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लॉकडाउन की वजह से सामान्य बीमारियों में आई कमी

देश में सामान्य बीमारियों का प्रकोप लॉकडाउन के कारण कम हुआ है. लॉकडाउन के चलते लोगों की जीवन शैली में भी बदलाव आने की वजह से इस साल सामान्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है. लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है. कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ी है, लेकिन खास बात ये भी है देश में लागू लॉकडाउन की वजह से लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है.

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सामान्य बीमारियों में आई कमी
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Published : May 28, 2020, 7:51 PM IST

श्रीगंगानगर. देश में सामान्य बीमारियों का प्रकोप लॉकडाउन के कारण कम हुआ है. लॉकडाउन के चलते लोगों की जीवन शैली में भी बदलाव आने की वजह से इस साल सामान्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है. लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है. कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ी है, लेकिन खास बात ये भी है देश में लागू लॉकडाउन की वजह से लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है.

सामान्य बीमारियों में आई कमी

दरअसल, डॉक्टरों की मानें तो घर और बाहर साफ सफाई का ध्यान रखने और सभी लोगों के द्वारा मास्क का प्रयोग करने की वजह से इस मौसम में जो दूसरी सामान्य बीमारियां होती थी वो इस बार नहीं हुई हैं. यही नहीं तंबाकू पर रोक के चलते तंबाकू से जुड़ी समस्या और टीबी के मरीजों की संख्या में भी कमी आई हैं. हालांकि डॉक्टरों के द्वारा पहले ही सावधानी बरतने की सलाह दी जाती थी, लेकिन पहले लोग गंभीरता से नहीं लेते थे. कोरोना के डर से सभी लोग सावधानी बरत रहे हैं और उसे गंभीरता से भी ले रहे हैं. इसी वजह से कई अन्य बीमारी के मरीजों की संख्या बहुत कम हुई है. अगर इसी प्रकार लोग अपनी जीवनशैली बदल लेगें तो कोरोना को हराना भी आसान होगा और अन्य बीमारियों से भी बचा जाएगा.

बता दें, कि श्वास, अस्थमा, डायबिटीज और बल्ड प्रेशर आदि से पीड़ित लोगों को थोड़ा विशेष ध्यान रखना चाहिए. इन लोगों के लिए इस समय बहुत ही जरूरी है कि वे स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें. जिले के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजेंद्र ज्याणी के अस्पताल में लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण से पहले रोगियों की भारी भीड़ रहती थी. हर रोज जिलेभर के अलावा पंजाब से भी चर्म और श्वास के 179 रोगी आते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद ओपीडी में अब रोजाना 23 से 30 मरीज ही आ रहे है. जिस प्रकार से रोगियों में गिरावट आई है, उससे डॉक्टर ज्याणी खुद हैरान है.

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सामान्य बीमारियों में आई कमी

पढ़ेंः बोझ उठाने वालों की जिंदगी बनी बोझ, कुलियों ने कहा- बड़ी मुश्किल से हो रहा गुजारा

जल और वायु प्रदूषण में आई भारी गिरावट

हालांकि, ज्याणी मानते हैं कि करीब 2 महीने के लॉकडाउन के चलते जल और वायु प्रदूषण में भारी गिरावट आई है, जिसकी वजह से सांस के रोगियों में कमी आई है. डॉक्टर ज्याणी की मानें तो स्किन की क्लासिकल डिजीज स्केबिल और फंगल इन्फेक्शन वाले रोगी ही फिलहाल आ रहे हैं. लॉकडाउन में ढील देने के बाद अब धीरे-धीरे रोगी आने तो लगे हैं, लेकिन फिलहाल वे ही रोगी ज्यादा आ रहे हैं जो समस्या से बहुत ज्यादा ग्रसित हैं.

पढ़ेंः मोदी सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है...आम जनता के हाथ में कुछ नहीं आताः टीकाराम जूली

कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन के बाद ओपीडी में जिस प्रकार की गिरावट आई है वह काफी कम है. इनकी मानें तो रूटीन ओपीडी में 20% मरीज ही डॉक्टरों के पास इलाज लेने के लिए आ रहे हैं जो ज्यादा जरूरतमंद पेशेंट है. वह कहते हैं कि पहले एलर्जी की समस्या से साइनोसाइटिस, सिंपल एक्जिमा के रोगी या जनरलाइज ईचिंग के रोगियों की संख्या रोजाना 72 थी. अब यह आंकड़ा रोजाना का 15 है. ऐसे में रोगियो की संख्या में काफी गिरावट आई है.

रोगियों की संख्या में काफी बड़ी गिरावट आई

डॉ. ज्याणी का कहना है कि ओपीडी के हिसाब से देखा जाए तो रोगियों की संख्या में काफी बड़ी गिरावट आई है. उनका मानना है कि लॉकडाउन में वायु और जल प्रदूषण नहीं होने से बीमारियों में गिरावट आई है. डॉ कहते हैं कि चर्म रोग के दृष्टिकोण से देखा जाए तो ऑक्यूपेशन एक्जिमा के रोगी बहुत कम हुए हैं जोकि लॉकडाउन की वजह से अच्छा परिणाम आया है. इसी तरह जिला अस्पताल की ओपीडी पहले करीब 1800 से लेकर 2000 रहती थी जो अब यह आंकड़ा घटकर 300 से 610 तक का है. इनमें श्वास, एलर्जीक और डायबीटीक रोगियों की संख्या पहले के मुकाबले है.

