नागौर. कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों को घर में रहने की सलाह दी गई है, लेकिन ऐसा अक्सर कुछ न कुछ होता है कि लोगों को घर में भी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. कभी बिजली कट गई, तो कभी पानी की किल्लत. ऐसा ही हुआ है नागौर जिला मुख्यालय के नगर परिषद क्षेत्र के रोडवेज डिपों के पीछे, जहां कई घरों में पिछले कई दिनों से पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है.
लोगों को पेयजल मुहैया कराने के लिए अमृत योजना के तहत नई पाइप लाइने, तो बिछा दी गई, लेकिन तकनीकी तौर पर घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. नागौर शहर में 16 एमएलडी पानी नागौर नगर परिषद की मॉनिटरिंग में घरों तक पहुंचाया जा रहा है, लेकिन उन दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. मोहल्लेवासियों ने बताया कि पर्याप्त जल कम भंडारण होने के बावजूद उनके घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. नगर परिषद के जिम्मेदारों को कई बार शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन समस्या का हल नहीं हुआ, जिससे लोगों में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है.
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सरकार एक ओर तो हर नागरिक को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का दम भर रही है. वहीं दूसरी ओर पिछले कई महीने से पेयजल की किल्लत झेल रहे हैं. पीएचईडी और नगर परिषद में तालमेल नहीं होने की वजह से पानी की समस्या आने से रोडवेज डिपों के पीछे रहने वाले वाशिदों और मवेशियों के सामने पेयजल का संकट उत्पन्न हो गया है. मंहगें दामों पर वार्डवासी पानी के टैंकरों खरीदने को मजबूर है.