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Special: फूलों की बारिश से बढ़ा रहे कोरोना मरीजों का हौसला

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Published : Oct 1, 2020, 10:04 PM IST

कहते हैं हौसला मजबूत हो तो बड़ी से बड़ी जंग भी जीती जा सकती है. इन दिनों कोरोना का खौफ लोगों के दिलों दिमाग पर छाया हुआ है. अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीज और भी ज्यादा परेशान हैं. ऐसे में श्रीगंगानगर जिला अस्पताल में कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद फूलों की वर्षा करने कर उनकी हौसलाफजाई की जा रही है. इससे अन्य मरीजों का भी हौसला बढ़ रहा है और वे भी जल्द ठीक होने का प्रयास कर कर रहे हैं.

Corona giving encouragement to patients
कोरोना मरीजों को दे रहे हौसला

श्रीगंगानगर. कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. बढते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने अब निजी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों के इलाज के निर्देश दिए हैं. रोज बड़ी संख्या में लोग पॉजिटिव हो रहे हैं जिससे लोगों में भय भी फैल रहा है. अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीज और भी परेशान हैं क्योंकि वे परिवार से अलग रह रहे हैं. मरीजों के जल्द ठीक होने के लिए प्रेरित करने और उनका हौसला बढ़ाने के लिए जिला अस्पताल में पॉजिटिव से निगेटिव हुए मरीजों पर पुष्प वर्षा की जा रही है. इससे अन्य मरीजों में जल्द ठीक होकर घर जाने की इच्छा उत्पन्न हो रही है और पॉजिटिविटी भी डेवलप हो रही है.

कोरोना मरीजों को दे रहे हौसला

सरकारी अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों को सुविधाएं नहीं मिलने से लगातार शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन राज्य में एक ऐसा अस्पताल भी है जहां कोरोना मरीज निजी अस्पतालों के बजाए सरकारी अस्पताल में इलाज कराना चाह रहे हैं. हम बात कर रहे हैं श्रीगंगानगर जिला अस्पताल की. जिले के सबसे बड़े अस्पताल में भर्ती कोरोना रोगियों के ठीक होने का आंकड़ा जिस प्रकार बढ़ा है, उसे देख कर लगता है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज इसी अस्पताल में इलाज कराना चाह रहे हैं.

Full care is being taken of the facility in the hospital
अस्पताल में सुविधा का रखा जा रहा पूरा ख्याल

यह भी पढ़ें: पाली में जागरूकता के लिए कल से चलाया जाएगा जन आंदोलन

जिले में मई में सबसे पहले 70 वर्षिय बुजुर्ग को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें जिला अस्पताल के कोविड सेंटर मे भर्ती कराया गया. यहां चिकित्सकों व नर्सिंगकर्मियों ने बेहतर इलाज से केवल सात दिन में नेगिटिव कर घर भेज दिया. अस्पताल प्रांगण में बनाए गए कोविड-19 हॉस्पिटल में जो सुविधाएं कोरोना पॉजिटिव रोगियों को दी जा रही हैं उससे न केवल उनका हौसला बढ़ता है बल्कि वे 5 से 7 दिन में पॉजिटिव से नेगेटिव होकर घर भी जा रहे हैं. पॉजिटिव आने के बाद जिला अस्पताल के कोविड-19 में अब तक भर्ती करीब 1,149 रोगियों को नेगिटिव कर घर भेजा जा चुका है और वे अब अपनी जिंदगी जी रहे हैं.

Health workers wearing garlands after the patient recovers
मरीज के ठीक होने पर माला पहनाते स्वास्थ्य कर्मी

यह भी पढ़ें: Special: अब पाली में भी होगा Plasma Therapy से कोरोना का इलाज

खास बात यह है कि कोविड-19 सेंटर में भर्ती मरीज जब ठीक हो जाता है तो यहां का स्टाफ उनका हौसला बढ़ाने के लिए फूलों की बारिश करता है ताकि वह बाहर जाकर लोगों को अच्छा संदेश दे और करोना के प्रति फैल रही भ्रांतियों पर रोक लग सके. पॉजिटिव से नेगिटिव आने वाले रोगियों के लिए स्टाफ मिठाई व फूल-माला पहनाकर उन्हें मजबूत बनाते हैं ताकी कोरोना का भय कम हो सके.

कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव हुए विजय मित्तल कहते हैं कि 6 दिन पहले जब वह कोरोना पॉजिटिव आए थे तो बुरी तरह घबराए हुए थे. मन में बुरे ख्याल आ रहे थे, लेकिन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होने के बाद जिस प्रकार से उनका ध्यान रखा गया और हौसला बढ़ाया गया. उससे वह पांचवें दिन ही मेरी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई. मित्तल कहते हैं कि जिला अस्पताल के कोविड-19 में जिस प्रकार से इलाज की बेहतर सुविधा है, उससे न केवल मरीज का मनोबल बढ़ता है बल्कि रिकवरी रेट भी जल्दी होती है.