श्रीगंगानगर. देश में सामान्य बीमारियों का प्रकोप लॉकडाउन के कारण कम हुआ है. लॉकडाउन के चलते लोगों की जीवन शैली में भी बदलाव आने की वजह से इस साल सामान्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है. लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है. कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ी है, लेकिन खास बात ये भी है देश में लागू लॉकडाउन की वजह से लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है.

सामान्य बीमारियों में आई कमी

दरअसल, डॉक्टरों की मानें तो घर और बाहर साफ सफाई का ध्यान रखने और सभी लोगों के द्वारा मास्क का प्रयोग करने की वजह से इस मौसम में जो दूसरी सामान्य बीमारियां होती थी वो इस बार नहीं हुई हैं. यही नहीं तंबाकू पर रोक के चलते तंबाकू से जुड़ी समस्या और टीबी के मरीजों की संख्या में भी कमी आई हैं. हालांकि डॉक्टरों के द्वारा पहले ही सावधानी बरतने की सलाह दी जाती थी, लेकिन पहले लोग गंभीरता से नहीं लेते थे. कोरोना के डर से सभी लोग सावधानी बरत रहे हैं और उसे गंभीरता से भी ले रहे हैं. इसी वजह से कई अन्य बीमारी के मरीजों की संख्या बहुत कम हुई है. अगर इसी प्रकार लोग अपनी जीवनशैली बदल लेगें तो कोरोना को हराना भी आसान होगा और अन्य बीमारियों से भी बचा जाएगा.

बता दें, कि श्वास, अस्थमा, डायबिटीज और बल्ड प्रेशर आदि से पीड़ित लोगों को थोड़ा विशेष ध्यान रखना चाहिए. इन लोगों के लिए इस समय बहुत ही जरूरी है कि वे स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सावधानीपूर्वक पालन करें. जिले के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजेंद्र ज्याणी के अस्पताल में लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण से पहले रोगियों की भारी भीड़ रहती थी. हर रोज जिलेभर के अलावा पंजाब से भी चर्म और श्वास के 179 रोगी आते थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद ओपीडी में अब रोजाना 23 से 30 मरीज ही आ रहे है. जिस प्रकार से रोगियों में गिरावट आई है, उससे डॉक्टर ज्याणी खुद हैरान है.

श्रीगंगानगर न्यूज, shriganganagr news,  lockdown 4.0, लॉकडाउन 4.0
सामान्य बीमारियों में आई कमी

पढ़ेंः बोझ उठाने वालों की जिंदगी बनी बोझ, कुलियों ने कहा- बड़ी मुश्किल से हो रहा गुजारा

जल और वायु प्रदूषण में आई भारी गिरावट

हालांकि, ज्याणी मानते हैं कि करीब 2 महीने के लॉकडाउन के चलते जल और वायु प्रदूषण में भारी गिरावट आई है, जिसकी वजह से सांस के रोगियों में कमी आई है. डॉक्टर ज्याणी की मानें तो स्किन की क्लासिकल डिजीज स्केबिल और फंगल इन्फेक्शन वाले रोगी ही फिलहाल आ रहे हैं. लॉकडाउन में ढील देने के बाद अब धीरे-धीरे रोगी आने तो लगे हैं, लेकिन फिलहाल वे ही रोगी ज्यादा आ रहे हैं जो समस्या से बहुत ज्यादा ग्रसित हैं.

पढ़ेंः मोदी सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है...आम जनता के हाथ में कुछ नहीं आताः टीकाराम जूली

कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन के बाद ओपीडी में जिस प्रकार की गिरावट आई है वह काफी कम है. इनकी मानें तो रूटीन ओपीडी में 20% मरीज ही डॉक्टरों के पास इलाज लेने के लिए आ रहे हैं जो ज्यादा जरूरतमंद पेशेंट है. वह कहते हैं कि पहले एलर्जी की समस्या से साइनोसाइटिस, सिंपल एक्जिमा के रोगी या जनरलाइज ईचिंग के रोगियों की संख्या रोजाना 72 थी. अब यह आंकड़ा रोजाना का 15 है. ऐसे में रोगियो की संख्या में काफी गिरावट आई है.

रोगियों की संख्या में काफी बड़ी गिरावट आई

डॉ. ज्याणी का कहना है कि ओपीडी के हिसाब से देखा जाए तो रोगियों की संख्या में काफी बड़ी गिरावट आई है. उनका मानना है कि लॉकडाउन में वायु और जल प्रदूषण नहीं होने से बीमारियों में गिरावट आई है. डॉ कहते हैं कि चर्म रोग के दृष्टिकोण से देखा जाए तो ऑक्यूपेशन एक्जिमा के रोगी बहुत कम हुए हैं जोकि लॉकडाउन की वजह से अच्छा परिणाम आया है. इसी तरह जिला अस्पताल की ओपीडी पहले करीब 1800 से लेकर 2000 रहती थी जो अब यह आंकड़ा घटकर 300 से 610 तक का है. इनमें श्वास, एलर्जीक और डायबीटीक रोगियों की संख्या पहले के मुकाबले है.

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