सीकर. प्रदेश में जब-जब कांग्रेस की सरकार होती है. तब-तब सीकर की सत्ता में हमेशा बड़ी भागीदारी रही है. पिछली गहलोत सरकार के वक्त सीकर से राजेंद्र पारीक कैबिनेट मंत्री थे, दीपेंद्र सिंह विधानसभाध्यक्ष थे. जबकि उस वक्त तो जिले में कांग्रेस के पांच ही विधायक थे.
लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद सीकर के सभी आठों विधायक कांग्रेस के पाले में हैं. प्रदेश का यह एकमात्र जिला है, जहां से भाजपा का एक भी विधायक नहीं है. इसलिए भी यहां के कांग्रेस कार्यकर्ताओं की उम्मीद बड़ी है. हालांकि 8 विधायक होने के बाद भी केवल एक राज्यमंत्री का पद सीकर को मिला है. गोविंद सिंह डोटासरा के अलावा किसी को बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली. इस वजह से माना जा रहा है कि राजनीतिक नियुक्तियों में इस बार भी सीकर का दबदबा रहेगा.
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पिछली सरकार में इनको मिली थी जिम्मेदारी...
पिछली गहलोत सरकार के वक्त सीकर के वरिष्ठ नेताओं को तवज्जो मिली थी. चौधरी नारायण सिंह को किसान आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था, तो परसराम मोरदिया आवासन मंडल के अध्यक्ष थे. इसके अलावा जिला स्तर पर भी कई कार्यकर्ताओं को नियुक्ति मिली थी.
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जिला स्तर से प्रदेश स्तर तक इन नेताओं को उम्मीद...
सीकर से कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पीएस जाट ने भी राजनीतिक नियुक्ति के लिए दावेदारी की है. माना जा रहा है कि उन्हें प्रदेश स्तर पर किसी आयोग में जिम्मेदारी मिल सकती है. इसके अलावा सीकर जिला स्तर पर यूआईटी अध्यक्ष और बीसुका उपाध्यक्ष दो बड़ी जिम्मेदारी है. इन पर कई नेताओं की नजर है. सीकर के कई कांग्रेस कार्यकर्ता भी प्रदेश में किसी आयोग में सदस्य का सपना देख रहे हैं.