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सांभर झील: पक्षियों की मौत के बाद नमक उद्योग पर लगा ग्रहण, 50 हजार से ज्यादा मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

नागौर में नमक उत्पादन के लिए जानी जाने वाली सांभर झील 90 वर्ग मील में फैली है, और करीब 50 हजार लोग नमक उद्योग से जुड़े हुए हैं. लेकिन, सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत के बाद अब लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है. बता दें कि प्रशासन ने पक्षियों की मौत के बाद नमक सप्लाई पर रोक लगा दी है, जिसके कारण हजारों मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

नागौर न्यूज, nagore news
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Published : Nov 25, 2019, 11:23 PM IST

नागौर. राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी और नमक उत्पादन के लिहाज से देशभर में अलग पहचान रखने वाली सांभर झील में हुई बड़ी पक्षी त्रासदी से पूरा प्रदेश हिल गया है. जहां हजारों पक्षियों की मृत्यु हो चुकी है, वहीं अब एक नई समस्या खड़ी हो गई है, जहां नमक कमिश्नर की ओर से नमक की सप्लाई पर रोक लगा दी गई है. इससे नमक के उद्योग से जुड़े मजदूरों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.

हजारों पक्षियों की मौत के बाद सांभर क्षेत्र में नमकबंदी

आपको बता दें कि पक्षियों की मौत का कारण एवियन बोटयूलिज्म से होने की पुष्टि होने के बाद नमक कमिश्नर ने सांभर इलाके से बने नमक की सप्लाई पर रोक लगा दी है. ऐसे में सांभर और नावां इलाके के नमक उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इस उद्योग से जुड़े हजारों लोगों के लिए रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया है.

पक्षी की बिमारी से सुरक्षा के लिए रोक

सांभर झील के इलाके में नमक उत्पादन से जुड़ी इकाइयों से नमक सप्लाई पर रोक लगा दी. प्रशासन डर है कि पक्षियों की जान लेने वाली यह बीमारी इंसानों तक भी पहुंच सकती है. इसलिए हजारों पक्षियों की मौत के बाद नमक कमिश्नर ने आदेश जारी किए और सांभर झील के इलाके में नमक उत्पादन से जुड़ी इकाइयों से नमक सप्लाई पर रोक लगा दी है.

पढ़ें- स्पेशल: चूरू के मालचंद जांगिड़ परिवार ने चंदन शिल्पकला को देश-विदेश में दिलाई पहचान, राष्ट्रपति अब विनोद को देंगे शिल्प गुरु पुरस्कार

प्रशासन ने भले ही बिमारी की रोकथाम के लिए इस पर रोक लगाई हो. लेकिन, सांभर और नावां इलाके में नमक उद्योग से जुड़े लोगों ने इस आदेश पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.

नमक उद्योग ही सहारा

नमक उत्पादन से जुड़े लोगों का कहना है कि वे नमक बनाने के लिए सैंकड़ों फीट गहरे ट्यूबवेल का पानी काम में लेते हैं. जबकि, पक्षियों की मौत झील के छिछले पानी में हुई है. उनका कहना है कि वो खेती नहीं कर सकते, एक मात्र नमक का उद्योग ही उनके रोजगार का माध्यम है. लेकिन, इस पर भी रोक लग गई है.

50 हजार से ज्यादा लोग होंगे प्रभावित

वहीं इस बारे में प्रदेश सरकार के उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी का कहना है कि इस फैसले से नावां इलाके का नमक उद्योग दम तोड़ देगा. नावां और आसपास के इलाकों से जुड़े लोगों पर इसका असर होगा, बल्कि यहां मजदूरी के लिए आने वाले कई प्रदेशों के हजारों लोगों के लिए भी दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा.

पढ़ें- डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा : भारत के संविधान निर्माण में बहुमूल्य योगदान

उल्लेखनीय है कि नागौर में सांभर झील के किनारे बसे करीब 10 गांवों में 50 हजार से ज्यादा लोग नमक उत्पादन, प्रोसेसिंग और बिक्री के कारोबार से जुड़े हैं. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश से मजदूरी करने भी हजारों लोग यहां आते हैं. ऐसे में सरकार के इस आदेश से एक तरफ जहां नमक उद्योग पर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है. वहीं, हजारों लोगों के लिए जीवनयापन का सवाल भी पैदा हो गया है.

नागौर. राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी और नमक उत्पादन के लिहाज से देशभर में अलग पहचान रखने वाली सांभर झील में हुई बड़ी पक्षी त्रासदी से पूरा प्रदेश हिल गया है. जहां हजारों पक्षियों की मृत्यु हो चुकी है, वहीं अब एक नई समस्या खड़ी हो गई है, जहां नमक कमिश्नर की ओर से नमक की सप्लाई पर रोक लगा दी गई है. इससे नमक के उद्योग से जुड़े मजदूरों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.

हजारों पक्षियों की मौत के बाद सांभर क्षेत्र में नमकबंदी

आपको बता दें कि पक्षियों की मौत का कारण एवियन बोटयूलिज्म से होने की पुष्टि होने के बाद नमक कमिश्नर ने सांभर इलाके से बने नमक की सप्लाई पर रोक लगा दी है. ऐसे में सांभर और नावां इलाके के नमक उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इस उद्योग से जुड़े हजारों लोगों के लिए रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया है.

