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श्रीगंगानगरः राजस्थान में लगातार बढ़ता जा रहा टिड्डी का प्रकोप, किसानों की मुसीबत बढ़ी

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Published : May 29, 2020, 6:59 PM IST

पाकिस्तान से निकला टिड्डियों का दल भारत के तमाम राज्यों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाने लगा है. राजस्थान, यूपी और मध्य प्रदेश के साथ हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में इन टिड्डियों के किए गए नुकसान को देखा जा रहा है. सीमावर्ती जिले श्रीगंगानगर में पाकिस्तान की तरफ से लगातार टिड्डियों के हमले हो रहे हैं.

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लगातार बढ़ता जा रहा है टिड्डी का प्रकोप

श्रीगंगानगर. पाकिस्तान की तरफ से आ रही टिड्डियों का प्रकोप राजस्थान में लगातार बढ़ता जा रहा है. राजस्थान के 14 जिलों में टिड्डी दलों का आंतक फैल चुका है. कई जिलों में तो पहली बार टिड्डियों को देखकर किसान हैरान है. टिड्डियों के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने लगी है. फसल को बचाने के लिए किसान परंपरागत ढंग से थाली, पीपे और अन्य बर्तन बजाकर टिड्डियों को भगाने के प्रयास में जुटे हैं.

लगातार बढ़ता जा रहा है टिड्डी का प्रकोप

बता दें, कि पाकिस्तान से निकला टिड्डियों का दल भारत के तमाम राज्यों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाने लगा है. राजस्थान, यूपी और मध्य प्रदेश के साथ हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में इन टिड्डियों के किए गए नुकसान को देखा जा रहा है. सीमावर्ती जिले श्रीगंगानगर में पाकिस्तान की तरफ से लगातार टिड्डियों के हमले हो रहे हैं. जिससे नरमा कपास की फसल चौपट हो गई है. जिले के रावला, घडसाना, अनूपगढ़ और रायसिंह नगर क्षेत्र में टिड्डियों के अटैक से काफी बड़ा क्षेत्र प्रभावित हुआ है.

खरीफ की फसल को हुई क्षति

बताया जा रहा है कि सीमा पार से जिस तरह से इन टिड्डियों ने हमला किया है, उससे देश में लगभग 80 हजार करोड़ रुपए की कीमत की मूंग दाल और अन्य फसलों के नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है. टिड्डी दल जिस इलाके से गुजरते हैं वहां के खेतों में फसलें गायब हो जाती है. मानसून के बाद भारत को टिड्डियों के दूसरे बड़े हमले के लिए तैयार रहना चाहिए. इस हमले से खरीफ की फसल को क्षति हुई तो खाद्य सुरक्षा का संकट भी हो सकता है.

पढ़ेंः स्पेशलः विश्व विख्यात डूंगरपुर की मूर्तिकला पर कोरोना का ग्रहण, मूर्तिकारों पर आर्थिक संकट

टिड्डियां अक्टूबर तक गायब हो जाती थीं

अमूमन मानसून के वक्त भारत में ब्रीडिंग के बाद टिड्डियां अक्टूबर तक गायब हो जाती है, लेकिन 2019 में देर तक चले मानसून के कारण टिड्डियों का आंतक राजस्थान, गुजरात और पंजाब के इलाकों में इस साल जनवरी तक देखा गया. अब फिर टिड्डियों का दल देश के खाद सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका है. टिड्डियों का संकट केवल भारत और दक्षिण एशिया का नहीं है बल्कि यह दुनिया के 60 देशों में फैली समस्या है जो मूल रूप से अफ्रीका और एशिया महाद्वीप में है.

पढ़ेंः भरतपुर एसपी का गनमैन मिला कोरोना पॉजिटिव, एसपी को किया गया होम क्वॉरेंटाइन

400 गुना तक प्रजनन करने लगी टिड्डियां

अनुकूल जलवायु का फायदा उठाकर टिड्डियां अब अपनी सामान्य क्षमता से 400 गुना तक प्रजनन करने लगी है. यह बेहद चिंताजनक है क्योंकि भारत उन देशों में है, जहां जलवायु परिवर्तन का असर सबसे अधिक दिख रहा है. टिड्डियों का भारत में प्रवेश हवा के रुख पर भी निर्भर करता है. अब इस साल जून में बरसात के साथ भारत-पाकिस्तान सीमा पर टिड्डियों के प्रजनन का नया दौर शुरू होगा.

