सीकर. पूरे देश में ऐसे लाखों बच्चे होंगे जो अपने मन में सपने संजोए होंगे कि 12वीं के बाद किसी इंजीनियरिंग या मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेंगे और इसके बाद अपने करियर के अगले पड़ाव में अपना कदम रखेंगे. लेकिन इन लाखों बच्चों के सपनों को वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने बर्बाद कर दिया. सबसे ज्याद मुसीबत तो उन बच्चों के ऊपर है, जिन्होंने 12वीं का परीक्षा देकर अपने सुनहरे करियर का सपना देखा था.
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण एक तरफ जहां बच्चों के भविष्य पर संकट है, तो वहीं दूसरी ओर कोचिंग संस्थानों के सामने भी कई तरह के संकट पैदा हो गए हैं. हालांकि, बड़ी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान अभी भी बच्चों को जोड़े रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन उस तरह की पढ़ाई होना मुश्किल है जिस की पढ़ाई क्लास में होती है.
पढ़ें- स्पेशल: वीरान हुई शिक्षा नगरी, हॉस्टल संचालकों को हो रहा भारी नुकसान
नीट और जेईई की तैयारी करवाने वाले कोचिंग संस्थानों की बात की जाए सीकर शहर राजस्थान में कोटा के बाद सबसे बड़ा सेंटर है. सीकर के कोचिंग संस्थान तो यह भी दावा करते हैं कि पिछले कुछ सालों में सीकर और कोटा दोनों बराबरी पर आ गए हैं. नीट और जेईई की तैयारी के लिए सीकर में कई बड़े कोचिंग संस्थान हैं. पिछले 3 महीने से जब से यह संस्थान बंद हुए हैं, तब से हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं. सीकर शहर में NEET (National Eligibility Cum Entrance Test) और JEE (Joint Entrance Test) की तैयारी करने वाले करीब 50 हजार विद्यार्थी रह रहे थे. इनमें काफी संख्या में दूसरे राज्यों के विद्यार्थी भी थे और सीकर के अलावा पूरे राजस्थान से हजारों विद्यार्थी यहां रह रहे थे.
पिछले वर्ष की परीक्षा नहीं होने से उनके भविष्य पर खतरा
कोचिंग संस्थानों और विद्यार्थियों के सामने सबसे बड़ा संकट यह है कि पिछले साल जिन्होंने तैयारी की उनकी परीक्षा अब तक नहीं हो पाई है. लॉकडाउन की वजह से सरकार ने जुलाई में नीट और जेईई की परीक्षा करवाने का फैसला किया था, लेकिन अब उसे एक बार फिर से आगे बढ़ा दिया है. इसलिए कोचिंग संस्थानों के सामने संकट यह है कि जो बच्चे तैयारी कर घर जा चुके हैं, उन्हें सिलेबस से जोड़ा रखना बहुत बड़ी चुनौती है. बच्चों को सिलेबस से जोड़े रखने के लिए कोचिंग संस्थान लगातार लाइव के जरिए उन बच्चों से जुड़ा हुआ है.
पढ़ें- Special: उम्मीदों की फसल पर आसमानी आफत की 'छाया'...घबराए किसानों की अटकी सांसें
ऑनलाइन की तरफ बढ़ रहा रुझान
कोचिंग संस्थानों से जुड़े फैकल्टी से बात की जाए तो उनका कहना है कि जब से लॉकडाउन हुआ है तब से वे लगातार बच्चों को ऑनलाइन क्लास में पढ़ा रहे हैं. शिक्षक बिल्कुल उसी तरह पढ़ा रहे हैं जिस तरह से बच्चों को कक्षा में पढ़ाते थे, लेकिन फिर भी ना तो उन्हें पढ़ाने में मजा आ रहा है और ना ही बच्चे उतना सीख पा रहे हैं. जो बच्चे ऑनलाइन क्लास से जुड़े हैं वह भी बार-बार टीचर से सवाल पूछ रहे हैं कि उनकी ऑफलाइन क्लास कब से शुरू होगी.
या तो आधे होंगे या फिर दोगुने
सीकर शहर में नीट और जेईई जैसे कोचिंग संस्थानों के नींव रखने वाले एक कोचिंग संचालक श्रवण चौधरी मानते हैं कि अब जैसे ही संस्थान खुलेंगे तो इसके दो परिणाम आ सकते हैं. पहला यह कि बच्चों की संख्या आधी हो सकती है और दूसरा यह कि यह संख्या दोगुनी भी हो सकती है. दोगुनी एक ही तरीके से हो सकती है जब अभिभावक बच्चों को कोटा जैसे बड़े शहर में भेजना कम पसंद करेंगे. चौधरी का कहना है कि अगर ज्यादा बच्चे ऑनलाइन क्लास से ही जुड़ा रहना चाहेंगे तो फिर यह संख्या आधी भी हो सकती है.
दूसरे जिलों से भी एडमिशन के लिए आ रहे हैं अभिभावक
सीकर शहर में कोचिंग संस्थानों में अभी से दूसरे जिलों से भी काफी संख्या में अभिभावक आने लगे हैं और बच्चों के एडमिशन की जानकारी ले रहे हैं. खास तौर पर 10वीं, 11वीं और 12वीं के बच्चों को यहां फाउंडेशन और टारगेट कोर्स के लिए भेजा जाता हैं. इसलिए इन बच्चों के एडमिशन के लिए अभिभावक यहां पहुंच रहे हैं.