श्रीगंगानगर. कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. बढते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने अब निजी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों के इलाज के निर्देश दिए हैं. रोज बड़ी संख्या में लोग पॉजिटिव हो रहे हैं जिससे लोगों में भय भी फैल रहा है. अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीज और भी परेशान हैं क्योंकि वे परिवार से अलग रह रहे हैं. मरीजों के जल्द ठीक होने के लिए प्रेरित करने और उनका हौसला बढ़ाने के लिए जिला अस्पताल में पॉजिटिव से निगेटिव हुए मरीजों पर पुष्प वर्षा की जा रही है. इससे अन्य मरीजों में जल्द ठीक होकर घर जाने की इच्छा उत्पन्न हो रही है और पॉजिटिविटी भी डेवलप हो रही है.
सरकारी अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों को सुविधाएं नहीं मिलने से लगातार शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन राज्य में एक ऐसा अस्पताल भी है जहां कोरोना मरीज निजी अस्पतालों के बजाए सरकारी अस्पताल में इलाज कराना चाह रहे हैं. हम बात कर रहे हैं श्रीगंगानगर जिला अस्पताल की. जिले के सबसे बड़े अस्पताल में भर्ती कोरोना रोगियों के ठीक होने का आंकड़ा जिस प्रकार बढ़ा है, उसे देख कर लगता है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज इसी अस्पताल में इलाज कराना चाह रहे हैं.
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जिले में मई में सबसे पहले 70 वर्षिय बुजुर्ग को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें जिला अस्पताल के कोविड सेंटर मे भर्ती कराया गया. यहां चिकित्सकों व नर्सिंगकर्मियों ने बेहतर इलाज से केवल सात दिन में नेगिटिव कर घर भेज दिया. अस्पताल प्रांगण में बनाए गए कोविड-19 हॉस्पिटल में जो सुविधाएं कोरोना पॉजिटिव रोगियों को दी जा रही हैं उससे न केवल उनका हौसला बढ़ता है बल्कि वे 5 से 7 दिन में पॉजिटिव से नेगेटिव होकर घर भी जा रहे हैं. पॉजिटिव आने के बाद जिला अस्पताल के कोविड-19 में अब तक भर्ती करीब 1,149 रोगियों को नेगिटिव कर घर भेजा जा चुका है और वे अब अपनी जिंदगी जी रहे हैं.
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खास बात यह है कि कोविड-19 सेंटर में भर्ती मरीज जब ठीक हो जाता है तो यहां का स्टाफ उनका हौसला बढ़ाने के लिए फूलों की बारिश करता है ताकि वह बाहर जाकर लोगों को अच्छा संदेश दे और करोना के प्रति फैल रही भ्रांतियों पर रोक लग सके. पॉजिटिव से नेगिटिव आने वाले रोगियों के लिए स्टाफ मिठाई व फूल-माला पहनाकर उन्हें मजबूत बनाते हैं ताकी कोरोना का भय कम हो सके.
कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव हुए विजय मित्तल कहते हैं कि 6 दिन पहले जब वह कोरोना पॉजिटिव आए थे तो बुरी तरह घबराए हुए थे. मन में बुरे ख्याल आ रहे थे, लेकिन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होने के बाद जिस प्रकार से उनका ध्यान रखा गया और हौसला बढ़ाया गया. उससे वह पांचवें दिन ही मेरी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई. मित्तल कहते हैं कि जिला अस्पताल के कोविड-19 में जिस प्रकार से इलाज की बेहतर सुविधा है, उससे न केवल मरीज का मनोबल बढ़ता है बल्कि रिकवरी रेट भी जल्दी होती है.
कोविड-19 में सेवाएं दे रहे रामकुमार सिहाग कहते हैं कि कोरोना पॉजिटिव आने वाले मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से करने के साथ वे उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिश करते हैं ताकि वे जल्दी ठीक हो सकें. उनकी माने तो मरीज का मनोबल बढ़ाने से वह जल्दी रिकवर करता है. ठीक होने पर फूल मालाओं पहनाकर विदा करने पर उन्हें अच्छा लगता है और अन्य मरीजों को भी हौसला बढ़ता है.