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श्रीगंगानगरः लिंक नहर के पानी से टलेगा कोरोना संक्रमण का खतरा - Corona news

कोरोना वायरस के चलते श्रीगंगानगर में लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए राजस्थान पंजाब राज्य सीमा पर 23 मार्च से पुलिस की नाकाबंदी की गई है, ताकि कोई जिले में प्रवेश न कर सके. लेकिन कुछ लोग सूखी लिंक नहर से जरिए जिले में प्रवेश कर रहे है. जब इस बात की जानकारी जिला प्रशासन को मिली तो लोगों की आवाजाही रोकने के लिए लिंक नहर में 36 आरडी से 450 क्यूसेक पानी छोड़ा दिया गया, ताकि कोई जिले में प्रवेश न कर सके.

श्रीगंगानगर खबर ,Sriganganagar news
लिंक नहर से टलेगा संक्रमण का खतरा
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Published : Apr 19, 2020, 8:47 PM IST

श्रीगंगानगरः जिले में प्रवेश रोकने के लिए राजस्थान पंजाब राज्य सीमा पर 23 मार्च से पुलिस की नाकाबंदी जारी है,लेकिन पंजाब और राजस्थान के बीच राज्य सीमा पर बनी 75 किलोमीटर लंबी सूखी लिंक नहर के अंदर से लोग जिले में प्रवेश कर रहे है, इसकी सूचना जब जिला प्रशासन को मिली तो लिंक नहर में साधुवाली के समीप 36 आरडी से 450 क्यूसेक पानी छोड़ा है.

लिंक नहर से टलेगा संक्रमण का खतरा

बता दें कि 15 साल से इस नहर में पानी नहीं होने के कारण लोगों ने नहर में चोर रास्ते बना रखे थे. कोरोन संक्रमण के दौर में प्रशासन ने लोगों की आवाजाही रोकने के लिए लिंक नहर में साधुवाली के समीप इसमें 36 आरडी से 450 क्यूसेक पानी छोड़ा है. इस लिंक नहर का एक छोर हरियाणा के लोहगढ हेड पर है, जबकि अंतिम छोर श्रीगंगानगर में है.

वहीं हरियाणा में पानी की किल्लत होने के कारण यह पानी श्रीगंगानगर से उल्टी दिशा में छोड़ा गया है, यानी अब यह पानी सादुलशहर के गांव दलियावाली, भागसर से होता हुआ पंजाब सीमा में जाएगा. जिसका मकसद केवल पंजाब से लोगों की आवाजाही रोकना है. सिंचाई विभाग की मानें तो लिंक नहर की कुल लंबाई 250 आरडी है. 3 पॉइंट 33 आरडी एक किलोमीटर के बराबर होती है.

पढ़ेंः पुलिस व चिकित्सा विभाग के नियमों की उड़ाई धज्जियां, होम क्वॉरेंटाइन करने के बावजूद बिना बताए खाली किया मकान

राजस्थान सरकार ने इस नहर की 1982 में बनाना शुरू किया और जून 1996 में तत्कालीन हेड चलाए गए. 1996 से 2001 तक इस लिंक नहर में बरसात का पानी ही चलाया जाता था. मई 2000 में भारत सरकार ने बीकानेर केनाल के पुनर्निर्माण के लिए 450 करोड़ का बजट जारी किया. यहां से जुलाई 2005 तक लिंक नहर से गंगनहर को पानी मिलता था.

आखिर बार इस नहर में 2016 मे सधुवाली की तरफ से 100 क्यूसेक पानी 3 दिन के लिए प्रवाहित किया गया था. अब कोरोन संक्रमण को देखते हुए पंजाब और जिले से लगातर सूखी लिंक नहर से लोगों का आना जारी था.ऐसे में रास्ता रोकने के लिए लिंक नहर में पानी कलेक्टर और एसपी के आदेश पर श्रीगंगानगर से ही छुड़ाया गया. किसान इस पानी से सिंचाई नहीं कर पाएंगे.पानी छोड़ने का मुख्य मकसद यही है कि लॉक डाउन में नहर में जो रास्ते है उनको बंद किया जा सके.

श्रीगंगानगरः जिले में प्रवेश रोकने के लिए राजस्थान पंजाब राज्य सीमा पर 23 मार्च से पुलिस की नाकाबंदी जारी है,लेकिन पंजाब और राजस्थान के बीच राज्य सीमा पर बनी 75 किलोमीटर लंबी सूखी लिंक नहर के अंदर से लोग जिले में प्रवेश कर रहे है, इसकी सूचना जब जिला प्रशासन को मिली तो लिंक नहर में साधुवाली के समीप 36 आरडी से 450 क्यूसेक पानी छोड़ा है.

लिंक नहर से टलेगा संक्रमण का खतरा

बता दें कि 15 साल से इस नहर में पानी नहीं होने के कारण लोगों ने नहर में चोर रास्ते बना रखे थे. कोरोन संक्रमण के दौर में प्रशासन ने लोगों की आवाजाही रोकने के लिए लिंक नहर में साधुवाली के समीप इसमें 36 आरडी से 450 क्यूसेक पानी छोड़ा है. इस लिंक नहर का एक छोर हरियाणा के लोहगढ हेड पर है, जबकि अंतिम छोर श्रीगंगानगर में है.

वहीं हरियाणा में पानी की किल्लत होने के कारण यह पानी श्रीगंगानगर से उल्टी दिशा में छोड़ा गया है, यानी अब यह पानी सादुलशहर के गांव दलियावाली, भागसर से होता हुआ पंजाब सीमा में जाएगा. जिसका मकसद केवल पंजाब से लोगों की आवाजाही रोकना है. सिंचाई विभाग की मानें तो लिंक नहर की कुल लंबाई 250 आरडी है. 3 पॉइंट 33 आरडी एक किलोमीटर के बराबर होती है.

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राजस्थान सरकार ने इस नहर की 1982 में बनाना शुरू किया और जून 1996 में तत्कालीन हेड चलाए गए. 1996 से 2001 तक इस लिंक नहर में बरसात का पानी ही चलाया जाता था. मई 2000 में भारत सरकार ने बीकानेर केनाल के पुनर्निर्माण के लिए 450 करोड़ का बजट जारी किया. यहां से जुलाई 2005 तक लिंक नहर से गंगनहर को पानी मिलता था.

आखिर बार इस नहर में 2016 मे सधुवाली की तरफ से 100 क्यूसेक पानी 3 दिन के लिए प्रवाहित किया गया था. अब कोरोन संक्रमण को देखते हुए पंजाब और जिले से लगातर सूखी लिंक नहर से लोगों का आना जारी था.ऐसे में रास्ता रोकने के लिए लिंक नहर में पानी कलेक्टर और एसपी के आदेश पर श्रीगंगानगर से ही छुड़ाया गया. किसान इस पानी से सिंचाई नहीं कर पाएंगे.पानी छोड़ने का मुख्य मकसद यही है कि लॉक डाउन में नहर में जो रास्ते है उनको बंद किया जा सके.

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