ETV Bharat / city

आपणी सरकार: सीकर नगर परिषद आज तक नहीं बना बीजेपी का बोर्ड, इस बार भी मुस्लिम वोटर लगा सकते हैं कांग्रेस की नैया पार - निकाय चुनाव 2019

निकाय चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है. दोनों दलों के नेता अब जीत के लिए रणनीति बना रहे हैं. प्रदेश में 49 निकायों पर चुनाव होना है, जिसके लिए 16 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. वहीं 19 नवंबर को वोटों की गिनती होगी.

Sikar Body Election, Sikar nagar parishad
author img

By

Published : Nov 3, 2019, 6:17 PM IST

सीकर. निकाय चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो सीकर नगर परिषद, प्रदेश में कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट मानी जा सकती है. यहां हर बार कांग्रेस का ही बोर्ड बनता आया है और बीजेपी कभी अपना बोर्ड नहीं बना सकी है. एक बार सभापति के सीधे चुनाव में उपचुनाव हुए. उस दौरान कुछ समय के लिए बीजेपी को सभापति की कुर्सी जरूर मिली. लेकिन बोर्ड उस वक्त भी कांग्रेस का ही था. सीकर शहर में मुस्लिम आबादी की बहुलता के चलते इस बार भी यहां बीजेपी की राह आसान नहीं होगी. ईटीवी भारत की टीम ने शहर के प्रमुख लोगों से बातचीत के आधार पर यहां की ग्राउंड रिपोर्ट जुटाई तो यहां कुछ इस प्रकार से तथ्य सामने आए.

आपणी सरकार में देखिए सीकर नगर परिषद को लेकर कांग्रेस और बीजेपी की रणनीति

नगर परिषद की बात की जाए तो इस बार के चुनाव में यहां 65 वार्ड हो गए हैं. मुस्लिम और जाट वोट बैंक के चलते यहां कांग्रेस हमेशा बोर्ड बनाने में कामयाब रही. साल 2009 में जब सीधे चुनाव हुए तब भी कांग्रेस की ही सलमा शेख यहां से सभापति चुनी गईं थीं. लेकिन उनके निधन के बाद दोबारा से हुए उपचुनाव में बीजेपी अपना बोर्ड बनाने में सफल रही. उसमें सीधे चुनाव में कुछ समय के लिए बीजेपी की राजेश्वरी सैनी सभापति बनीं. लेकिन नगर परिषद में कभी भाजपा को बहुमत नहीं मिल पाया. इसके तुरंत बाद प्रदेश में फिर से पार्षदों के द्वारा सभापति चुनने की प्रक्रिया शुरू हुई और साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने ही बोर्ड बनाया और जीवन खान सभापति बने.

पढ़ें- आपणी सरकार: भीनमाल नगर पालिका में आई महिला सीट के बाद...अध्यक्ष की तमन्ना रखने वाले धुरंधर खेल रहे ये दांव

सीकर नगर परिषद का इतिहास

सीकर में साल 1944 में राव राजा कल्याण सिंह ने नगर पालिका का गठन किया. उस समय चुनाव नहीं हुए और उन्होंने जानकी प्रसाद मारू को मनोनीत चेयरमैन बनाया था. उसके बाद हुए चुनाव में मन्मथ कुमार मिश्रा सीकर के पहले निर्वाचित चेयरमैन बने. वहीं बाद में हर 3 साल में चुनाव होने लगे और प्यारे लाल माथुर सीकर नगर पालिका के चेयरमैन बने. उनके बाद भी कांग्रेस के ही सोमनाथ त्रिहन चेयरमैन बने. सीकर में नगर परिषद बना दी गई, लेकिन 17 साल तक चुनाव नहीं हुए और एडीएम को प्रशासक लगाया गया. इनके बाद कांग्रेस के ही वारिस खान, प्रभुलाल जैन नगर पालिका के चेयरमैन रहे. इनके बाद कांग्रेस के मोहम्मद हनीफ खत्री और सलमा शेख सभापति रहीं. पिछले 5 साल से जीवन खान यहां सभापति हैं.

