उदयपुर. कोरोना वायरस संक्रमण के इस दौर में आम आदमी को राहत देने के लिए सरकार और कई निजी स्वयंसेवी संस्थाए राशन पानी मुहैया करा रही है, लेकिन जानवरों की तरफ ना ही सरकार ध्यान दे रही है, न कोई संस्था. ऐसे में उदयपुर में लगभग 3000 श्वान भूख प्यास से तड़प रहे हैं.
देश भर में कोरोना संक्रमण के चलते पिछले लंबे समय से लॉकडाउन लागू है. जिसे 17 मई तक फिर बढ़ा दिया गया है. लॉकडाउन के इस दौर में केंद्र और राज्य सरकार आम आदमी को भोजन और राशन की व्यवस्था करने में जुटी है. साथ ही सामाजिक संस्थाए भी उनकी मदद कर रही है. लॉकडाउन में लोग घरों में बंद हैं. ऐसे में इन जानवरों की कोई सुध नहीं ले रहा है. ये बेजुबान भूखे-प्यासे मरने के कगार पर पहुंच गए हैं.
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बता दें कि शहर में लगभग 3000 श्वान हैं. जिनके लिए सरकार ना तो किसी तरह की भोजन व्यवस्था कर रही है. आम लोगों द्वारा फेंके गए भोजन और झूठन के भरोसे रहने वाले ये जानवर भी लॉकडाउन के कारण काफी परेशान है. भूख से परेशान ये जानवर खाने की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं पर अब इन्हें खाना देने वाला खुद दरवाजों के पीछे बंद है.
श्वानों के लिए विशेष व्यवस्था करने की मांग
वहीं शहर के कुछ युवा पशु प्रेमियों ने इन बेजुबानों की पीड़ा को समझा और इन श्वानों की मदद के लिए आगे आएं. जिसके बाद ये युवा इन्हें प्रतिदिन खाना खिला रहे हैं. इन युवाओं ने सरकार से आम आदमी की तरह इनके लिए भी कुछ विशेष व्यवस्था करने की मांग की है.
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खुद मुश्किल से गुजारा पर कर रहे श्वानों की मदद
वहीं उदयपुर के रहने वाले मुकेश प्रजापत जो खुद एक टैक्सी चलाकर अपने परिवार का पेट पालते हैं. वे भी इस कोरोना काल में जानवरों के लिए भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. मुकेश का कहना है कि सुबह-शाम लगभग 15 श्वानों के लिए रोटी, पानी और बिस्किट की व्यवस्था करते हैं.
नगर निगम की वैकल्पिक व्यवस्था काफी नहीं
इस पूरे मामले पर उदयपुर नगर निगम ने एक वैकल्पिक व्यवस्था की है. जिसके तहत डोर टू डोर कचरा संग्रहण की गाड़ियों पर एक बाल्टी लगाई गई है. इस बाल्टी के माध्यम से जो भी व्यक्ति स्वान और गाय के लिए कुछ भोजन देना चाहे वो इस बाल्टी में डाल सकता है, लेकिन यह व्यवस्था शहर के सभी श्वान के लिए नाकाफी साबित हो रही है. ऐसे में अब देखना होगा शासन प्रशासन इन श्वानों की मदद के लिए क्या व्यवस्था करती है.