पक्षी की बिमारी से सुरक्षा के लिए रोक

सांभर झील के इलाके में नमक उत्पादन से जुड़ी इकाइयों से नमक सप्लाई पर रोक लगा दी. प्रशासन डर है कि पक्षियों की जान लेने वाली यह बीमारी इंसानों तक भी पहुंच सकती है. इसलिए हजारों पक्षियों की मौत के बाद नमक कमिश्नर ने आदेश जारी किए और सांभर झील के इलाके में नमक उत्पादन से जुड़ी इकाइयों से नमक सप्लाई पर रोक लगा दी है.

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प्रशासन ने भले ही बिमारी की रोकथाम के लिए इस पर रोक लगाई हो. लेकिन, सांभर और नावां इलाके में नमक उद्योग से जुड़े लोगों ने इस आदेश पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.

नमक उद्योग ही सहारा

नमक उत्पादन से जुड़े लोगों का कहना है कि वे नमक बनाने के लिए सैंकड़ों फीट गहरे ट्यूबवेल का पानी काम में लेते हैं. जबकि, पक्षियों की मौत झील के छिछले पानी में हुई है. उनका कहना है कि वो खेती नहीं कर सकते, एक मात्र नमक का उद्योग ही उनके रोजगार का माध्यम है. लेकिन, इस पर भी रोक लग गई है.

50 हजार से ज्यादा लोग होंगे प्रभावित

वहीं इस बारे में प्रदेश सरकार के उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी का कहना है कि इस फैसले से नावां इलाके का नमक उद्योग दम तोड़ देगा. नावां और आसपास के इलाकों से जुड़े लोगों पर इसका असर होगा, बल्कि यहां मजदूरी के लिए आने वाले कई प्रदेशों के हजारों लोगों के लिए भी दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा.

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उल्लेखनीय है कि नागौर में सांभर झील के किनारे बसे करीब 10 गांवों में 50 हजार से ज्यादा लोग नमक उत्पादन, प्रोसेसिंग और बिक्री के कारोबार से जुड़े हैं. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश से मजदूरी करने भी हजारों लोग यहां आते हैं. ऐसे में सरकार के इस आदेश से एक तरफ जहां नमक उद्योग पर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है. वहीं, हजारों लोगों के लिए जीवनयापन का सवाल भी पैदा हो गया है.

Intro:राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी और नमक उत्पादन के लिहाज से देशभर में अलग पहचान रखने वाली सांभर झील में हुई अब तक कि सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी के सदमे से अभी तक लोग उबरे भी नहीं कि अब एक नई समस्या खड़ी हो गई है। पक्षियों की मौत एवियन बोटयूलिज्म से होने की पुष्टि होने के बाद नमक कमिश्नर ने सांभर इलाके से बने नमक की सप्लाई पर रोक लगा दी है। ऐसे में सांभर और नावां इलाके के नमक उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस उद्योग से जुड़े हजारों लोगों के लिए रोजी रोटी का सवाल खड़ा हो गया है।


Body:नागौर. सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत के बाद अब हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। हजारों पक्षियों की मौत के बाद नमक उत्पादन के लिए जानी जाने वाली 90 वर्ग मील में फैली सांभर झील के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराता नजर आ रहा है। दरअसल, एवियन बोटयूलिज्म से सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत के बाद नमक कमिश्नर ने आदेश जारी किए और सांभर झील के इलाके में नमक उत्पादन से जुड़ी इकाइयों से नमक सप्लाई पर रोक लगा दी। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि पक्षियों की जान लेने वाली यह बीमारी इंसानों तक नहीं पहुंचे। इसलिए एहतियातन यह कदम उठाया गया है। लेकिन सांभर और नावां इलाके में नमक उद्योग से जुड़े लोगों ने इस आदेश पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
नमक उत्पादन से जुड़े लोगों का कहना है कि वे नमक बनाने के लिए सैंकड़ों फीट गहरे ट्यूबवेल का पानी काम में लेते हैं। जबकि पक्षियों की मौत झील के छिछले पानी में हुई है।
प्रदेश सरकार के उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी का कहना है कि इस फैसले से नावां इलाके का नमक उद्योग दम तोड़ देगा। न केवल नावां और आसपास के इलाकों से जुड़े लोगों पर इसका असर होगा। बल्कि यहां मजदूरी के लिए आने वाले कई प्रदेशों के हजारों लोगों के लिए भी दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।


Conclusion:नागौर में सांभर झील के किनारे बसे करीब 10 गांवों में 50 हजार से ज्यादा लोग नमक उत्पादन, प्रोसेसिंग और बिक्री के कारोबार से जुड़े हैं। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश से मजदूरी करने भी हजारों लोग यहां आते हैं। ऐसे में सरकार के इस आदेश से एक तरफ जहां नमक उद्योग पर अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। वहीं, हजारों लोगों के लिए जीवनयापन का सवाल भी पैदा हो गया है।
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बाईट 1- सुरेश, नमक उत्पादक।
बाईट 2 - गजानंद, नमक उत्पादक।
बाईट 3 - जीवनराम, नमक उत्पादक।
बाईट 4 - मुकेश, नमक इकाई मजदूर।
बाईट 5 - महेंद्र चौधरी, उप मुख्य सचेतक, राजस्थान सरकार।
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