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जयपुर पुलिस की बडी़ लापरवाही, 82 मजदूरों को दो ट्रकों में मवेशियों भरकर सीकर की सीमा पर छोड़ा - sikar news

लॉकडाउन के बीच अपने घर जा रहे 82 मजदूरों को जयपुर पुलिस ने सीकर सीमा पर छोड़ दिया. जिसके बाद उनके पास कोई सहारा नहीं रहा. वहीं अब मामले के प्रकाश में आने के बाद चौमू प्रशासन और गोविंदगढ़ प्रशासन एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.

सीकर न्यूज, sikar news
82 मजदूरों को सीकर की सीमा के वीरान जोहड़ में छोड़ गयी जयपुर पुलिस
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Published : Apr 18, 2020, 11:43 PM IST

Updated : May 24, 2020, 6:38 PM IST

श्रीमाधोपुर (सीकर). जिले के बठोठ से पैदल चलकर अपने गांव बारां जिले के छबड़ा जा रहे 82 मजदूर चौमू के उदयपुरिया मोड़ तक पहुंच गए. सीकर से उदयपुरिया तक लगने वाले सात-आठ थानों की पुलिस ने न ही तो उन्हें रोका और न ही उनके रहने की व्यवस्था की. ऐसे में सीकर पुलिस की बड़ी चूक तो सामने आई ही है. साथ ही जयपुर पुलिस का भी अमानवीय चेहरा सामने आया है.

उदयपुरिया में पुलिस मजदूरों को दो ट्रकों में मवेशियों की तरह भरकर सीकर की सीमा के वीरान जोहड़े में छोड़कर चली गयी. पुलिस ने पहले तो उन्हें उदयपुरिया में केले खिलाये. बाद में उन्हें घर भेजने की कहकर सीकर जिले के कोलवा गांव के पास जोहड़े में उतारकर भाग गए.

सूचना पर श्रीमाधोपुर तहसीलदार महिपाल सिंह राजावत तथा थानाधिकारी कैलाश चंद्र मीणा मय जाब्ता मौके पर पहुंचे. थानाधिकारी कैलाश चंद्र मीणा ने मजदूरों से पूछताछ की.

मामले में चौमू डिप्टी प्रियंका कुमावत और गोविंदगढ़ डिप्टी संदीप सारस्वत से बात की तो उन्होंने एक दूसरे की कार्रवाई बताते हुए पल्ला झाड़ दिया. मामले में दोनों का कहना है कि कमिश्नरेट पुलिस ने मजदूरों को छोड़ा है.

पढ़ें: कोरोना की जंग में समाजसेवी निभा रहे भूमिका, जयपुर सेंट्रल जेल को किया सैनिटाइज

जबकि चौमू डिप्टी प्रियंका कुमावत का कहना है कि कमिश्नरेट पुलिस ने सीकर की सीमा में नहीं छोड़ा है. हमनें मजदूरों को पकड़कर गोविंदगढ़ डिप्टी तथा थानाधिकारी को आइसोलेट करने के लिए हवाले किया था. हमें नहीं पता कि उन्होंने मजदूरों को वापस सीकर की सीमा पर छोड़ दिया.

यह है मामला-

बारां जिले के छबड़ा से महिला-पुरुष और बच्चों सहित 82 मजदूर सीकर के बठोठ में आये हुए थे. मजदूर यहां प्याज की खुदाई करते थे, लॉकडाउन होने के कारण वे अपने गांव नहीं जा सके. 14 तारीख को वे बठोठ से पैदल ही गांव के लिए रवाना हो गए.

पढ़ेंः हॉस्पिटल में इलाज के दौरान महिला की मौत, आक्रोशित परिजनों ने किया हंगामा

शुक्रवार को वे उदयपुरिया पहुंच गए. वहां उन्हें जयपुर पुलिस ने रोक लिया. पुलिस ने उनसे पूछताछ की तथा उन्हें वापस सीकर जिले की सीमा से लगते श्रीमाधोपुर पंचायत समिति के गांव कोलवा के नजदीक उतारकर चले गये. मजदूरों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें ट्रकों में बैठने को कहा. मजदूरों ने कारण जाना तो बोले आपको गांव छोड़कर आते हैं. बाद में उन्हें सीकर की सीमा के वीरान जोहड़े में पटककर चले गये.

तहसीलदार ने स्कूल को बनाया आइसोलेशन वार्ड-

सूचना पर मौके पर पहुंचे तहसीलदार महिपाल सिंह राजावत तथा थाना अधिकारी कैलाश चंद्र मीणा ने मजदूरों की सुध ली. उन्होंने पास ही में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में रहने की व्यवस्था करवाई.

तहसीलदार ने तत्काल विद्यालय स्टाफ को मौके पर बुलाकर विद्यालय के कमरे खुलवाए और मजदूरों के रहने की व्यवस्था की. मजदूरों को विश्वास दिलाया कि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी.