पढ़ें- आपणी सरकार: राजस्थान की सबसे कम वोटर्स वाली नगर पालिका, यहां केवल 957 ही मतदाता

इस बार बन रहे हैं ऐसे समीकरण

इस बार के चुनाव की बात की जाए तो भी सीकर में समीकरण ज्यादा बदले हुए नजर नहीं आ रहे हैं. इस बार यहां पर 65 वार्ड हो गए हैं और सभापति बनाने के लिए 33 पार्षद होना जरूरी है. नगर परिषद की बात की जाए तो 25 वार्ड पूर्णतया मुस्लिम वार्ड हैं और यहां या तो कांग्रेस या निर्दलीय ही चुनाव जीते हैं. इसलिए बीजेपी का यहां टिक पाना मुश्किल है. 18 वार्ड ऐसे हैं, जिनमें बाहुल्य तो दूसरी जातियों का है. लेकिन मुस्लिम निर्णायक भूमिका में है. इसलिए इन वार्डों में भी अगर कांग्रेस 7 या 8 वार्ड जीत लेती है तो फिर से सभापति की कुर्सी पर काबिज हो सकती है. बाकी बचे 22 वार्डों में भी वर्तमान में कई जगह कांग्रेस के पार्षद हैं. इसलिए यह कहा जा सकता है कि सीकर नगर परिषद में भाजपा की राह आसान नहीं होगी.

पढ़ें- आपणी सरकार: पार्षदों का दावा- पाली में बही विकास की गंगा, फिर बनेगा हमारा बोर्ड

मुस्लिम कार्ड खेलने के बाद भी बीजेपी नहीं बना पाई थी बोर्ड

सीकर शहर में मुस्लिम आबादी की बहुलता को देखते हुए पिछले नगर परिषद चुनाव में भाजपा ने मुस्लिम कार्ड खेला था. भाजपा ने यह घोषणा की थी कि अगर उनका बोर्ड बनता है तो वह भी मुस्लिम को यहां का सभापति बनाएंगे. सीकर शहर के बड़े मुस्लिम चेहरे वाहिद चौहान को भाजपा ने अपने साथ भी मिलाया था. लेकिन इसके बाद भी भाजपा यहां बोर्ड नहीं बना पाई और कांग्रेस का सभापति बना.

सीकर. निकाय चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो सीकर नगर परिषद, प्रदेश में कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट मानी जा सकती है. यहां हर बार कांग्रेस का ही बोर्ड बनता आया है और बीजेपी कभी अपना बोर्ड नहीं बना सकी है. एक बार सभापति के सीधे चुनाव में उपचुनाव हुए. उस दौरान कुछ समय के लिए बीजेपी को सभापति की कुर्सी जरूर मिली. लेकिन बोर्ड उस वक्त भी कांग्रेस का ही था. सीकर शहर में मुस्लिम आबादी की बहुलता के चलते इस बार भी यहां बीजेपी की राह आसान नहीं होगी. ईटीवी भारत की टीम ने शहर के प्रमुख लोगों से बातचीत के आधार पर यहां की ग्राउंड रिपोर्ट जुटाई तो यहां कुछ इस प्रकार से तथ्य सामने आए.

आपणी सरकार में देखिए सीकर नगर परिषद को लेकर कांग्रेस और बीजेपी की रणनीति

नगर परिषद की बात की जाए तो इस बार के चुनाव में यहां 65 वार्ड हो गए हैं. मुस्लिम और जाट वोट बैंक के चलते यहां कांग्रेस हमेशा बोर्ड बनाने में कामयाब रही. साल 2009 में जब सीधे चुनाव हुए तब भी कांग्रेस की ही सलमा शेख यहां से सभापति चुनी गईं थीं. लेकिन उनके निधन के बाद दोबारा से हुए उपचुनाव में बीजेपी अपना बोर्ड बनाने में सफल रही. उसमें सीधे चुनाव में कुछ समय के लिए बीजेपी की राजेश्वरी सैनी सभापति बनीं. लेकिन नगर परिषद में कभी भाजपा को बहुमत नहीं मिल पाया. इसके तुरंत बाद प्रदेश में फिर से पार्षदों के द्वारा सभापति चुनने की प्रक्रिया शुरू हुई और साल 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने ही बोर्ड बनाया और जीवन खान सभापति बने.