कोविड-19 में सेवाएं दे रहे रामकुमार सिहाग कहते हैं कि कोरोना पॉजिटिव आने वाले मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से करने के साथ वे उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिश करते हैं ताकि वे जल्दी ठीक हो सकें. उनकी माने तो मरीज का मनोबल बढ़ाने से वह जल्दी रिकवर करता है. ठीक होने पर फूल मालाओं पहनाकर विदा करने पर उन्हें अच्छा लगता है और अन्य मरीजों को भी हौसला बढ़ता है.

श्रीगंगानगर. कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. बढते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने अब निजी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों के इलाज के निर्देश दिए हैं. रोज बड़ी संख्या में लोग पॉजिटिव हो रहे हैं जिससे लोगों में भय भी फैल रहा है. अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीज और भी परेशान हैं क्योंकि वे परिवार से अलग रह रहे हैं. मरीजों के जल्द ठीक होने के लिए प्रेरित करने और उनका हौसला बढ़ाने के लिए जिला अस्पताल में पॉजिटिव से निगेटिव हुए मरीजों पर पुष्प वर्षा की जा रही है. इससे अन्य मरीजों में जल्द ठीक होकर घर जाने की इच्छा उत्पन्न हो रही है और पॉजिटिविटी भी डेवलप हो रही है.

कोरोना मरीजों को दे रहे हौसला

सरकारी अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों को सुविधाएं नहीं मिलने से लगातार शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन राज्य में एक ऐसा अस्पताल भी है जहां कोरोना मरीज निजी अस्पतालों के बजाए सरकारी अस्पताल में इलाज कराना चाह रहे हैं. हम बात कर रहे हैं श्रीगंगानगर जिला अस्पताल की. जिले के सबसे बड़े अस्पताल में भर्ती कोरोना रोगियों के ठीक होने का आंकड़ा जिस प्रकार बढ़ा है, उसे देख कर लगता है कि कोरोना पॉजिटिव मरीज इसी अस्पताल में इलाज कराना चाह रहे हैं.

Full care is being taken of the facility in the hospital
अस्पताल में सुविधा का रखा जा रहा पूरा ख्याल

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जिले में मई में सबसे पहले 70 वर्षिय बुजुर्ग को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें जिला अस्पताल के कोविड सेंटर मे भर्ती कराया गया. यहां चिकित्सकों व नर्सिंगकर्मियों ने बेहतर इलाज से केवल सात दिन में नेगिटिव कर घर भेज दिया. अस्पताल प्रांगण में बनाए गए कोविड-19 हॉस्पिटल में जो सुविधाएं कोरोना पॉजिटिव रोगियों को दी जा रही हैं उससे न केवल उनका हौसला बढ़ता है बल्कि वे 5 से 7 दिन में पॉजिटिव से नेगेटिव होकर घर भी जा रहे हैं. पॉजिटिव आने के बाद जिला अस्पताल के कोविड-19 में अब तक भर्ती करीब 1,149 रोगियों को नेगिटिव कर घर भेजा जा चुका है और वे अब अपनी जिंदगी जी रहे हैं.

Health workers wearing garlands after the patient recovers
मरीज के ठीक होने पर माला पहनाते स्वास्थ्य कर्मी

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खास बात यह है कि कोविड-19 सेंटर में भर्ती मरीज जब ठीक हो जाता है तो यहां का स्टाफ उनका हौसला बढ़ाने के लिए फूलों की बारिश करता है ताकि वह बाहर जाकर लोगों को अच्छा संदेश दे और करोना के प्रति फैल रही भ्रांतियों पर रोक लग सके. पॉजिटिव से नेगिटिव आने वाले रोगियों के लिए स्टाफ मिठाई व फूल-माला पहनाकर उन्हें मजबूत बनाते हैं ताकी कोरोना का भय कम हो सके.

कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव हुए विजय मित्तल कहते हैं कि 6 दिन पहले जब वह कोरोना पॉजिटिव आए थे तो बुरी तरह घबराए हुए थे. मन में बुरे ख्याल आ रहे थे, लेकिन अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होने के बाद जिस प्रकार से उनका ध्यान रखा गया और हौसला बढ़ाया गया. उससे वह पांचवें दिन ही मेरी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई. मित्तल कहते हैं कि जिला अस्पताल के कोविड-19 में जिस प्रकार से इलाज की बेहतर सुविधा है, उससे न केवल मरीज का मनोबल बढ़ता है बल्कि रिकवरी रेट भी जल्दी होती है.

कोविड-19 में सेवाएं दे रहे रामकुमार सिहाग कहते हैं कि कोरोना पॉजिटिव आने वाले मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से करने के साथ वे उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाने की कोशिश करते हैं ताकि वे जल्दी ठीक हो सकें. उनकी माने तो मरीज का मनोबल बढ़ाने से वह जल्दी रिकवर करता है. ठीक होने पर फूल मालाओं पहनाकर विदा करने पर उन्हें अच्छा लगता है और अन्य मरीजों को भी हौसला बढ़ता है.

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