सीकर. फ्लोराइड से मुक्ति दिलाने के लिए बरसों बाद सीकर जिले में भले ही नहर का मीठा पानी पहुंच गया हो, लेकिन अभी तक गांव के लोगों को ये पानी नहीं मिल पाया है, और तो और हर दिन लाखों लीटर पानी व्यर्थ बह रहा है वो अलग, जगह-जगह लीकेज की वजह से हर दिन लाखों लीटर पानी यूं ही बह जा रहा है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं है.
फ्लोराइड मुक्त करने के लिए बनी योजना
जानकारी के मुताबिक सीकर जिले में 325 गांव में फ्लोराइड का प्रकोप ज्यादा होने की वजह से इन गांवों के लिए 2012 में नहरी पानी की योजना स्वीकृत हुई थी. करीब 7 साल बाद 732 करोड़ की लागत इस योजना का पानी सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़, रामगढ़ और फतेहपुर तहसील के गांवों में पहुंचा, हालांकि अभी तक गांव में पानी का वितरण शुरू नहीं हुआ है, लेकिन पानी गांव के जलाशय तक पहुंचने लगा है.
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वॉल और लाइन में लीकेज से व्यर्थ बह रहा पानी
लेकिन विडंबना यह है कि जो पानी गांव तक पहुंचना है उसमें जगह-जगह अभी से वॉल और लाइन में लीकेज हो गए हैं. इस वजह से लोगों को पानी नहीं मिल रहा है, जो करोड़ों रुपए की लागत से यहां तक पहुंचा है. वो व्यर्थ बह रहा है. इसके लिए अलग से नहरी पानी के लिए जलदाय विभाग का ऑफिस बनाया गया है. इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.
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732 करोड़ की लागत से आई योजना
सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़, रामगढ़ और फतेहपुर तहसील के 325 गांव के लिए 732 करोड़ रुपए की लागत से यह योजना स्वीकृत हुई थी. योजना शुरू होने के 7 साल बाद पानी गांव तक पहुंचा है. लेकिन हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर विभाग इस पानी को लेकर कितना गंभीर है.