ETV Bharat / city

हौसलों की उड़ानः आंखों की रोशनी से महरूम शालिनी, इच्छा शक्ति के दम रोशन किया जिले का नाम

सीकर की नेत्रहीन शालिनी ने राजस्थान की माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 12वीं की परीक्षा में 96.80 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. शालिनी की इस सफलता को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित है. खेल में भी शालिनी की सफलता किसी से छुपी नहीं है और वह स्विजरलैंड तक सफलता के झंडे गाड़ चुकी हैं.

सीकर समाचार, sikar news
सीकर की नेत्रहीन शालिनी
author img

By

Published : Aug 13, 2020, 6:21 PM IST

Updated : Aug 31, 2020, 1:28 PM IST

सीकर. राजस्थान की माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 12वीं के रोके हुए परीक्षा परीणामों में सीकर की नेत्रहीन शालिनी चौधरी ने दूसरा स्थान प्राप्त किया. इस परीक्षा में शालिनी ने 96.80 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. शालिनी की इस सफलता को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित है. नेत्रहीन शालिनी अपने स्कूल की टॉपर हैं, जहां पर उनके अलावा सभी सामान्य बच्चे पढ़ते हैं. खेल में भी शालिनी की सफलता किसी से छुपी नहीं है और वह स्विटजरलैंड तक सफलता के झंडे गाड़ चुकी हैं.

96.80 प्रतिशत के साथ जिले में दूसरे स्थान पर आई नेत्रहीन शालिनी

बता दें कि सीकर के पिपराली रोड इलाके में रहने वाली 16 वर्षीय शालिनी चौधरी जन्म से ही नेत्रहीन हैं. उसकी मां सरोज भामू ने किसी तरह घर पर ही उसे पढ़ना लिखना सिखाया और उसके बाद स्कूल में दाखिला दिलाया. पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक शालिनी सरकारी स्कूल में ही पढ़ी हैं. इस बार शालिनी के 12वीं का परीक्षा परिणाम कुछ तकनीकी खामियों के चलते बोर्ड ने रोक दिया था.

पढ़ें- स्पेशल: Tax वसूली का जिम्मा Private फर्म को, पहले साल 80 करोड़ और आगे असेसमेंट का 75 प्रतिशत टारगेट

इस दौरान एक दिन पहले जब शालिनी का परीक्षा परिणाम जारी किया गया तो उसमें उसके 96.80 प्रतिशत अंक आए. खास बात यह है कि नेत्रहीन शालिनी हिंदी जैसे विषय में 100 में से 100 अंक मिले हैं. शालिनी ने ब्रेल लिपि के जरिए ही अपनी पढ़ाई की है. अब तो वह मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर सब चलाती है.

खेल में स्विटजरलैंड तक सफलता के गाड़ चुकी है झंडे

एथलेटिक्स में गाड़े हैं सफलता के झंडे

पढ़ाई में अव्वल होने के साथ-साथ शालिनी एक बेहतरीन खिलाड़ी भी है. 400 और 800 मीटर दौड़ में वह प्रदेश और देश में कई प्रतियोगिताएं जीत चुकी हैं. कई सिल्वर और गोल्ड मेडल उसके घर की शोभा बढ़ा रहे हैं. पिछले साल नेशनल चैंपियनशिप में उसे स्विजरलैंड जाने का मौका मिला. हालांकि, इस प्रतियोगिता में शालिनी 5वें नंबर पर रही. लेकिन विषम परिस्थितियों में और बहुत ही कम समय में उसे यहां भेजा गया था.

पढ़ें- Special : पाली में 'लॉकडाउन' नहीं मेडिकल सुविधाएं बढ़ेंगी, स्थापित होंगे नए कोविड केयर सेंटर

बच्ची को अच्छी शिक्षा एवं अच्छी परवरिश मिले इसके लिए मां-बाप ने दूसरी संतान भी पैदा नहीं की

शालिनी की मां सरोज बताती हैं कि अगर दूसरी संतान पैदा होती तो फिर नेत्रहीन बच्चे की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता और उसकी परवरिश सही ढंग से नहीं हो पाती. इसलिए माता-पिता ने पूरा ध्यान शालिनी पर लगाया. शालिनी की मां एमए एवं बीएड है, इसके बावजूद उन्होंने कभी कोई नौकरी नहीं की. शालिनी के पिता टैक्सी चलाते हैं और शालिनी का परिवार बहुत ही सामान्य है.