पढ़ेंः अजमेर: सफाईकर्मी और अन्य व्यवस्थाओं में लगे कार्मिकों की होगी जांच, वितरित की गई बचाव की दवाइयां

लॉकडाउन तक वे यहीं रहें उनके भोजन व रहने की व्यवस्थाएं अच्छे से की जाएगी. मजदूरों की सूचना पर भामाशाह भी मौके पर पहुंच गए. रेड क्रॉस सोसाइटी के ओर से केले, बिस्किट, नमकीन आदि मजदूरों को खिलाए गए. गोविंदगढ़ डिप्टी संदीप सारस्वत तथा थानाधिकारी अरविंद भारद्वाज ने मजदूरों के लिए भोजन के पैकेट भेजे.

श्रीमाधोपुर (सीकर). जिले के बठोठ से पैदल चलकर अपने गांव बारां जिले के छबड़ा जा रहे 82 मजदूर चौमू के उदयपुरिया मोड़ तक पहुंच गए. सीकर से उदयपुरिया तक लगने वाले सात-आठ थानों की पुलिस ने न ही तो उन्हें रोका और न ही उनके रहने की व्यवस्था की. ऐसे में सीकर पुलिस की बड़ी चूक तो सामने आई ही है. साथ ही जयपुर पुलिस का भी अमानवीय चेहरा सामने आया है.

उदयपुरिया में पुलिस मजदूरों को दो ट्रकों में मवेशियों की तरह भरकर सीकर की सीमा के वीरान जोहड़े में छोड़कर चली गयी. पुलिस ने पहले तो उन्हें उदयपुरिया में केले खिलाये. बाद में उन्हें घर भेजने की कहकर सीकर जिले के कोलवा गांव के पास जोहड़े में उतारकर भाग गए.

सूचना पर श्रीमाधोपुर तहसीलदार महिपाल सिंह राजावत तथा थानाधिकारी कैलाश चंद्र मीणा मय जाब्ता मौके पर पहुंचे. थानाधिकारी कैलाश चंद्र मीणा ने मजदूरों से पूछताछ की.

मामले में चौमू डिप्टी प्रियंका कुमावत और गोविंदगढ़ डिप्टी संदीप सारस्वत से बात की तो उन्होंने एक दूसरे की कार्रवाई बताते हुए पल्ला झाड़ दिया. मामले में दोनों का कहना है कि कमिश्नरेट पुलिस ने मजदूरों को छोड़ा है.

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जबकि चौमू डिप्टी प्रियंका कुमावत का कहना है कि कमिश्नरेट पुलिस ने सीकर की सीमा में नहीं छोड़ा है. हमनें मजदूरों को पकड़कर गोविंदगढ़ डिप्टी तथा थानाधिकारी को आइसोलेट करने के लिए हवाले किया था. हमें नहीं पता कि उन्होंने मजदूरों को वापस सीकर की सीमा पर छोड़ दिया.

यह है मामला-

बारां जिले के छबड़ा से महिला-पुरुष और बच्चों सहित 82 मजदूर सीकर के बठोठ में आये हुए थे. मजदूर यहां प्याज की खुदाई करते थे, लॉकडाउन होने के कारण वे अपने गांव नहीं जा सके. 14 तारीख को वे बठोठ से पैदल ही गांव के लिए रवाना हो गए.

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शुक्रवार को वे उदयपुरिया पहुंच गए. वहां उन्हें जयपुर पुलिस ने रोक लिया. पुलिस ने उनसे पूछताछ की तथा उन्हें वापस सीकर जिले की सीमा से लगते श्रीमाधोपुर पंचायत समिति के गांव कोलवा के नजदीक उतारकर चले गये. मजदूरों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें ट्रकों में बैठने को कहा. मजदूरों ने कारण जाना तो बोले आपको गांव छोड़कर आते हैं. बाद में उन्हें सीकर की सीमा के वीरान जोहड़े में पटककर चले गये.

तहसीलदार ने स्कूल को बनाया आइसोलेशन वार्ड-

सूचना पर मौके पर पहुंचे तहसीलदार महिपाल सिंह राजावत तथा थाना अधिकारी कैलाश चंद्र मीणा ने मजदूरों की सुध ली. उन्होंने पास ही में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में रहने की व्यवस्था करवाई.

तहसीलदार ने तत्काल विद्यालय स्टाफ को मौके पर बुलाकर विद्यालय के कमरे खुलवाए और मजदूरों के रहने की व्यवस्था की. मजदूरों को विश्वास दिलाया कि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी.

पढ़ेंः अजमेर: सफाईकर्मी और अन्य व्यवस्थाओं में लगे कार्मिकों की होगी जांच, वितरित की गई बचाव की दवाइयां

लॉकडाउन तक वे यहीं रहें उनके भोजन व रहने की व्यवस्थाएं अच्छे से की जाएगी. मजदूरों की सूचना पर भामाशाह भी मौके पर पहुंच गए. रेड क्रॉस सोसाइटी के ओर से केले, बिस्किट, नमकीन आदि मजदूरों को खिलाए गए. गोविंदगढ़ डिप्टी संदीप सारस्वत तथा थानाधिकारी अरविंद भारद्वाज ने मजदूरों के लिए भोजन के पैकेट भेजे.

Last Updated : May 24, 2020, 6:38 PM IST
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