पढ़ें- आपणी सरकार: भीनमाल नगर पालिका में आई महिला सीट के बाद...अध्यक्ष की तमन्ना रखने वाले धुरंधर खेल रहे ये दांव

सीकर नगर परिषद का इतिहास

सीकर में साल 1944 में राव राजा कल्याण सिंह ने नगर पालिका का गठन किया. उस समय चुनाव नहीं हुए और उन्होंने जानकी प्रसाद मारू को मनोनीत चेयरमैन बनाया था. उसके बाद हुए चुनाव में मन्मथ कुमार मिश्रा सीकर के पहले निर्वाचित चेयरमैन बने. वहीं बाद में हर 3 साल में चुनाव होने लगे और प्यारे लाल माथुर सीकर नगर पालिका के चेयरमैन बने. उनके बाद भी कांग्रेस के ही सोमनाथ त्रिहन चेयरमैन बने. सीकर में नगर परिषद बना दी गई, लेकिन 17 साल तक चुनाव नहीं हुए और एडीएम को प्रशासक लगाया गया. इनके बाद कांग्रेस के ही वारिस खान, प्रभुलाल जैन नगर पालिका के चेयरमैन रहे. इनके बाद कांग्रेस के मोहम्मद हनीफ खत्री और सलमा शेख सभापति रहीं. पिछले 5 साल से जीवन खान यहां सभापति हैं.

पढ़ें- आपणी सरकार: राजस्थान की सबसे कम वोटर्स वाली नगर पालिका, यहां केवल 957 ही मतदाता

इस बार बन रहे हैं ऐसे समीकरण

इस बार के चुनाव की बात की जाए तो भी सीकर में समीकरण ज्यादा बदले हुए नजर नहीं आ रहे हैं. इस बार यहां पर 65 वार्ड हो गए हैं और सभापति बनाने के लिए 33 पार्षद होना जरूरी है. नगर परिषद की बात की जाए तो 25 वार्ड पूर्णतया मुस्लिम वार्ड हैं और यहां या तो कांग्रेस या निर्दलीय ही चुनाव जीते हैं. इसलिए बीजेपी का यहां टिक पाना मुश्किल है. 18 वार्ड ऐसे हैं, जिनमें बाहुल्य तो दूसरी जातियों का है. लेकिन मुस्लिम निर्णायक भूमिका में है. इसलिए इन वार्डों में भी अगर कांग्रेस 7 या 8 वार्ड जीत लेती है तो फिर से सभापति की कुर्सी पर काबिज हो सकती है. बाकी बचे 22 वार्डों में भी वर्तमान में कई जगह कांग्रेस के पार्षद हैं. इसलिए यह कहा जा सकता है कि सीकर नगर परिषद में भाजपा की राह आसान नहीं होगी.

पढ़ें- आपणी सरकार: पार्षदों का दावा- पाली में बही विकास की गंगा, फिर बनेगा हमारा बोर्ड

मुस्लिम कार्ड खेलने के बाद भी बीजेपी नहीं बना पाई थी बोर्ड

सीकर शहर में मुस्लिम आबादी की बहुलता को देखते हुए पिछले नगर परिषद चुनाव में भाजपा ने मुस्लिम कार्ड खेला था. भाजपा ने यह घोषणा की थी कि अगर उनका बोर्ड बनता है तो वह भी मुस्लिम को यहां का सभापति बनाएंगे. सीकर शहर के बड़े मुस्लिम चेहरे वाहिद चौहान को भाजपा ने अपने साथ भी मिलाया था. लेकिन इसके बाद भी भाजपा यहां बोर्ड नहीं बना पाई और कांग्रेस का सभापति बना.

Intro:सीकर
सीकर नगर परिषद। चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो यह प्रदेश में कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट मानी जा सकती है। यहां हर बार कांग्रेस का ही बोर्ड बनता आया है और भाजपा कभी अपना बोर्ड नहीं बना सकी है। एक बार सभापति के सीधे चुनाव में उपचुनाव हुए उस दौरान कुछ समय के लिए भाजपा को सभापति की कुर्सी जरूर मिली लेकिन बोर्ड उस वक्त भी कांग्रेस का ही था। सीकर शहर में मुस्लिम आबादी की बहुलता के चलते इस बार भी यहां भाजपा की राह आसान नहीं होगी। ईटीवी भारत में शहर के प्रमुख लोगों से बातचीत के आधार पर यहां की ग्राउंड रिपोर्ट जुटाई तो यही तथ्य सामने आए हैं।