पैरालंपिक में पदक जीतना और आईएएस बनना दो बड़े लक्ष्य

शालिनी चौधरी का लक्ष्य है कि वह खेल में पैरालंपिक तक पहुंचे और वहां पर गोल्ड मेडल प्राप्त करें. इसके साथ ही शालिनी का लक्ष्य आईएएस बनना है और उसका कहना है कि वह दोनों मुकाम हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत करेगी.

सीकर. राजस्थान की माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 12वीं के रोके हुए परीक्षा परीणामों में सीकर की नेत्रहीन शालिनी चौधरी ने दूसरा स्थान प्राप्त किया. इस परीक्षा में शालिनी ने 96.80 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. शालिनी की इस सफलता को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित है. नेत्रहीन शालिनी अपने स्कूल की टॉपर हैं, जहां पर उनके अलावा सभी सामान्य बच्चे पढ़ते हैं. खेल में भी शालिनी की सफलता किसी से छुपी नहीं है और वह स्विटजरलैंड तक सफलता के झंडे गाड़ चुकी हैं.

96.80 प्रतिशत के साथ जिले में दूसरे स्थान पर आई नेत्रहीन शालिनी

बता दें कि सीकर के पिपराली रोड इलाके में रहने वाली 16 वर्षीय शालिनी चौधरी जन्म से ही नेत्रहीन हैं. उसकी मां सरोज भामू ने किसी तरह घर पर ही उसे पढ़ना लिखना सिखाया और उसके बाद स्कूल में दाखिला दिलाया. पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक शालिनी सरकारी स्कूल में ही पढ़ी हैं. इस बार शालिनी के 12वीं का परीक्षा परिणाम कुछ तकनीकी खामियों के चलते बोर्ड ने रोक दिया था.

पढ़ें- स्पेशल: Tax वसूली का जिम्मा Private फर्म को, पहले साल 80 करोड़ और आगे असेसमेंट का 75 प्रतिशत टारगेट

इस दौरान एक दिन पहले जब शालिनी का परीक्षा परिणाम जारी किया गया तो उसमें उसके 96.80 प्रतिशत अंक आए. खास बात यह है कि नेत्रहीन शालिनी हिंदी जैसे विषय में 100 में से 100 अंक मिले हैं. शालिनी ने ब्रेल लिपि के जरिए ही अपनी पढ़ाई की है. अब तो वह मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर सब चलाती है.

खेल में स्विटजरलैंड तक सफलता के गाड़ चुकी है झंडे

एथलेटिक्स में गाड़े हैं सफलता के झंडे

पढ़ाई में अव्वल होने के साथ-साथ शालिनी एक बेहतरीन खिलाड़ी भी है. 400 और 800 मीटर दौड़ में वह प्रदेश और देश में कई प्रतियोगिताएं जीत चुकी हैं. कई सिल्वर और गोल्ड मेडल उसके घर की शोभा बढ़ा रहे हैं. पिछले साल नेशनल चैंपियनशिप में उसे स्विजरलैंड जाने का मौका मिला. हालांकि, इस प्रतियोगिता में शालिनी 5वें नंबर पर रही. लेकिन विषम परिस्थितियों में और बहुत ही कम समय में उसे यहां भेजा गया था.

पढ़ें- Special : पाली में 'लॉकडाउन' नहीं मेडिकल सुविधाएं बढ़ेंगी, स्थापित होंगे नए कोविड केयर सेंटर

बच्ची को अच्छी शिक्षा एवं अच्छी परवरिश मिले इसके लिए मां-बाप ने दूसरी संतान भी पैदा नहीं की

शालिनी की मां सरोज बताती हैं कि अगर दूसरी संतान पैदा होती तो फिर नेत्रहीन बच्चे की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता और उसकी परवरिश सही ढंग से नहीं हो पाती. इसलिए माता-पिता ने पूरा ध्यान शालिनी पर लगाया. शालिनी की मां एमए एवं बीएड है, इसके बावजूद उन्होंने कभी कोई नौकरी नहीं की. शालिनी के पिता टैक्सी चलाते हैं और शालिनी का परिवार बहुत ही सामान्य है.

पैरालंपिक में पदक जीतना और आईएएस बनना दो बड़े लक्ष्य

शालिनी चौधरी का लक्ष्य है कि वह खेल में पैरालंपिक तक पहुंचे और वहां पर गोल्ड मेडल प्राप्त करें. इसके साथ ही शालिनी का लक्ष्य आईएएस बनना है और उसका कहना है कि वह दोनों मुकाम हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत करेगी.

Last Updated : Aug 31, 2020, 1:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.