सांसद ने किया इलाके के दौरा

किसानों से जुड़े किसान संगठन ने टिड्डियों को मारने के लिए हेलीकॉप्टर और ड्रोन से छिड़काव कराने की मांग लंबे समय से की है, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया. श्रीगंगानगर सांसद निहालचंद मेघवाल खुद बॉर्डर से लगे खेतों में जाकर नुकसान को देखा है. सांसद निहालचंद ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर नुकसान का सर्वे और मुआवजा जल्दी देने की बात कही है.

श्रीगंगानगर. पाकिस्तान की तरफ से आ रही टिड्डियों का प्रकोप राजस्थान में लगातार बढ़ता जा रहा है. राजस्थान के 14 जिलों में टिड्डी दलों का आंतक फैल चुका है. कई जिलों में तो पहली बार टिड्डियों को देखकर किसान हैरान है. टिड्डियों के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने लगी है. फसल को बचाने के लिए किसान परंपरागत ढंग से थाली, पीपे और अन्य बर्तन बजाकर टिड्डियों को भगाने के प्रयास में जुटे हैं.

लगातार बढ़ता जा रहा है टिड्डी का प्रकोप

बता दें, कि पाकिस्तान से निकला टिड्डियों का दल भारत के तमाम राज्यों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचाने लगा है. राजस्थान, यूपी और मध्य प्रदेश के साथ हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों में इन टिड्डियों के किए गए नुकसान को देखा जा रहा है. सीमावर्ती जिले श्रीगंगानगर में पाकिस्तान की तरफ से लगातार टिड्डियों के हमले हो रहे हैं. जिससे नरमा कपास की फसल चौपट हो गई है. जिले के रावला, घडसाना, अनूपगढ़ और रायसिंह नगर क्षेत्र में टिड्डियों के अटैक से काफी बड़ा क्षेत्र प्रभावित हुआ है.

खरीफ की फसल को हुई क्षति

बताया जा रहा है कि सीमा पार से जिस तरह से इन टिड्डियों ने हमला किया है, उससे देश में लगभग 80 हजार करोड़ रुपए की कीमत की मूंग दाल और अन्य फसलों के नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है. टिड्डी दल जिस इलाके से गुजरते हैं वहां के खेतों में फसलें गायब हो जाती है. मानसून के बाद भारत को टिड्डियों के दूसरे बड़े हमले के लिए तैयार रहना चाहिए. इस हमले से खरीफ की फसल को क्षति हुई तो खाद्य सुरक्षा का संकट भी हो सकता है.

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टिड्डियां अक्टूबर तक गायब हो जाती थीं

अमूमन मानसून के वक्त भारत में ब्रीडिंग के बाद टिड्डियां अक्टूबर तक गायब हो जाती है, लेकिन 2019 में देर तक चले मानसून के कारण टिड्डियों का आंतक राजस्थान, गुजरात और पंजाब के इलाकों में इस साल जनवरी तक देखा गया. अब फिर टिड्डियों का दल देश के खाद सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका है. टिड्डियों का संकट केवल भारत और दक्षिण एशिया का नहीं है बल्कि यह दुनिया के 60 देशों में फैली समस्या है जो मूल रूप से अफ्रीका और एशिया महाद्वीप में है.

पढ़ेंः भरतपुर एसपी का गनमैन मिला कोरोना पॉजिटिव, एसपी को किया गया होम क्वॉरेंटाइन

400 गुना तक प्रजनन करने लगी टिड्डियां

अनुकूल जलवायु का फायदा उठाकर टिड्डियां अब अपनी सामान्य क्षमता से 400 गुना तक प्रजनन करने लगी है. यह बेहद चिंताजनक है क्योंकि भारत उन देशों में है, जहां जलवायु परिवर्तन का असर सबसे अधिक दिख रहा है. टिड्डियों का भारत में प्रवेश हवा के रुख पर भी निर्भर करता है. अब इस साल जून में बरसात के साथ भारत-पाकिस्तान सीमा पर टिड्डियों के प्रजनन का नया दौर शुरू होगा.

सांसद ने किया इलाके के दौरा

किसानों से जुड़े किसान संगठन ने टिड्डियों को मारने के लिए हेलीकॉप्टर और ड्रोन से छिड़काव कराने की मांग लंबे समय से की है, लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया. श्रीगंगानगर सांसद निहालचंद मेघवाल खुद बॉर्डर से लगे खेतों में जाकर नुकसान को देखा है. सांसद निहालचंद ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर नुकसान का सर्वे और मुआवजा जल्दी देने की बात कही है.

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