Body:सीकर नगर परिषद की बात की जाए तो इस बार के चुनाव में यहां 65 वार्ड हो गए हैं। मुस्लिम और जाट वोट बैंक के चलते यहां कांग्रेस हमेशा बोर्ड बनाने में कामयाब रही। 2009 में जब सीधे चुनाव हुए तब भी कांग्रेस की ही सलमा शेख यहां से सभापति चुने गई थी लेकिन उनके निधन के बाद एक बार उपचुनाव हुआ उसमें सीधे चुनाव में कुछ समय के लिए भाजपा की राजेश्वरी सैनी सभापति बनी लेकिन नगर परिषद में कभी भाजपा को बहुमत नहीं मिल पाया। इसके तुरंत बाद प्रदेश में फिर से पार्षदों के द्वारा सभापति चुनने की प्रक्रिया शुरू हुई और 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने ही बोर्ड बनाया और जीवन खान सभापति बने।

सीकर नगर परिषद का इतिहास
सीकर में 1944 में राव राजा कल्याण सिंह ने नगर पालिका का गठन किया। उस समय चुनाव नहीं हुए और उन्होंने जानकी प्रसाद मारू को मनोनीत चेयरमैन बनाया था। इसके बाद हुए चुनाव में मन्मथ कुमार मिश्रा सीकर के पहले निर्वाचित चेयरमैन बने। इसके बाद हर 3 साल में चुनाव होते थे। इसके बाद प्यारे लाल माथुर सीकर नगर पालिका के चेयरमैन बने। इनके बाद भी कांग्रेस के ही सोमनाथ त्रिहन चेयरमैन बने। इसके बाद सीकर में नगर परिषद बना दी गई लेकिन 17 साल तक चुनाव नहीं हुए और एडीएम को प्रशासक लगाया गया। इनके बाद कांग्रेस के ही वारिस खान प्रभुलाल जैन नगरपालिका के चेयरमैन रहे। इनके बाद कांग्रेस के मोहम्मद हनीफ खत्री और सलमा शेख सभापति रही। पिछले 5 साल से जीवन खान यहां सभापति हैं।

इस बार बन रहे हैं ऐसे समीकरण।
इस बार के चुनाव की बात की जाए तो भी सीकर में कुछ समीकरण ज्यादा बदले हुए नजर नहीं आ रहे हैं। इस बार यहां पर 65 वार्ड हो गए हैं और सभापति बनाने के लिए 33 पार्षद होना जरूरी है। नगर परिषद की बात की जाए तो 25 वार्ड पूर्णतया मुस्लिम वार्ड है और यहां या तो कांग्रेस या निर्दलीय ही चुनाव जीते हैं इसलिए भाजपा का यहां टिक पाना मुश्किल है। 18 वार्ड ऐसे हैं जिनमें बाहुल्य तो दूसरी जातियों का है लेकिन मुस्लिम निर्णायक भूमिका में है इसलिए इन वार्डों में भी अगर कॉन्ग्रेस सात या 8 वार्ड जीत लेती है तो फिर से सभापति की कुर्सी पर काबिज हो सकती है। बाकी बचे 22 वार्डों में भी वर्तमान में कई जगह कांग्रेस के पार्षद हैं इसलिए यह कहा जा सकता है कि सीकर नगर परिषद में भाजपा की राह आसान नहीं होगी।

मुस्लिम कार्ड खेलने के बाद भी भाजपा नहीं बना पाई थी बोर्ड
सीकर शहर में मुस्लिम आबादी की बहुलता को देखते हुए पिछले नगर परिषद चुनाव में भाजपा ने मुस्लिम कार्ड खेला था। भाजपा ने यह घोषणा की थी कि अगर उनका बोर्ड बनता है तो वह भी मुस्लिम को यहां का सभापति बनाएंगे। सीकर शहर के बड़े मुस्लिम चेहरे वाहिद चौहान को भाजपा ने अपने साथ भी मिलाया था लेकिन इसके बाद भी भाजपा यहां बोर्ड नहीं बना पाई और कांग्रेस का सभापति बना।




Conclusion:बाईट
1 नंदकिशोर सैनी जिला महामंत्री भाजपा
2 गोविंद पटेल प्रवक्ता कांग्रेस
3 महावीर पुरोहित वरिष्ठ पत्रकार और इतिहासकार
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.