मंजीरे बांधकर नृत्य करती हैं. जिसमें घर में किए जाने वाले 13 प्रकार के कार्य जैसे कि गाय को धूना, छाछ बिलोना, आटा गूंथना, चक्की चलाना जैसे कार्य करती हैं. इस नृत्य में यह शारीरिक लोच प्रस्तुत करने के साथ-साथ मानसिक संतुलन का भी प्रदर्शन करती हैं, जैसे कि मुंह में तलवार लेकर नृत्य करना, सिर पर कलश रखकर नृत्य करना या तेज गति के साथ मंजीरा का एक दूसरे से टकराना. इसी प्रकार भवाई नृत्य में कलाकार अपने सिर पर गिलास रखकर उसके ऊपर कई मटके रखता है और तेज गति से नृत्य करता है.

कलाकारों में खुशी...

इसी प्रकार महिलाएं घूमर नृत्य में राजसी वेशभूषा पहनकर राजघरानों में किए जाने वाली महिलाओं के नृत्य को प्रस्तुत करती हैं. चरी नृत्य में महिलाएं मालन की वेशभूषा पहनकर सिर पर चरी रखकर, जिसमें आग जली रहती है, के साथ नृत्य करती हैं. लोक कलाकारों का कहना है कि लंबे समय से भारतीय लोक कला मंडल के खुलने का इंतजार कर रहे थे. अब लंबे महीनों के बाद मंडल फिर शुरू होने से देश और विदेश से कला के प्रेमी फिर केंद्र पहुंचना शुरू हो गए हैं.

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