झुंझुनूं. कारगिल युद्ध में सबसे ज्यादा 22 शहीद देने वाले जिला अपने लाडले बेटे शीशराम गिल पर भी गर्व करता है, जिन्हें अदम्य साहस पर मरणोपरांत 'वीर चक्र' प्रदान किया गया था. 8 जुलाई 1999 का वो दिन था जब 17 हजार 775 फीट की ऊंचाई पर त्रिशूल पोस्ट की तरफ साहस और धैर्य के साथ जीतकर शीशराम का काफिला चला. 8 जुलाई की शाम चकवाली में पहुंच चुके थे.
9 जुलाई को शीशराम ने अपने साथियों के साथ प्रातः 5:00 बजे घुसपैठियों पर आक्रमण कर दिया. अकेले शीशराम ने 15 में से आठ घुसपैठियों को मार गिराया, शेष 7 को जिंदा पकड़ने के चक्कर में दुश्मन द्वारा गिराए गए बमों की चपेट में आकर शहीद हो गए. जाट रेजीमेंट का सर्वश्रेष्ठ जवान जीवन और मृत्यु से जूझते हुए मौत को गले लगा लिया.
पत्नी संतरा देवी उस वक्त को याद करती हैं:
शहीद शीशराम की पत्नी संतरा देवी याद उस वक्त को याद करती हैं जब मर्णोपरांत शीशराम को वीरचक्र से संमानित किया गया था. संतरा देवी कहती है की उस दिन खचाखच भरा हॉल, जय जयकार की ध्वनि गूंज रही थी, शानदार मंच, भव्य समारोह में उन्हें बुलाया गया था. वह मंच पहुंची फिर राष्ट्रपति महोदय ने पति के त्याग, बहादुरी, साहस हौसलों को देखते हुए मरणोपरांत 'वीरचक्र' प्रदान करते हैं.
संतरा पोषाणा गांव के सेवानिर्वत सैनिक अर्जुनराम की बेटी है. संतरा देवी कहती है की मुझे कम बात करना पसंद है. लेकिन मां भारती के लिए उनका प्रेम इतना ज्वार खाता है की पति की शहादत के बाद बेटे को भी फौज में भेज दिया. गांवों के हजारों व्यक्ति, साथ ही घुंघट की ओट में दो छलछलायी आंखें देख रही थी. उस पर गर्व कर रही थी और सोच रही थी मेरा पति मुझे वीरांगना का सम्मान दे गया. मुझे समझा गया, देश में धरती का मूल्य. अब संतरा देवी का बड़ा पुत्र विजय सैनिक कल्याण बोर्ड में, बिटिया डिंपल एमडी चिकित्सक सबसे छोटा बेटा कैलाश भारतीय सेना में कार्यरत है.
पिता भी हैं सेना से सेवानिवृत्त:
20 अप्रैल 1980 को संतरा देवी का विवाह हुआ शीशराम गिल के साथ हुआ था. वहीं शीशराम गिल, जिसने मां भारती पर कारगिल की पहाड़ियों में नापाक कदम रखने वाले घुसपैठियों के कैंप में तबाही मचा दी थी. शीशराम 8 जाट रेजिमेंट के 3172590 नंबर के हवलदार थे. तीन भाइयों में सबसे बड़े थे. शीशराम गिल के पिता श्री सरदार राम जी गिल, भी सेना में सप्लाई कोर में सेवा देकर सेवानिवृत्त हुए हैं. 1961 को 16 जुलाई को झुंझुनू के बिशनपुरा में जन्मे शीशराम बड़ागांव से 11 वीं पास करके 6 दिसंबर 1979 को सेना में भर्ती हुए थे.