सीकर. प्रदेश में पंचायत चुनाव का दौर चल रहा है. चुनाव में विकास के दावे भी खुलकर किए जा रहे हैं. इन दावों में कितनी हकीकत है, यह किसी से छुपी नहीं है. हर प्रत्याशी अपने-अपने कामों को जनता के सामने लाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. लेकिन सीकर जिले में एक ऐसी महिला सरपंच भी हैं, जिन्होंने पिछले 5 साल में गांव की सूरत ही बदल डाली.
यह महिला सरपंच आईएएस की बेटी हैं और आईपीएस की पत्नी. अपने 5 साल के कार्यकाल में इन्होंने गांव का विकास करवाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी. अब ये एक बार फिर से मैदान में हैं. ये हैं सीकर जिले के बेसवा गांव की रहने वाली सरपंच जरीना खान.
सीकर जिले का बेसवा गांव...
वैसे तो यह गांव काफी विकसित है और यहां संपन्न परिवारों की भी कोई कमी नहीं है. पिछले कुछ सालों में खाड़ी देशों से सबसे ज्यादा पैसा इसी गांव में आया है. लेकिन 5 साल पहले गांव के लोगों ने जरीना खान को सरपंच बनने का मौका दिया. जरीना खान के पिता भी आईएएस अधिकारी रहे हैं. जरीना की ज्यादातर पढ़ाई विदेश में हुई है. उनके पति अरशद अली आईपीएस हैं. जरीना विदेश में बैंक में लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर गांव की पंचायती में आईं.
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वे बताती हैं कि जब भी गांव आती थीं तो सोचती थीं कि इस गांव का विकास करूं. इसलिए उन्होंने सरपंच बनने की सोची और गांव के लोगों ने उन्हें मौका भी दिया. सरपंच बनने के बाद जरीना ने अपनी मेहनत से गांव के विकास कार्य करवाए और खुद की योग्यता का भी पूरा उपयोग किया. आज बेसवा गांव का विकास अलग ही नजर आता है.
ये बड़े काम करवाए जरीना ने...
गांव में अस्पताल के लिए खुद के ही परिवार के लोगों से बात की और अपनी 8 बीघा जमीन अस्पताल के लिए दान करवाई. सरपंच के बजट से अस्पताल बनना संभव नहीं था, इसलिए खुद से मेहनत कर सरकार से बजट लाने की ठान ली. काफी मशक्कत के बाद गांव में अस्पताल स्वीकृत करवा लिया. आज यह अस्पताल बनकर तैयार हो चुका है. इसके बाद गांव से पैसे इकट्ठे कर बालिका विद्यालय खुलवाया.
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इन बड़े कामों के अलावा भी जरीना ने गांव की गली-गली में सीमेंट की सड़कें बनवाई. गांव में हाई मास्क लाईट लगवाईं. आज बेसवा गांव शहर जैसा नजर आता है. वहीं समाज की कुरीतियों के खिलाफ भी जरीना ने जमकर संघर्ष किया और आज उनके समाज में बिना दहेज के शादियां भी होने लगी हैं.